अंतिम एकादश चुनने में गलती तो नहीं कर रहा भारत

अंतिम एकादश चुनने में गलती तो नहीं कर रहा भारत

भारतीय टीम का इंग्लैंड दौरा कई विवादों व चर्चाओं को जन्म दे रहा है। पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत की टीम 2−1 से पिछड़ गई है। बाकी के दो टेस्ट मैच में क्या अपनी टीम वापसी कर पाएगी, यह एक बड़ा सवाल है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। कोई कुछ कह रहा है तो कोई कुछ। हेड कोच गौतम गंभीर भी निशाने पर हैं। कहा जा रहा है कि उनकी वजह से ही रोहित शर्मा और विराट कोहली को जल्द संन्यास लेने का ऐलान करना पड़ा। यदि ये दोनों टीम में होते तो इंग्लैंड दौरे में हमारी दशा कुछ बेहतर होती। रोहित तो नहीं लेकिन विराट की कमी वास्तव में महसूस की जा रही है। मैदान पर उनका आक्रामक अंदाज विरोधी टीम के हौसले पस्त करने के लिए काफी होता है। खैर, अब जब वह टीम में नहीं है तो इस बात को यहीं विराम देते हुए अन्य बातों पर चर्चा करते हैं। 

कप्तान शुभमन गिल ने दूसरे टेस्ट में जबर्दस्त बल्लेबाजी करके सबका दिल जीत लिया। एजबेस्टन का यह टेस्ट भारत 336 रनों से जीत भी गया। जीतने के बाद टीम की कई कमियां छुप जाती हैं। मुख्य गेदबाज जसप्रीत बुमराह के बिना भारत ने इंग्लैंड को इतने बड़े अंतर से पराजित कर दिया। संयोग देखिए कि बुमराह अभी तक जिन दो टेस्ट मैचों में खेले उसमें भारत हार गया। लाड्र्स टेस्ट में पराजय के बाद भारतीय टीम की खूब आलोचना हो रही है। दरअसल, यह मैच भारत को जीतना चाहिए था। 193 का लक्ष्य बहुत मुश्किल नहीं था लेकिन हमारे बल्लेबाजों ने मानसिक दृढ़ता नहीं दिखाई। यह कमजोरी बहुत भारी पड़ी। विदेशी दौरों में भारत ने पहले भी बहुत कम अंतर से मैच गंवाए हैं। चौथे दिन शुरुआत खराब रही। चार विकेट गिरने से टीम इंडिया गहरे दबाव में आ गई। इससे उबरने का कोई तरीका उनके पास नहीं था। कप्तान गिल का खुद सस्ते में आउट हो जाना आत्मघाती साबित हुआ। 

ऐसे मौके पर मैच के अंतिम दिन रवींद्र जडेजा ने साहसिक पारी खेली लेकिन उनकी कोशिश नाकाम रही। 22 रन से मैच हारने पर सभी को पीड़ा हुई। जडेजा का साथ देने के लिए पुछल्ले बल्लेबाज बुमराह और सिराज बचे थे। इन्होंने भरसक प्रयास भी किया, मगर जीत इंग्लैंड के नाम लिखी थी। इसीलिए इस खेल में भाग्य का बड़ा योगदान माना जाता है। किस्मत ने भारत का साथ नहीं दिया। वर्ना भारत 2−1 से आगे होता। हमारी टीम अंग्रेजों को कड़ी टक्कर तो दे रही है, पर नतीजा अपने पक्ष में नहीं कर पा रही है। इंग्लैंड टीम अपनी धरती पर खेल रही है। इसका लाभ उसे मिल रहा है।


एक सवाल यह भी उठ रहा है कि अंतिम एकादश चुनने में कहीं भारत से गलती तो नहीं हो रही है? बल्लेबाजी मजबूत करने के चक्कर में हम एक विशेषज्ञ गेंदबाज को बाहर बैठाए हुए हैं। मैं कुलदीप यादव की बात कर रहा हूं। कुलदीप का हालिया प्रदर्शन काफी बढि़या रहा है। इंग्लैंड दौरे के लिए उनका चयन भी इसी वजह से हुआ। मगर, अंतिम एकादश में उनके लिए जगह नहीं बन रही। स्पिन गेंदबाज के तौर पर जडेजा और यहां तक कि वाशिंगटन सुंदर को उन पर तरजीह दी गई। जबकि हम देख रहे हैं कि जडेजा विकेट लेने में असफल साबित हो रहे हैं। वह बल्लेबाजी के दम पर टीम में बने हुए हैं। कुलदीप एक विशेषज्ञ स्पिनर है। इंग्लैंड के बल्लेबाजों पर अंकुश लगाने में कुलदीप कारगर साबित होते। 2021 के इंग्लैंड दौरे में भी हमने अपने मुख्य स्पिन गेंदबाज अश्विन को बाहर बैठाए रखा। उन्हें किसी भी मैच में नहीं उतारा गया। यही हाल अब कुलदीप यादव के साथ हो रहा है। लगता है, वह बिना कोई मैच खेले स्वदेश लौट आएंगे।


करूण नायर को लेकर खूब चर्चा हो रही है। अब तक की छह पारियों में उनका प्रदर्शन दमदार नहीं रहा है। उनके बल्ले से कोई अर्धशतक नहीं निकला। आठ साल बाद भारतीय टीम में वापसी करने के बाद देश ने नायर से बहुत उम्मीद लगाई थी। पर, वह इस पर खरे नहीं उतरे हैं। तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आने वाले को ठोस पारी खेल कर टीम को मजबूती देनी चाहिए। नायर को अब और मौका दिया जाए या उनकी जगह युवा साई सुदर्शन को लाया जाए? यह सवाल हवा में तैर रहा है। कप्तान और कोच को इस पर मंथन करना होगा। इस बीच चोटिल खिलाडि़यों की सूची में आकाशदीप और अर्शदीप के नाम भी शामिल हो गए हैं। ऋषभ पंत पहले ही चोटिल हैं। बुमराह के वर्कलोड को लेकर समस्या बरकरार है। वह कौन सा एक और टेस्ट खेलेंगे, इस पर संशय बना हुआ है। 


यह दौरा भारत के लिए नई टीम खड़ी करने के लिहाज से अहम है। नए कप्तान के हाथों में नई जिम्मेदारी है। हाथ आए मौके भुनाने होंगे तभी हम अंग्रेज टीम को परास्त कर पाएंगे। पहले टेस्ट में भारतीयों ने अनेक कैच छोड़े। यह लापरवाही टीम पर भारी पड़ रही है। क्रिकेट का खेल मैदान के अलावा मन से भी खेला जाता है। टीम इंडिया को दिलेरी दिखाने की जरूरत है। एजबेस्टन में जो करके दिखाया उस जज्बे को बरकरार रखिए। सीरीज में वापसी करने का मौका है। जीते या हारें पर, जान लड़ा कर खेलिए। आप इतिहास रचेंगे तो देश वाहवाही अवश्य करेगा।


(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)

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