Maharashtra: विजय रैली में तो उद्धव-राज ठाकरे होंगे एक साथ, क्‍या चुनाव भी साथ लड़ेंगे

Maharashtra: विजय रैली में तो उद्धव-राज ठाकरे होंगे एक साथ, क्‍या चुनाव भी साथ लड़ेंगे

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे क्‍या साथ आएंगे? सवाल इसल‍िए क्‍योंक‍ि ‘थ्री लैंग्‍वेज’ फार्मूला पर फडणवीस सरकार पीछे हटी तो दोनों ने एकजुट होकर विजय रैली निकालने का ऐलान कर द‍िया है. 5 जुलाई को होने जा रही इस रैली में दोनों द‍िग्‍गज नेता साथ होंगे. वर्षों कड़वाहट के बीच ऐसा पहली बार होगा, जब दोनों नेता एक साथ नजर आएंगे. महाराष्‍ट्र की राजनीत‍ि में इसे बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है. अब सवाल है क्‍या वे चुनाव भी साथ मिलकर लड़ेंगे? देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे ही नहीं, शरद पवार, राहुल गांधी से लेकर अजीत पवार की भी इस पर नजर है. आइए जानते हैं महाराष्‍ट्र पॉल‍िट‍िक्‍स के लेटेस्‍ट अपडेट….

शिवसेना ठाकरे पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे से जब मीडिया ने पूछा क‍ि क्‍या आगामी नगर निगम चुनावों में वे राज ठाकरे की पार्टी के साथ गठबंधन करने के ल‍िए तैयार हैं? इस पर उद्धव ने कहा कि मुंबई नगर निगम चुनावों की घोषणा नहीं हुई है. उद्धव ने संकेत दिया है कि चुनाव घोषित होने के बाद वह गठबंधन पर टिप्पणी करेंगे. चर्चा है कि ठाकरे बंधुओं के साथ आने से महाराष्‍ट्र की राजनीति के समीकरण बदल जाएंगे. शिवसेना, ठाकरे गुट और मनसे के बीच गठबंधन की चर्चा है. ठाकरे गुट और मनसे नेताओं के बीच पर्दे के पीछे चर्चा चल रही है. उसके आधार पर गठबंधन की बातचीत चल रही है. विजय रैली को लेकर राज ठाकरे ने कहा कि सरकार के खिलाफ सभी एकजुट थे. इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. सभी मराठी के लिए एकजुट थे. राज ठाकरे ने यह भी कहा कि 5 जुलाई की विजय रैली को राजनीति से परे भी देखा जाना चाहिए. इस चुनाव के दौरान गठबंधन और गठबंधन बनते रहेंगे, लेकिन जब मराठी भाषा ही खत्म हो जाए तो गठबंधन और गठबंधन का क्या मतलब रह जाता है.

इस पर देवेंद्र फडणवीस ने भी जवाब द‍िया. उन्‍होंने कहा, दो भाई साथ में आएं तो हमें क्या फर्क पड़ता है. दो भाई साथ में आएं, चाय पीएं अच्‍छी बात है. फडणवीस ने पलटूराम कहे जाने पर भी पलटवार क‍िया. उन्‍होंने कहा, ह‍िन्‍दी विवाद पर फ‍िर जवाब द‍िया. उन्‍होंने कहा, पहली बात तो ये है उनका ह‍िन्‍दी को लेकर विरोध है, हमारा विरोध नहीं है. हमारा किसी भाषा को लेकर विरोध नहीं है. जहां तक ह‍िन्‍दी को अनिवार्य सिखाने का सवाल है, इस संदर्भ में जो निर्णय हुआ था, उनके कार्यकाल में हुआ था, वही सामने आया. पलटने की आदती उनकी है. पलटूराम उनके लिए सही है.

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