बिहार: नई वोटर लिस्ट पर सियासी बवाल, चुनाव आयोग बोला- कोई वोटर न छूटे

बिहार: नई वोटर लिस्ट पर सियासी बवाल, चुनाव आयोग बोला- कोई वोटर न छूटे

बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले सियासी पारा हाई है. विपक्ष नई वोटर लिस्ट को लेकर सरकार समेत चुनाव आयोग पर सवाल खड़े कर रहा है. इन सब आरोप-प्रत्यारोपों के बीच इलेक्शन कमीशन ने वोटर का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू कर दिया है. बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं को गणना पत्र (इम्युमरेशन फॉर्म) वितरित कर रहे हैं. इसी को लेकर विपक्ष की तरफ से कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं.

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाताओं को गणना पत्र (इम्युमरेशन फॉर्म) भरकर संबंधित दस्तावेज के साथ इसे जमा कराना है. इसके पीछे चुनाव आयोग का तर्क है कि फर्जी वोटर का पता चलेगा और नए वोटरों को जोड़ा जाएगा. चुनाव आयोग ने साफ कहा कि इस कार्यक्रम कोई मतदाता नहीं छूटेगा.

फॉर्म मिलने के बाद क्या करना होगा?

बीएलओ की तरफ से अगर आपको भी ये फॉर्म दिया गया है तो आपको नाम, फोटो, पता, EPIC नंबर, आधार नंबर, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर, माता पिता से जुड़ी जानकारी देनी होगी. आप ये जानकारी ऑनलाइन भी भर कर सकते हैं. आखिरी बार ये काम बिहार में साल 2003 में कराया गया था. 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों के लिए- उन्हें अपनी जन्म तिथि या स्थान की सत्यता स्थापित करने के लिए कोई एक वैध दस्तावेज देना होगा.

चुनाव आयोग के इस फैसले से नाराज इंडिया गठबंधन

बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट के रिवीजन का फैसला किया है. ये काम 29 जुलाई तक चलने वाला है. इंडिया गठबंधन की नाराजगी के बीच आज से ये काम शुरू हो चुका है. विपक्ष ने मांग की है कि आयोग के इस फैसले पर तुरंत रोक लगाई जाए. ऐसा कहा जा रहा है कि इंडिया गठबंधन जल्द चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा सकता है. चुनाव से पहले बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर घमासान मचा हुआ है.

पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि हमें संदेह है कि इस कवायद का उद्देश्य, जिसमें मतदाताओं से ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो बहुत कम लोगों के पास हो सकते हैं. इस फैसले की मदद से बड़ी संख्या में लोगों को मताधिकार से वंचित करना है. विशेष रूप से दलित, मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग जैसे वंचित वर्गों को.

बिहार के वजूद को खत्म करने की साजिश

AICC मीडिया और पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने कहा कि ये खुले तौर से साजिश है, डाका है. ये डाका सिर्फ बिहार के वोटरों पर नहीं, उनके अधिकारों पर, उनकी पहचान पर, उनकी नागरिकता पर डाला जा रहा है. बिहार के लोगों के वजूद को खत्म करने की यह साजिश रची जा रही है.

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