नीतीश के सामने ही डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और अशोक चौधरी में नोकझोंक, तेजस्वी ने कसा तंज

नीतीश के सामने ही डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और अशोक चौधरी में नोकझोंक, तेजस्वी ने कसा तंज

बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही, सोमवार को प्रमुख विधायकों की बैठक के दौरान एनडीए गठबंधन के भीतर तनाव उभरकर सामने आया। सूत्रों के अनुसार, ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा आयोजित एक आधिकारिक कार्यक्रम से एक विधायक को कथित तौर पर बाहर रखे जाने को लेकर उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और जदयू मंत्री अशोक चौधरी के बीच तीखी बहस हुई। सिन्हा ने कार्यक्रम में स्थानीय विधायक की अनुपस्थिति पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसके कारण एनडीए विधायक दल की बैठक के दौरान ही तीखी बहस हो गई।

उप-मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने ज़ोर देकर कहा कि गठबंधन अनुशासन केवल एक पार्टी की नहीं, बल्कि सभी सहयोगियों की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने राजद विधायक प्रह्लाद यादव का मुद्दा भी उठाया, जिन्होंने विश्वास मत के दौरान एनडीए का समर्थन किया था। सिन्हा ने कहा कि यादव के समर्थन के बारे में शीर्ष नेताओं को पहले से जानकारी होने के बावजूद, उन्हें आधिकारिक कार्यक्रमों में आमंत्रित नहीं किया गया, और इसे गठबंधन की नैतिकता का उल्लंघन बताया।


सिन्हा ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि मुंगेर से भाजपा विधायक प्रणव यादव को भी सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रित नहीं किया गया। उनकी इस टिप्पणी ने संयुक्त कार्यक्रमों में भाजपा नेताओं को दरकिनार किए जाने की बढ़ती शिकायतों की सूची में और इज़ाफ़ा कर दिया। यह तनाव 16 जुलाई को लखीसराय में हुए एक कार्यक्रम से उपजा है, जिसमें केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और अशोक चौधरी भी शामिल हुए थे। 


ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू समेत कई भाजपा विधायकों ने उनका समर्थन किया और कहा कि इस तरह की गतिविधियाँ आगामी चुनावों में एनडीए को नुकसान पहुँचा सकती हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और एनडीए के सभी सहयोगी दलों के नेता बैठक के दौरान मौजूद थे। हालाँकि, कुमार और चौधरी दोनों ने इस तीखी बहस या बहिष्कार और निविदा नीतियों को लेकर उठाई गई शिकायतों पर कोई टिप्पणी नहीं की।

वहीं, तेजस्वी यादव ने इसको लेकर तंज कसा है। उन्होंने लिखा कि भ्रष्टाचार की बंदरबाँट को लेकर एनडीए के उपमुख्यमंत्री और वरीय मंत्री बैठक में ही एक दूसरे से झगड़ने लगे। जदयू के अधीन ग्रामीण कार्य विभाग में ग्लोबल टेंडरिंग के माध्यम से केवल बड़े ठेकेदारों को ठेका देकर चुनाव पूर्व जेडीयू ने 1000 करोड़ रुपये वसूलने का लक्ष्य रखा है। चुनाव पूर्व ग्रामीण सड़कों का निर्माण भी नहीं होना है लेकिन केवल टेंडर मैनेज कर लूट-खसोट का खेल चल रहा है। भ्रष्टाचार इतना अधिक है कि एनडीए विधायक भी चूँ तक नहीं कर सकते। हर घर का नल का जल तो इससे भी बड़ा भ्रष्टाचार है। उसमें राज्य के खजाने से हज़ारों करोड़ की संस्थागत लूट हुई है। मुख्यमंत्री अचेत और खामोश है। बाक़ी मंत्रियों को अच्छे से पता है कि सरकार जाने वाली है इसलिए खुलम-खुला लूट मची है। उपमुख्यमंत्री बेचारे विजय सिन्हा जी को कितना बेबस कर दिया है।

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