जम्मू-कश्मीर: जो बंकर बचाते हैं दुश्मन के हमलों से जान, उनके लिए केंद्र का आधा फंड नहीं हुआ इस्तेमाल

जम्मू-कश्मीर: जो बंकर बचाते हैं दुश्मन के हमलों से जान, उनके लिए केंद्र का आधा फंड नहीं हुआ इस्तेमाल

ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पार से अंधाधुंध गोलीबारी के बाद जम्मू-कश्मीर के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर बंकरों की मांग की गई. इसी बीच पिछले पांच सालों में जम्मू-कश्मीर राज्य में बंकरों के निर्माण में लेटलतीफी की बात सामने आई. RTI से पता चला कि पिछले पांच वर्षों में जम्मू कश्मीर प्रशासन को सीमावर्ती क्षेत्रों में बंकर निर्माण के लिए मिली राशि में केवल 50 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई है.

जम्मू निवासी रमन कुमार ने बंकरों को लेकर RTI दायर की. इस आरटीआई का जवाब देते हुए जम्मू-कश्मीर गृह विभाग ने बताया कि केद्र सरकार की तरफ से 2020 से 2025 के बीच लेफ्टिनेंट गवर्नर की अध्यक्षता वाले केंद्र शासित प्रदेश को सीमावर्ती क्षेत्रों में बंकर निर्माण के लिए लगभग 242 करोड़ रुपये दिये गए थे, जिसमें से केवल 129 करोड़ रुपये ही बंकर बनवाने में खर्च किए गए.

बंकर निर्माण की जरूरत क्यों?

भारत और पाकिस्तान ने शुरू में 2003 में संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन पाकिस्तान ने अक्सर समझौते का उल्लंघन किया. 2020 में एक साल के अंदर लगभग 5,000 से भी अधिक उल्लंघन के मामले दर्ज किए गए. जिसको लेकर केंद्र सरकार ने 2018-19 में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी गोलाबारी का सामना करने वाले सीमावर्ती निवासियों के लिए लगभग 14,000 व्यक्तिगत और सामुदायिक बंकरों को बनवाने का आदेश दिया था. इसके लिए उन्होंने लगभग 415 करोड़ रुपये राशि आवंटित की थी.

दरअसल, भारत पाकिस्तान के साथ 3,323 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. जम्मू-कश्मीर में 221 किलोमीटर अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) और 744 किलोमीटर नियंत्रण रेखा (LoC) आती है.

ऑपरेशन सिंदूर के तहत ये बंकर रहे कारगर

जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने बताया कि अब तक केंद्र शासित प्रदेश में भारत-पाकिस्तान सीमा पर 9,500 बंकर स्थापित किए जा चुके हैं. पिछले महीने पाकिस्तान की भारी गोलाबारी के दौरान ये बंकर सीमावर्ती निवासियों के लिए जीवन रक्षक साबित हुए. इस बंकरों से निवासियों को जान-माल का नुकसान कम हुआ. उन्होंने कहा कि हालांकि रिहायशी घरों को भारी नुकसान हुआ और पशुओं की भी हानि हुई.

गृह-विभाग ने RTI का दिया जवाब

आरटीआई का जवाब देते हुए गृह विभाग ने कहा कि भारत सरकार ने वर्ष 2020 से अब तक जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिलों में रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा के लिए बंकरों के निर्माण के लिए कुल 242 करोड़ रुपये की धनराशि जम्मू-कश्मीर सरकार को दी गई थी. बताया जा रहा है जिसमें से सरकार ने केवल 129 करोड़ रुपये ही बंकर बनवाने में खर्च किए हैं. उन्होंने बताया कि राजौरी जिले में सबसे अधिक 78.05 करोड़ रुपये की धनराशि का उपयोग बंकर बनाने में किया गया, उसके बाद पुंछ में लगभग 44 करोड़ रुपये, सांबा में 42 करोड़ रुपये, कठुआ में 37 करोड़, जम्मू में 17 करोड़, कुपवाड़ा में 14 करोड़ , बांदीपोरा में 4.33 करोड़ रुपये और बारामूला में मात्र 4.15 करोड़ रुपये खर्च किया गया.

जीवन रेखा की तरह होते हैं सामुदायिक बंकर- सीएम

सीएम ने भारत पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर के कुछ ही दिन बाद गोलीबारी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार लोगों के लिए अलग-अलग बंकर बनाने की नीति तैयार करेगी. उन्होंने बताया कि कई सालों में कोई नया बंकर नहीं बना है. मैं जहां भी गया, लोगों ने कहा कि हमें व्यक्तिगत बंकर बनाने चाहिए. सीएम ने कहा कि सरकार इस पर एक नीति बनाएगी और नियंत्रण रेखा और सीमा के पास के क्षेत्रों के लोगों के लिए एक योजना तैयार करेगी. उन्होंने कहा कि संकट के समय सामुदायिक बंकर जीवन रेखा की तरह होते हैं. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले अपने लोगों की सुरक्षा और सहायता के लिए ऐसे बंकरों का निर्माण होना आवश्यक है.

दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 6 और 7 मई की मध्यरात्रि को सीमा पार से आतंकी हमले किए थे. इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई. पुंछ और राजौरी में सबसे अधिक नागरिक हताहत हुए, जिसके कारण सीमा पर और अधिक सुरक्षा बंकरों के निर्माण की मांग की गई.

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