भारत के लिए 1961 से 1975 के बीच 46 टेस्ट और पांच वनडे मैच खेलने वाले फारुख इंजीनियर ने मौजूदा टेस्ट सीरीज को लेकर बड़ा बयान दिया है. दिवंगत मंसूर अली खान पटौदी के करीबी मित्र फारुख इंजीनियर ने कहा कि इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने टेस्ट श्रृंखला की ट्रॉफी का नाम बदलकर गलत.
ईसीबी ने 2007 में भारत-इंग्लैंड टेस्ट श्रृंखला के लिए पटौदी ट्रॉफी की शुरुआत की थी, लेकिन पांच मैच की वर्तमान श्रृंखला शुरू होने से पहले इसका नाम बदलकर एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी कर दिया गया. इस फैसले की सुनील गावस्कर जैसे क्रिकेटरों ने आलोचना की थी.
फारुख इंजीनियर भी इस फैसले से निराश हैं, लेकिन इसके साथ उन्हें यह भी लगता है कि सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन की उपलब्धियां निर्विवाद हैं. तेंदुलकर ने ईसीबी से संपर्क किया, जिसके बाद घरेलू बोर्ड ने श्रृंखला जीतने वाली टीम के कप्तान को पटौदी पदक देने का फैसला किया.
मैनचेस्टर में रहने वाले इंजीनियर ने पीटीआई से कहा, ‘टाइगर पटौदी मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे. मेरे बहुत अच्छे सहयोगी थे. हमने काफी टेस्ट मैच साथ में खेले. मुझे सबसे ज्यादा खुशी तब हुई जब 2007 में ट्रॉफी का नाम उनके नाम पर रखा गया.’
इंजीनियर ने कहा, ‘तेंदुलकर और एंडरसन की उपलब्धियों पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. इस कहानी के दो पहलू हैं. उन्होंने पदक का नाम पटौदी के नाम पर रखा है जो बहुत सोच-समझकर किया गया फैसला है.’
पटौदी परिवार का भारत-इंग्लैंड क्रिकेट से गहरा नाता रहा है. इफ्तिखार अली खान पटौदी और उनके बेटे मंसूर दोनों ने भारत की कप्तानी की और दोनों ने इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेला. भारत हेडिंग्ले में खेले गए पहले टेस्ट मैच में हारने के बाद पांच मैचों की श्रृंखला में 0-1 से पीछे है.