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भीड़ हादसों और त्रासदियों का सिलसिला कब थमेगा?

भीड़ हादसों और त्रासदियों का सिलसिला कब थमेगा?

तमिलनाडु के करूर में तमिलगा वेट्री कषगम (टीवीके) प्रमुख और सुपर अभिनेता से नेता बने विजय की चुनावी रैली के दौरान मची भगदड़ दुर्भाग्यपूर्ण होने के साथ स्तब्ध करने एवं पीड़ा देने वाली भी है। विजय की रैली में एक बार फिर भीड़ की बेकाबू उन्मत्तता ने 40 मासूम जिंदगियों को निगल लिया। सवाल उठता है कि आखिर कब तक ऐसी त्रासदियां हमारे समाज और शासन की नाकामी को उजागर करती रहेंगी? क्यों हमारी व्यवस्थाएं भीड़ .....

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खुद को कानून से ऊपर मानने लगे थे सोनम वांगचुक, दिलचस्प है एक समाजसेवी की आंदोलनजीवी बनने तक की यात्रा

खुद को कानून से ऊपर मानने लगे थे सोनम वांगचुक, दिलचस्प है एक समाजसेवी की आंदोलनजीवी बनने तक की यात्रा

लद्दाख, अपनी शांत और सौम्य संस्कृति के लिए पहचाना जाता है, लेकिन वहां अशांति और असंतोष पनपाने की कोशिश की गयी। इस परिदृश्य के केंद्र में हैं सोनम वांगचुक। यह वही नाम है जो कभी शिक्षा सुधार और पर्यावरणीय नवाचार का प्रतीक था, पर आज शांति और व्यवस्था के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है।

हम आपको बता दें कि सोनम वांगचुक की प्रारंभिक छवि प्रेरक रही है। SECMOL के माध्यम से उन्होंने शिक्षा को.....

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अंत्योदय की बदलती परिभाषा: गरीबी से गरिमा तक

अंत्योदय की बदलती परिभाषा: गरीबी से गरिमा तक

आज का भारत विकास की एक नई परिभाषा गढ़ रहा है। पहले जब हम अंत्योदय की बात करते थे तो इसका अर्थ था कि हर गरीब को अन्न, वस्त्र और आश्रय मिल जाए। लेकिन अब समय बदल चुका है। आज अंत्योदय केवल पेट भरने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आवास, डिजिटल सुविधा, कौशल विकास और आत्मसम्मान जैसे कई आयाम शामिल हो गए हैं। यही वजह है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का वह विचार आज और भी सजीव .....

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जब डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भारत के ख़िलाफ़ हैं तो फिर मोदी की नीतियां अमेरिकी हितों पर चोट क्यों न दें?

जब डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भारत के ख़िलाफ़ हैं तो फिर मोदी की नीतियां अमेरिकी हितों पर चोट क्यों न दें?

जब भारत के गांवों में किसी से विवाद बढ़ने पर और घात-प्रतिघात की परिस्थितियों के पैदा होने पर पारस्परिक हुक्का-पानी या उठक-बैठक, खान-पान बन्द करने के रिवाज सदियों से चलते आए हैं, तो फिर वैश्विक दुनियादारी में हमलोग इसे लागू क्यों नहीं कर सकते, ताकि हमारे मुकाबिल खड़े होने वाले देशों को ठोस नसीहत मिल सके। वहीं, अक्सर यह भी कहा जाता है कि जो ज्यादा तेज बनता है वह तीन जगहों पर बदबू फैलाता है। जबकि .....

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क्या भारत की घर में घुसकर मारने की नीति पर असर डालेगा सऊदी–पाक करार?

क्या भारत की घर में घुसकर मारने की नीति पर असर डालेगा सऊदी–पाक करार?

पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ रक्षा करार कर लिया है इससे पाकिस्तान यह सोच रहा होगा कि अब किसी आतंकी वारदात के बाद भारत उसे घर में घुस कर मार नहीं पायेगा। यदि ऐसा है तो पाकिस्तान की यह सोच गलत है कि क्योंकि भारत कह चुका है कि हमले का बदला घर में घुस कर लिया जायेगा और यही अब न्यू नॉर्मल है। देखा जाये तो ऑपरेशन सिंदूर से पहले भारत को पता था कि पाकिस्तान को बचाने के लिए उसके दोस्त चीन और तुर्की आय.....

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प्रधानसेवक नरेन्द्र मोदी: एक युगपुरुष का 75वां पड़ाव

प्रधानसेवक नरेन्द्र मोदी: एक युगपुरुष का 75वां पड़ाव

भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश का नेतृत्व करना कोई साधारण कार्य नहीं। यह एक ऐसी जिम्मेदारी है, जिसमें दूरदृष्टि, समर्पण और जनता के प्रति अटूट विश्वास की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ने इस दायित्व को न केवल स्वीकार किया, बल्कि इसे एक मिशन के रूप में अपनाकर देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 17 सितंबर, 2025 को वह अपने जीवन के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। यह अवसर.....

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मोदी सरकार: नारी शक्ति का उदयकाल

मोदी सरकार: नारी शक्ति का उदयकाल

भारत की आधी आबादी, जिसे लंबे समय तक घर की चौखट और सामाजिक परंपराओं में सीमित माना जाता था, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है। बीते दशक में तस्वीर पूरी तरह बदली है—ऐसे कानून बने जिन्होंने महिलाओं को बराबरी और गरिमा का अधिकार दिया, और ऐसी योजनाएँ आईं जिन्होंने मातृत्व को सुरक्षित कर बेटियों के सपनों को पंख दिए। यही वजह है कि आज नारी शक्ति केवल वोट .....

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अतिवृष्टि से खुल गई देश के विकास की तस्वीर की पोल

अतिवृष्टि से खुल गई देश के विकास की तस्वीर की पोल

देश के विकास की असली तस्वीर इस बार मानसून में दिल्ली में देखने को मिली है। देश की राजधानी बारिश और यमुना के जलस्तर बढऩे से हाल-बेहाल हो गई। राजधानी की जिंदगी पर ब्रेक लग गया। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बारिश से देश के अन्य राज्य कितने हाल-बेहाल होंगे। यह समस्या नई नहीं है। देश में हर साल मानसून के दौरान लगभग सभी राज्यों में यही हाल होता है। विकास का वादा और दावा करने वाली सरकारें और .....

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