दल-बदल विरोधी कानून में संशोधन की नहीं : रिजीजू

दल-बदल विरोधी कानून में संशोधन की नहीं : रिजीजू

मंत्री ने कहा चूंकि दसवीं अनुसूची (जिसे दलबदल विरोधी कानून कहा जाता है) के प्रावधानसमय और कई न्यायिक जांच की कसौटी पर खरे उतरे हैं अत: फिलहाल इसमें संशोधन करने की कोई आवश्यकता नहीं है। 

नयी दिल्ली|  कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को सूचित किया कि दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान समय और कई न्यायिक जांच की कसौटी पर खरे उतरे हैं और फिलहाल इसमें संशोधन करने की कोई आवश्यकता नहीं है। रिजीजू ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह बात कही। 

उनसे पूछा गया था कि क्या दलबदल विरोधी कानून अपने मौजूदा स्वरूप में दलबदल को रोकने के लिए पर्याप्त है? मंत्री ने कहा चूंकि दसवीं अनुसूची (जिसे दलबदल विरोधी कानून कहा जाता है) के प्रावधानसमय और कई न्यायिक जांच की कसौटी पर खरे उतरे हैं अत: फिलहाल इसमें संशोधन करने की कोई आवश्यकता नहीं है।                           

 एक अन्य सवाल में पूछा गया कि क्या अदालतों द्वारा दलबदल विरोधी कानून की अलग-अलग व्याख्याएं की गई हैं?                                               

इस पर रीजिजू ने कहा कि किहोतो होलोहोन बनाम जाचिल्हू मामले में उच्चतम न्यायालय की सात सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने दसवीं अनुसूची के सातवें पैराग्राफ को छोड़ कर पूरे प्रावधानों को बरकरार रखा था। सातवां पैराग्राफ स्पीकर या विधायिकाओं के अध्यक्षों के निर्णयों की न्यायिकता से संबंधित है।

उन्होंने कहा हालांकि कुछ अदालतों ने अतीत में प्रावधानों की जांच की है लेकिन संशोधन के लिए कोई विशेष निर्देश नहीं दिया गया है।

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