गोवा बाघ अभयारण्य मुद्दा: केंद्रीय समिति ने हितधारकों से मुलाकात की

गोवा बाघ अभयारण्य मुद्दा: केंद्रीय समिति ने हितधारकों से मुलाकात की

उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने बृहस्पतिवार को गोवा में हितधारकों से मुलाकात की। यह मुलाकात राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका की पृष्ठभूमि में हुई, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा बाघ अभयारण्य को अधिसूचित करने के आदेश को चुनौती दी गई है।

समिति के सदस्य चंद्र प्रकाश गोयल और सुनील लिमये ने गोवा फाउंडेशन के प्रतिनिधियों सहित हितधारकों से मुलाकात की। गोवा फाउंडेशन एक गैर सरकारी संगठन है, जिसने मुंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ के समक्ष मूल याचिका दायर की थी।

दो दिवसीय दौरे पर गोवा आई समिति के सदस्यों से वालपोई, पोरीम, कैनाकोना और संगुएम विधानसभा क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने भी मुलाकात की। गोवा फाउंडेशन के निदेशक क्लॉड अल्वारेस ने संवाददाताओं से कहा कि समिति ने उनकी बात सुनी।

अल्वारेस ने कहा, ‘‘उन्होंने हमारी बात सुनी... हमें नहीं पता कि वे सहमत हैं या नहीं, क्योंकि नेताओं समेत और भी लोग उनसे मिलने वाले हैं।’’ गोवा सरकार प्रस्तावित बाघ अभयारण्य का विरोध करती रही है। लेकिन अल्वारेस ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई वन्यजीव अभयारण्य प्रबंधन योजना में अभयारण्यों के कोर ज़ोन को अधिसूचित किया गया है, जो बाघ अभयारण्य के समान क्षेत्र को कवर करता है।

बंबई उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई, 2023 को गोवा सरकार को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 38वी (1) के तहत तीन महीने के भीतर म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य घोषित करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।

राज्य सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशानिर्देशों के अनुसार, बाघ अभयारण्य के लिए 800-1,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को ‘अछूता क्षेत्र’ घोषित करना होगा।

उसने कहा कि भगवान महावीर राष्ट्रीय उद्यान (मोल्लेम), भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य, कोटिगाओ वन्यजीव अभयारण्य, म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य और नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य (जो प्रस्तावित रिजर्व के अंतर्गत आएंगे) के संरक्षित क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल करीब 745 वर्ग किमी हैं।

राज्य सरकार ने दलील दी कि गोवा का सम्पूर्ण क्षेत्रफल केवल 3,700 वर्ग किलोमीटर है, जिसका 20 प्रतिशत हिस्सा पहले से ही संरक्षित क्षेत्रों, वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों के तहत आता है।

उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा बाघों के लिए आरक्षित क्षेत्र के रूप में चिह्नित किए गए गोवा के म्हादेई-कोटीगांव क्षेत्र में पिछले महीने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

साथ ही न्यायालय ने सीईसी को मामले में सभी हितधारकों का पक्ष सुनने और छह सप्ताह के भीतर इस मुद्दे पर फैसला लेने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने क्षेत्र में कोई भी परियोजना या विकास कार्य शुरू करने पर रोक लगा दी थी।

Leave a Reply

Required fields are marked *