UttarPradesh
अगर कभी किसी डॉक्टर के प्रति आपके मन में कुछ ऐसा आए कभी कभी लगता है कि यहीच भगवान है तो इसे बहुत अतिशयोक्ति न मानिएगा । डॉक्टर अगर वाकई में काबिल और मन से स्वच्छ होगा तो उसे आप ईश्वर स्वरूप ही समझिए उसके कर्मों की कसौटी पर ।
बानगी के तौर पर एक ऐसा ही कुछ वाकया उत्तरप्रदेश के हरदोई जिले में देखने को मिला है । हरदोई मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. विनीश वर्मा और उनकी टीम ने एक जटिल और संवेदनशील ऑपरेशन को नि:शुल्क अंजाम देकर एक मिसाल पेश की है। हरदोई जैसे छोटे से शहर में एक सरकारी अस्पताल में इस तरह की जटिल स्पाइन सर्जरी का सफल होना यहां की चिकित्सा सेवाओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
विकासखंड हरियावा के लिलवल गांव की निवासी अन्नपूर्णा की ज़िंदगी एक हादसे के बाद वीरान हो गई थी। कुछ समय पहले घर की छत पर बंदरों को भगाते समय उनका संतुलन बिगड़ा और वह नीचे गिर गईं। चोट इतनी भयानक थी कि रीढ़ की हड्डी (L2) बुरी तरह टूट गई।अन्नपूर्णा का चलना-फिरना तो दूर,बिस्तर से उठना भी दूभर हो गया था।परिजनों ने अपनी बेटी को बचाने के लिए लखनऊ तक दौड़ लगाई।हर जगह ऑपरेशन की सलाह तो मिली,लेकिन खर्च 2 से 3 लाख रुपये बताया गया।एक गरीब परिवार के लिए यह रकम जुटाना असंभव था।दर्द से कराहती अन्नपूर्णा और बेबस माता-पिता की उम्मीदें दम तोड़ने लगी थीं।
बीती 23 नवंबर को परिजन आखिरी उम्मीद लेकर हरदोई मेडिकल कॉलेज पहुंचे।यहाँ उनकी मुलाकात एमबीबीएस,एमएस ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. विनीश वर्मा जो कि हरदोई के ही रहने वाले हैं से हुई। डॉ. वर्मा ने न सिर्फ़ मरीज की पीड़ा को समझा,बल्कि तुरंत उसे भर्ती कर जांचें शुरू करवाईं। 27 नवंबर को डॉ. विनीश वर्मा उनके सहयोगी डॉ अविक रॉय और टेकनीशियन पुनीत किशोर ने इस चुनौती को स्वीकार किया।चिकित्सकों के अनुसार,रीढ़ की हड्डी (L2) का यह ऑपरेशन बेहद जटिल था,जिसे आमतौर पर बड़े शहरों के सुपर-स्पेशलिटी सेंटर्स में ही किया जाता है। लेकिन डॉ. विनीश वर्मा की कुशलता ने इसे हरदोई में ही संभव कर दिखाया।घंटों चली सर्जरी सफल रही और वह भी पूरी तरह नि:शुल्क।
ऑपरेशन के बाद अन्नपूर्णा की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है। वह अब खतरे से बाहर हैं और जल्द ही सामान्य जीवन की ओर लौटेंगी।बेटी को मौत के मुंह से वापस लाने पर परिजनों ने डॉ. विनीश वर्मा और उनकी टीम को मसीहा बताया है।
MYogiAdityanath Brajesh Pathak
