गूगल अब अपने AI असिस्टेंट Gemini को एंड्रॉयड फोन में पहले से मौजूद कई जरूरी ऐप्स जैसे Phone App, Messages, WhatsApp और Utilities के साथ इंटरैक्ट करने की अनुमति देने जा रहा है। यह बदलाव 7 जुलाई से लागू हो गया है और खास बात यह है कि यह अपने आप इनेबल हो जाएगा, चाहे यूजर ने इसकी सेटिंग्स में बदलाव किया हो या नहीं। इस बदलाव की जानकारी गूगल ने कुछ यूजर्स को ईमेल के जरिए दी, लेकिन ईमेल की भाषा ने यूजर्स को और भी ज्यादा उलझन में डाल दिया है। गूगल ने तो बताया कि यूजर इस फीचर को बंद कर सकते हैं, लेकिन कैसे बंद करें, यह जानकारी साझा नहीं की गई।
सोशल मीडिया पर गूगल के ईमेल के स्क्रीनशॉट वायरल
इस नई जानकारी ने यूजर्स में चिंता बढ़ा दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले Twitter) पर टिप्स्टर CID और अन्य यूजर्स ने उस ईमेल के स्क्रीनशॉट शेयर किए, जिनमें इस अपडेट की पूरी जानकारी दी गई थी। सबसे पहले इस बात को टेक वेबसाइट Android Authority ने नोटिस किया। ईमेल का शीर्षक था – "We ve made it easier for Gemini to interact with your device." इसका अर्थ है कि गूगल ने जेमिनी को यूजर के डिवाइस से बेहतर तरीके से बातचीत करने में सक्षम बना दिया है। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य जेमिनी को और ज्यादा एक्टिव बनाना है, ताकि वो फोन ऐप्स के साथ खुद से काम कर सके।
सबसे बड़ा डर: सेटिंग बंद होने पर भी काम करेगा Gemini
गूगल के इस ईमेल का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा यह है कि इसमें साफ लिखा गया – "Gemini will be able to interact with these apps whether your Gemini Apps Activity is on or off." यानि अगर आपने Gemini की Apps Activity बंद भी कर रखी है, तब भी यह AI असिस्टेंट आपके WhatsApp और Phone ऐप जैसे एप्लिकेशन के साथ इंटरैक्शन कर सकेगा। यही बात यूजर्स के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण बन रही है। प्राइवेसी और डेटा की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या है Gemini Apps Activity और इसका मतलब?
Gemini Apps Activity, दरअसल गूगल जेमिनी के एक्सटेंशन का नया नाम है। यह एक फीचर है जो यूजर्स को यह नियंत्रित करने देता है कि Gemini किन ऐप्स से जुड़ सकता है। अब तक, यूजर Gemini ऐप की सेटिंग्स में जाकर तय कर सकते थे कि कौन से ऐप्स Gemini से डाटा शेयर करें और कौन नहीं। लेकिन इस नए अपडेट के बाद ये विकल्प काफी हद तक सीमित हो सकते हैं।
डेटा सुरक्षा और यूजर प्राइवेसी पर उठे सवाल
गूगल ने हमेशा अपनी सेवाओं में यूजर प्राइवेसी को अहम बताया है, लेकिन Gemini को लेकर जो ईमेल सामने आई है, उससे डेटा प्राइवेसी पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। Google Assistant के ज़माने में भी ऐप्स से इंटरैक्शन होता था, लेकिन Gemini जैसा AI मॉडल ज्यादा पावरफुल और खुद सीखने वाला होता है। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि यूजर का डेटा कैसे प्रोसेस किया जा रहा है, कहां स्टोर हो रहा है, और किस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल हो रहा है।
ईमेल की भाषा में विरोधाभास और भ्रम
गूगल ने अपने ईमेल में अंत में कहा – "अगर आप इन फीचर्स का उपयोग नहीं करना चाहते हैं, तो आप Apps Settings पेज में जाकर इन्हें बंद कर सकते हैं।" लेकिन ये बात खुद ईमेल की पहली बातों से विरोधाभासी है, क्योंकि शुरुआत में ही कहा गया था कि फीचर ऑन या ऑफ होने से फर्क नहीं पड़ेगा। यानी एक तरफ गूगल कहता है कि आप सेटिंग से इस एक्सेस को बंद कर सकते हैं, लेकिन दूसरी तरफ यह भी कहता है कि फीचर फिर भी काम करता रहेगा। इससे यूजर्स के बीच भारी भ्रम और असमंजस की स्थिति बन गई है।
AI से सुविधा तो बढ़ी, पर नियंत्रण जरूरी
Google Gemini का यह नया अपडेट तकनीक के लिहाज से भले ही सुविधाजनक हो, लेकिन इसके चलते यूजर्स की निजता और नियंत्रण पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। यदि AI अपने आप ऐप्स से इंटरैक्ट करता रहेगा, तो इसका मतलब है कि यूजर्स के पास अपने डिवाइस पर नियंत्रण कम होता जा रहा है। गूगल को चाहिए कि वह इस फीचर की स्पष्ट गाइडलाइंस और ट्रांसपेरेंट कंट्रोल ऑप्शन उपलब्ध कराए, ताकि यूजर्स तय कर सकें कि वे किन ऐप्स में AI को अनुमति देना चाहते हैं और किन में नहीं।
- डॉ. अनिमेष शर्मा