कर्नाटक सरकार घबराई? NIA को नहीं सौंपना चाहती है जांच, क्या धर्मस्थल विवाद हिंदू आस्था पर प्रायोजित हमला था?

कर्नाटक सरकार घबराई? NIA को नहीं सौंपना चाहती है जांच, क्या धर्मस्थल विवाद हिंदू आस्था पर प्रायोजित हमला था?

कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर नगरी को लेकर विवाद अब उजागर होने लगा है, और अब जाँचकर्ताओं का मानना ​​है कि यह पूरा घटनाक्रम एक सुनियोजित साज़िश का नतीजा हो सकता है। कर्नाटक से आ रही रिपोर्टों के अनुसार, मामले की जाँच कर रही विशेष जाँच टीम (एसआईटी) इस निष्कर्ष पर पहुँची है कि शिकायतकर्ता सीएन चिन्नय्या द्वारा अदालत में नाटकीय ढंग से पेश की गई खोपड़ी किसी छिपे हुए कब्रिस्तान का सबूत नहीं थी, बल्कि एक शोध प्रयोगशाला से लिया गया एक संरक्षित नमूना था।

एसआईटी और उसके प्रमुख प्रणव मोहंती ने शिकायतकर्ता से शुक्रवार को देर रात तक पूछताछ की। शिकायतकर्ता का नाम उजागर नहीं किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि बयानों और उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में विसंगतियां पाए जाने के बाद गिरफ्तारी की गई। उन्होंने कहा कि एसआईटी मामले की जांच जारी रखे हुए है और शिकायतकर्ता-गवाह को घंटों पूछताछ के बाद मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया। शिकायतकर्ता एक पूर्व सफाई कर्मचारी है। शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि उसने 1995 से 2014 के बीच धर्मस्थल में काम किया था, और उसे धर्मस्थल में महिलाओं व नाबालिगों समेत कई लोगों के शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि कुछ शवों से यौन उत्पीड़न के संकेत मिले थे। उन्होंने इस संबंध में मजिस्ट्रेट के सामने बयान भी दिया है। एसआईटी ने जांच के तहत धर्मस्थल में नेत्रवती नदी के किनारे वन्य क्षेत्रों में शिकायतकर्ता द्वारा चिन्हित कई स्थानों पर खुदाई की थी, जहां अब तक दो स्थानों पर कुछ कंकाल के अवशेष पाए गए हैं। 

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने दक्षिण कन्नड़ के प्रसिद्ध धर्मस्थल से जुड़ेविवादित मुद्दों की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से व्यापक तौर पर जांच कराने की मांग की है। विहिप ने इसे कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के उद्देश्य से किया गया एक षड्यंत्र बताया है। विहिप के सचिव शरण पम्पवेल ने एक बयान में कहा कि निहित स्वार्थों ने सुनियोजित गलत सूचना के माध्यम से मंदिर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है, जिसे कथित तौर पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता से उत्पन्न दृश्यों और वीडियो का उपयोग करके सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया गया है। 


अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने इन कथाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया

उन्होंने कहा कि कथित तौर पर विदेशी धन से समर्थित इन अभियानों पर करोड़ों रुपये खर्च होने की बात कही जा रही है। बयान में कहा गया है कि भारत की आलोचना करने वाले अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने इन कथाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया तथा मंदिर को नकारात्मक प्रकाश में चित्रित किया। विहिप के मुताबिक स्थानीय जानकारी से पता चलता है कि प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और राजनीतिक संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) से जुड़े संगठनों ने मंदिर के खिलाफ कथित अभियान को समर्थन दिया है। विहिप ने आरोप लगाया कि विदेशी संपर्क सक्रिय रूप से अप्रत्यक्ष रूप से उन गतिविधियों का समर्थन कर रहे हैं जो भारतीय कानून का उल्लंघन करती हैं।

कर्नाटक के गृह मंत्री ने कहा- मामला एनआईए को सौंपने की कोई आवश्यकता नहीं


कर्नाटक के गृह मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर ने स्पष्ट किया है कि धर्मस्थल मंदिर के खिलाफ साजिश का मामला राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने की कोई आवश्यकता नहीं है, जैसा कि विपक्षी भाजपा और जद(एस) मांग कर रहे हैं।


शहर के सदर्न स्टार होटल में पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने भाजपा और जद(एस) नेताओं की उन माँगों का जवाब दिया, जिन्होंने मामले से जुड़े अंतर-राज्यीय वित्तीय लेनदेन का हवाला देते हुए एनआईए की जाँच की माँग की थी। डॉ. परमेश्वर ने दोहराया कि विशेष जाँच दल (एसआईटी) प्रभावी ढंग से जाँच कर रहा है और एनआईए को इसमें शामिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, "हम कौन होते हैं यह तय करने वाले कि जाँच कैसे की जाए? जाँच के लिए जो भी ज़रूरी होगा, एसआईटी करेगी।"

शिवकुमार ने भाजपा पर ही आरोप लगाया

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि धर्मस्थल के खिलाफ “षड्यंत्र” और “बदनाम करने के अभियान” के पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी हैं। उन्होंने दावा किया कि भाजपा के भीतर आंतरिक कलह इसके लिए जिम्मेदार है। भाजपा के “धर्मस्थल चलो” आंदोलन और एक सितंबर को धर्मस्थल में आयोजित होने वाली विशाल रैली पर निशाना साधते हुए उन्होंने धर्मस्थल मंजूनाथ स्वामी मंदिर के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े से आग्रह किया कि वे इस पवित्र स्थान का राजनीति के लिए दुरुपयोग न होने दें। शिवकुमार ने कहा, “भाजपा धर्म के नाम पर राजनीति कर रही है। इतने दिनों से वे चुप थे और मुंह बंद किए हुए थे। उनकी पार्टी के नेताओं ने एसआईटी जांच का स्वागत किया था। (धर्माधिकारी के) परिवार ने भी एसआईटी जांच का स्वागत किया है। हम सच्चाई सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं। अब वे (भाजपा) धर्मस्थल को अपवित्र करने की कोशिश कर रहे हैं।” 


केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने धर्मस्थल विवाद को हिंदू आस्था पर प्रायोजित हमला बताया

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने रविवार को धर्मस्थल विवाद को लेकर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और इसे हिंदू आस्था पर प्रायोजित हमला बताया तथा राज्य पर लापरवाह शासन का आरोप लगाया। सोशल मीडिया मंच एक्स पर कड़े शब्दों में लिखे गए एक पोस्ट में जोशी ने आरोप लगाया कि प्रसिद्ध धर्मस्थल मंदिर के आसपास की घटना को जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, ताकि मंदिर की छवि खराब हो सके। उन्होंने लिखा, धर्मस्थल मामला हिंदू आस्था पर एक प्रायोजित हमले के रूप में सामने आया है। कांग्रेस सरकार इसमें कूद पड़ी और एक प्राचीन हिंदू मंदिर को बदनाम करने के लिए अपने टूलकिट का पूरा इस्तेमाल किया।

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