सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शारदा विश्वविद्यालय और आईआईटी खड़गपुर में आत्महत्याओं के मामलों का स्वतः संज्ञान लिया। शीर्ष अदालत ने दोनों संस्थानों को तलब किया और पूछा कि क्या पुलिस को समय पर मामले की जानकारी दी गई थी। अदालत ने कहा कि उसे लगता है कि मामले में कुछ गड़बड़ है। अदालत ने पूछा कि क्या दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज की गई थी। साथ ही, यह भी कहा कि अगर कोई गड़बड़ी पाई गई तो वह अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी। अदालत ने मामले में सहायता करने और मामले का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता अपर्णा भट्ट को न्यायमित्र नियुक्त किया।
शारदा विश्वविद्यालय आत्महत्या मामला
ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय के गर्ल्स हॉस्टल में शनिवार रात बीडीएस द्वितीय वर्ष की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली। सूचना मिलने पर मौके पर पहुँची नॉलेज पार्क कोतवाली पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। घटना की सूचना मिलते ही छात्रा के परिजन भी मौके पर पहुँच गए। पुलिस को छात्रा के कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला है। छात्रा ने डेंटल विभाग की एक महिला और एक पुरुष शिक्षक पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है। छात्रा की आत्महत्या की खबर फैलते ही गुस्साए छात्रों ने देर रात हॉस्टल परिसर में हंगामा किया और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
आईआईटी खड़गपुर आत्महत्या मामला
पश्चिम बंगाल के आईआईटी खड़गपुर परिसर में स्थित अपने छात्रावास के कमरे में बीटेक के चौथे वर्ष के एक छात्र ने आत्महत्या कर ली। यह घटना 18 जुलाई को उस समय हुई जब ऋतम मंडल (21) रात के खाने के बाद अपने कमरे में आराम करने गया था। पीटीआई के अनुसार, उसके छात्रावास के साथी ने कहा कि छात्र सामान्य दिख रहा था। अगली सुबह जब मंडल के दरवाजे पर बार-बार दस्तक देने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस ने कॉलेज के सुरक्षा गार्डों की मदद से दरवाजा तोड़ा, तो छात्र फंदे से लटका हुआ मिला।