अब ट्रांसजेंडर भी उड़ा सकेंगे फ्लाइट! DGCA ने बदली गाइडलाइंस करना होगा ये काम

अब ट्रांसजेंडर भी उड़ा सकेंगे फ्लाइट! DGCA ने बदली गाइडलाइंस करना होगा ये काम

देश में पहली बार पायलट बनने के लिए इच्छुक ट्रांसजेंडर की फिटनेस के लिए एयरोमेडिकल असेसमेंट के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. इस कदम से उन लोगों का कमर्शियल पायलट बनने का सपना पूरा हो सकता है जो खुद को किसी लैंगिंक पहचान से जोड़ नहीं पाते हैं. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने बुधवार को एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें कहा गया है कि एंडोक्रिनोलॉजिस्ट या संबंधित उम्मीदवारों के विशेष केस को देखने वाले विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत विस्तृत चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर एयरफोर्स के डॉक्टरों द्वारा केस-टू-केस मेडिकल असेसमेंट किया जाना चाहिए.


TOI की खबर के मुताबिक डीजीसीए के इस गाइडलाइन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पायलट बनने के इच्छुक एक ट्रांसजेंडर एडम हैरी ने बताया कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है. अब तक भारत में जो ट्रांसजेंडर कमर्शियल पायलट बनना चाहता था उसकी फिटनेस के लिए मेडिकल इवैल्यूएशन की व्यवस्था नहीं थी जबकि अमेरिका ब्रिटेन जैसे देशों में इस तरह का सर्कुलर 5-7 साल पहले आ गया था. एडम हैरी के कमर्शियल लाइसेंस को लेकर पिछले महीने विवाद हुआ था. हालांकि डीजीसीए ने उन आरोपों का खंडन किया जिसमें कहा गया था कि केरल के ट्रांसजेंडर एडम हैरी को कमर्शियल पायलट लाइसेंस की अनुमति से वंचित कर दिया गया है.


गौरतलब है कि स्टूडेंट पायलट लाइसेंस के इच्छुक उम्मीदवार को पहले क्लास 2 का मेडिकल एग्जामिनेशन पास करना होता है उसके बाद क्लास 1 मेडिकल एग्जामिनेशन पास करना होता है. कमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य है. यानी किसी भी एयरलाइन में नौकरी के लिए यही सबसे बुनियादी लाइसेंस है. ट्रांसजेंडर पायलटों के केस में क्लास 2 मेडिकल एग्जामिनर को इच्छुक उम्मीदवार के उपचार विशेषज्ञ से एक विस्तृत चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त करना होगा जो लिंग पुनर्विनियोजन/पुन: असाइनमेंट (यदि कोई हो) को समझने में सहायता करेगी और इस रिपोर्ट को पूरा करेगी.


सर्कुलर के मुताबिक डीजीसीए का मेडिकल मूल्यांकनकर्ता एक अस्थायी अनफिट पत्र जारी करेगा और आगे की समीक्षा के लिए केवल भारतीय वायु सेना के एयरोस्पेस मेडिसिन संस्थान में टेस्ट कराने की सिफारिश करेगा. ट्रांसजेंडर पायलटों को जिन चिकित्सीय उपचारों से गुजरना पड़ता है उन्हें अस्थायी रूप से अनफिट घोषित किए जाने की अधिक संभावना रहती है. डीजीसीए के सर्कुलर के मुताबिक ऐसे ट्रांसजेंडर आवेदक जिन्होंने पिछले पांच सालों के दौरान हार्मोन थेरेपी ली हो या लिंग पुनर्मूल्यांकन सर्जरी करा चुके हैं उनकी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति भी जांच की जाएगी. थेरेपी या सर्जरी वाले उम्मीदवारों को कम से कम तीन महीने के लिए चिकित्सकीय रूप से अनफिट घोषित किया जा सकता है.


दिशानिर्देशों में कहा गया है कि आवेदक को लाइसेंस के लिए अप्लाई करने के समय एंडोक्रिनोलॉजिस्ट की एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा जिसमें आवेदक द्वारा लिए जा रहे हार्मोन थेरेपी के विवरण जैसे थेरेपी की अवधि खुराक किए गए परिवर्तन हार्मोन परख रिपोर्ट साइड इफेक्ट आदि शामिल होंगे.

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