जम्मू-कश्मीर की पैरा-आर्चर शीतल देवी ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। जन्म से बिना हाथों के बावजूद उन्होंने वो कर दिखाया जो अब तक कोई पैरा एथलीट नहीं कर सका था। शीतल को सऊदी अरब के जेद्दाह में होने वाले एशिया कप स्टेज-3 के लिए भारतीय एबल-बॉडीड जूनियर टीम में जगह मिली है। यह पहली बार है जब किसी पैरा खिलाड़ी को सामान्य खिलाड़ियों की टीम में शामिल किया गया है।
शीतल ने इस उपलब्धि के बाद सोशल मीडिया पर लिखा, “जब मैंने खेलना शुरू किया था, तब मेरा एक छोटा-सा सपना था कि एक दिन मैं सामान्य खिलाड़ियों के साथ खेल सकूं। शुरुआत में मैं असफल रही, लेकिन हर गलती से कुछ नया सीखा। आज मेरा वह सपना एक कदम और करीब आ गया है।”
गौरतलब है कि शीतल देवी ने 2024 पेरिस पैरालंपिक में मिक्स्ड टीम कंपाउंड इवेंट में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था। मौजूद जानकारी के अनुसार उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है। शीतल तुर्की की पैरा चैंपियन ओज़नुर क्योर गिर्डी से प्रेरित हैं, जो खुद भी सामान्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती हैं।
बता दें कि हरियाणा के सोनीपत में आयोजित राष्ट्रीय चयन ट्रायल्स में शीतल ने 60 से अधिक सामान्य खिलाड़ियों के साथ समान परिस्थितियों में मुकाबला किया और शानदार प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया। उन्होंने क्वालीफिकेशन राउंड में कुल 703 अंक बनाए — पहले राउंड में 352 और दूसरे में 351। शीर्ष पर महाराष्ट्र की तेजल सालवे रहीं, जबकि वैदेही जाधव दूसरे स्थान पर रहीं।
अंतिम रैंकिंग में तेजल को 15.75 अंक, वैदेही को 15 अंक और शीतल को 11.75 अंक मिले। शीतल ने चौथे स्थान पर रही महाराष्ट्र की ज्ञानेश्वरी गदाधे को मामूली अंतर यानी 0.25 अंक से पीछे छोड़ा है।
शीतल देवी श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, कटरा में प्रशिक्षण लेती हैं और इस साल की शुरुआत में वे दुनिया की पहली महिला बनीं जिन्होंने बिना हाथों के पैरा आर्चरी विश्व खिताब जीता है। उनकी मेहनत, आत्मविश्वास और लगन ने भारतीय खेल जगत में एक नई प्रेरणा स्थापित की है।
गौरतलब है कि भारतीय टीम में कंपाउंड वर्ग में पुरुष खिलाड़ियों में प्रद्युम्न यादव, वासु यादव और देवांश सिंह (सभी राजस्थान) को जगह मिली है, जबकि महिला वर्ग में तेजल सालवे, वैदेही जाधव (दोनों महाराष्ट्र) और शीतल देवी (जम्मू-कश्मीर) शामिल की गई हैं।
शीतल की यह कामयाबी न केवल पैरा खेलों की सीमाओं को तोड़ती है, बल्कि यह साबित करती है कि सच्ची प्रतिभा और हौसला किसी भी बाधा से बड़ा होता है। उनकी यह नई उड़ान आने वाले कई खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन चुकी है और देश को उन पर गर्व है।
