बीजेपी सांसद के संसद में दिए बयान पर भिड़े पासी और अर्कवंशी , बीजेपी के वोटबैंक को आपस मे भिड़ते देख विपक्ष की बांछे खिलीं

बीजेपी सांसद के संसद में दिए बयान पर भिड़े पासी और अर्कवंशी , बीजेपी के वोटबैंक को आपस मे भिड़ते देख विपक्ष की बांछे खिलीं

उत्तरप्रदेश

हरदोई जिले में अर्कवंशी बनाम पासी चल रहे युद्ध को अब महायुद्ध में बदलते देखा जा रहा है । मिश्रिख लोकसभा के बीजेपी सांसद अशोक रावत के सदन में दिए गए बयान जिसमे उन्होंने महाराजा सल्लीह सिंह को पासी उपनाम से सम्बोधित किया था उस पर अर्कवंशी समाज भारी आक्रोशित दिख रहा है अब । गौरतलब है कि मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र की 3 विधानसभाएं हरदोई जिले में आती हैं जिनमे अर्कवंशी बहुतायत निवास करता है । 

मिश्रिख लोकसभा के अंतर्गत आने वाली संडीला विधानसभा में महाराजा सल्लीह सिंह अर्कवंशी के नाम की मूर्ति का बर्षों पहले अनावरण किया गया था और अर्कवंशी वोटबैंक बीजेपी का ही वोटबैंक भी माना जाता रहा है , 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने सुनील अर्कवंशी और बीजेपी ने अलका अर्कवंशी को मैदान में उतारा था , संडीला की विधायक अलका सिंह अर्कवंशी निर्वाचित हुए थीं और तब का सपा सुभासपा गठबंधन अब भाजपा सुभासपा गठबंधन बन चुका है , सुभासपा के अध्यक्ष सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी  अपनी पार्टी के नेता सुनील अर्कवंशी के साथ इस इलाके में कई बड़े आयोजनों में शिरकत कर चुके हैं । महाराजा सल्लीह सिंह की मूर्ति के पास लगे एक पत्थर में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह का भी नाम उकेरा गया है जिससे अर्कवंशी समाज के नेता अपना दावा और मजबूती से होना मान रहे हैं । सांसद अशोक रावत की प्रोफाइल के कुछ स्क्रीन शाट्स भी वायरल हैं जिसमे चुनाव के वक़्त वो महाराजा सल्लीह सिंह का उपनाम अर्कवंशी लिख वोट की अपील कर रहे हैं ।

पासी बनाम अर्कवंशी की लड़ाई में अब तक सामान्य जातीय संगठन ही बिगुल बजाए थे पर अब बीजेपी के सांसद अशोक रावत के संसद में दिए बयान पर जातिगत लड़ाई लिखा पढ़ी में आ गयी है और बीजेपी के अपने ही घटक अपने ही सिपहसालार उलझते नज़र आ रहे हैं । बीजेपी विधायक अलका सिंह अर्कवंशी ने जहां इतिहास को पढ़ने और समझने की जरूरत बताई है सांसद को वहीं सुभासपा नेता सुनील अर्कवंशी ने जमीनी आंदोलन और सांसद का घेराव करने जैसी बात भी कह दी है । 

हमारे खंज़र सूत्र बताते हैं कि पार्टी की गुप्तचर एजेंसियां पूरे मामले पर नज़र बनाये हैं और इसका विस्तृत वर्णन काफी ऊपर तक भेजने की तैयारियों में लगीं हैं । विधानसभा चुनाव के आखिर के साल आते आते इस तरह के जातीय और वोटबैंक के आपसी टकराव से बीजेपी को कितना नुकसान हो सकता है ये समझदार को इशारा काफी वाली ही बात होगी ।

अभिनव ( संपादक खंज़र सूत्र) 

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