दिल्ली को उसके प्राचीन और ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ पर पुनः स्थापित किया जाना चाहिए। चांदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने गृह मंत्री अमित शाह को लिखे एक पत्र में यह प्रस्ताव रखा है। भाजपा सांसद ने आग्रह किया है कि दिल्ली का नाम आधिकारिक तौर पर बदलकर इंद्रप्रस्थ कर दिया जाए, ताकि राष्ट्रीय राजधानी को हिंदू महाकाव्य महाभारत में वर्णित उसकी सभ्यतागत विरासत और पहचान से जोड़ा जा सके। खंडेलवाल ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ जंक्शन और इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ हवाई अड्डा कर दिया जाए। इसके अलावा, उन्होंने अनुरोध किया है कि शहर में एक प्रमुख स्थान पर पांडवों की भव्य मूर्तियाँ स्थापित की जाएँ, ताकि पांडवों द्वारा स्थापित राजधानी के रूप में दिल्ली की उत्पत्ति को मान्यता दी जा सके। उनके पत्र की प्रतियां दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, राम मोहन नायडू और गजेंद्र सिंह शेखावत को भी भेजी गई हैं।
खंडेलवाल के अनुसार, ऐतिहासिक अभिलेख, सांस्कृतिक साक्ष्य और पारंपरिक आख्यान इस बात की पुष्टि करते हैं कि दिल्ली महाभारत काल में पांडवों द्वारा स्थापित प्राचीन शहर इंद्रप्रस्थ का स्थल है। उन्होंने कहा कि इंद्रप्रस्थ अपनी समृद्धि, संगठन और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जाना जाता था और धर्म, शासन और लोक कल्याण के सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता था। खंडेलवाल ने कहा कि प्रयागराज, अयोध्या, उज्जैन और वाराणसी जैसे कई प्राचीन भारतीय शहरों ने हाल ही में अपनी सांस्कृतिक पहचान और नाम पुनः प्राप्त किए हैं, इसलिए दिल्ली को भी उसके मूल नाम पर बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने नाम परिवर्तन को ऐतिहासिक न्याय और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का कार्य बताया।
उन्होंने आगे कहा कि इंद्रप्रस्थ नाम भारत की सभ्यतागत जड़ों, न्यायपूर्ण शासन के मूल्यों और सांस्कृतिक आत्मविश्वास का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि राजधानी का नाम बदलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांस्कृतिक पुनरुत्थान के दृष्टिकोण के अनुरूप होगा। खंडेलवाल ने दिल्ली के किसी प्रमुख सार्वजनिक स्थल पर पांडवों की मूर्तियाँ स्थापित करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि ये मूर्तियाँ भारत के राष्ट्रीय चरित्र को प्रतिबिंबित करेंगी और युवा पीढ़ी को साहस, बलिदान, न्याय और धार्मिकता के आदर्शों का संदेश देंगी।
उन्होंने यह भी कहा कि इंद्रप्रस्थ हवाई अड्डा और इंद्रप्रस्थ जंक्शन जैसे नाम भारत की प्राचीन विरासत को उजागर करके उसकी वैश्विक पहचान को मज़बूत करेंगे। उन्होंने तर्क दिया कि इस बदलाव से धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय व्यापार और अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
