पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया था. अब इस समझौते को लेकर सरकार जनता के बीच जाकर आउटरीच कार्यक्रम चलाएगी. इस कार्यक्रम के जरिए लोगों को समझाया जाएगा कि इस संधि को ठंडे बस्ते में क्यों रखा गया? और जनता को यह भी बताने का प्रयास किया जाएगा कि इस संधि को स्थगित करने से हमारे देश को क्या लाभ हो सकता है. सरकार चाहती है कि जनता ही ये बात बोले कि सिंधु जल समझौता अन्यायपूर्ण है.
जानकारी के अनुसार इस कार्यक्रम के जरिए खासतौर से उत्तर भारत के उन राज्यों में संदेश पहुंचाया जाएगा, जहां भविष्य में नदियों के पानी के इस्तेमाल होने की संभावना है. इस कार्यक्रम की शुरुआत जम्मू कश्मीर, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों से होगी.
केंद्रीय मंत्री ने ली जिम्मेदारी
इस आउटरीच कार्यक्रम के माध्यम से जनता तक संदेश पहुंचने की जिम्मेदारी कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों को दी गई है. मंत्री बहुत ही आसान भाषा में लोगों के बीच जाकर उन्हें इस संधि के स्थगित होने और भविष्य में भारत को इससे होने वाले फायदे के बारे में बताएंगे. इन मंत्रियों में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और अन्य मंत्री भी शामिल हैं
बुकलेट भी किए जा रहे तैयार
जानकारी के अनुसार, जनता को समझौता रद्द करने के फायदे आसानी से समझ आए, इसके लिए हिंदी, अंग्रेजी , पंजाबी समेत अन्य भाषाओं में बुकलेट भी तैयार किया जा रहा है. बुकलेट के जरिए किसानों को बताया जाएगा कि अब उनके खेतों और फसलों के लिए पानी की कमी नहीं होगी, आम लोगों को बताया जाएगा कि पानी के इस्तेमाल से बिजली पैदा करने की संभावनाएं ज्यादा होंगी. ये भी बताया जाएगा कि कांग्रेस की सरकार ने 1960 में ये समझौता करके भारत के किसानों के साथ अन्याय किया और भारत के हिस्से का पानी और पैसे भी समझौते के तहत पाकिस्तान को दे दिया.
भारत नदी के पानी का बेहतर इस्तेमाल करेगा
भारत सिंधु नदी के पानी का अपने लिए बेहतर इस्तेमाल करेगा और इसके लिए दीर्घकालिक रणनीति पर काम किया जा रहा है. इसमें 160 किलोमीटर नहर बनाना शामिल है ताकि चेनाब को रावी, व्यास और सतलुज नदी तंत्र से जोड़ा जा सके. इस तरह पानी जम्मू कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक ले जाया जा सकेगा. सरकार की योजना सिंधु जल को राजस्थान के श्रीगंगानगर से जोड़ने की है और इसे तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मौजूदा 13 नहर व्यवस्थाओं को जोड़ा जाएगा. इससे न केवल इन क्षेत्रों में जल की उपलब्धता बढ़ जाएगी बल्कि भारत सरप्लस पानी का इस्तेमाल भी अपने लिए कर सकेगा