सोशल मीडिया बैन से वीजा जांच तक: बदलती वैश्विक नीतियां और बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव

सोशल मीडिया बैन से वीजा जांच तक: बदलती वैश्विक नीतियां और बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव

आज के दौर में सोशल मीडिया हमारी ज़िंदगी का कितना बड़ा हिस्सा बन चुका है, यह सवाल अब सिर्फ समाज का नहीं बल्कि सरकारों की भी चिंता बन गया है। बता दें कि इसी बहस को एक नई दिशा देते हुए ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया में पहली बार 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और किशोरों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगभग पूरी तरह रोक लगा दी है। 10 दिसंबर से लाखों ऑस्ट्रेलियाई किशोर फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक, यूट्यूब और रेडिट जैसे प्लेटफॉर्म्स तक पहुंच से बाहर हो गए हैं।

गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार का यह कदम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, ऑनलाइन लत और साइबर खतरों को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच उठाया गया है। वैश्विक स्तर पर यह फैसला एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है और कई देश अब इस तरह के नियमों पर विचार करने लगे हैं।


सोशल मीडिया से जुड़ा एक और बड़ा बदलाव अमेरिका में देखने को मिल रहा है। मौजूद जानकारी के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन अब वीजा प्रक्रिया में सोशल मीडिया की भूमिका बढ़ाने जा रहा है। H-1B वीजा, उसके आश्रितों के H-4 वीजा और यहां तक कि पर्यटक वीजा के लिए आवेदन करने वालों से पिछले पांच वर्षों की सोशल मीडिया गतिविधियों की जांच की जा सकती है।

अमेरिकी प्रशासन का तर्क है कि ऑनलाइन गतिविधियों से आवेदकों की पृष्ठभूमि और विचारधाराओं को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि इससे निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े होते हैं।

इसी बीच, ट्रंप प्रशासन ने अमीर निवेशकों के लिए दरवाजे खुले रखे हैं। बता दें कि अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा योजना शुरू की है, जिसके तहत कम से कम 10 लाख डॉलर का निवेश करने वाले व्यक्ति या कंपनियां आवेदन कर सकती हैं। सरकार का दावा है कि इस योजना से न केवल शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित किया जाएगा, बल्कि अमेरिकी खजाने को भी अरबों डॉलर की आय होगी।

वैश्विक व्यापार मोर्चे पर भी हलचल तेज है। अमेरिका से संकेत लेते हुए मेक्सिको ने एशियाई देशों से आने वाले आयात पर 50 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि इस फैसले का असर भारत और चीन सहित कई देशों के निर्यात पर पड़ सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार तनाव और गहरा सकता है।

दुनिया में भू-राजनीतिक हालात भी लगातार अस्थिर बने हुए हैं। यूक्रेन को लेकर शांति प्रयासों में उतार-चढ़ाव जारी है, वहीं नए संघर्ष उभर रहे हैं। अमेरिका ने वेनेजुएला पर दबाव बढ़ाते हुए उसके तट के पास एक तेल टैंकर को जब्त किया है और कच्चा तेल ले जा रहे छह और जहाजों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं।

दक्षिण-पूर्व एशिया में भी हालात बिगड़ते दिख रहे हैं। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद एक बार फिर हिंसक रूप ले चुका है, जिससे हजारों लोगों को सुरक्षित इलाकों में पलायन करना पड़ा है। इस तनाव के बीच थाईलैंड में संसद भंग कर दी गई है और अगले 45 से 60 दिनों के भीतर आम चुनाव कराए जाने की घोषणा की गई है।

कुल मिलाकर, डिजिटल नियंत्रण से लेकर व्यापार युद्ध और क्षेत्रीय संघर्षों तक, दुनिया एक ऐसे दौर से गुजर रही है जहां तकनीक, राजनीति और सुरक्षा आपस में गहराई से जुड़ती जा रही हैं और आने वाले समय में इन फैसलों का वैश्विक असर और स्पष्ट रूप से सामने आएगा है।

Leave a Reply

Required fields are marked *