तमिलनाडु की राजनीति और मीडिया जगत में तब एक बड़ा भूचाल आया जब पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन ने अपने बड़े भाई और सन टीवी नेटवर्क के प्रमुख कलानिधि मारन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए कानूनी नोटिस भेज दिया। हम आपको बता दें कि यह विवाद केवल पारिवारिक नहीं, बल्कि हजारों करोड़ की संपत्ति और देश की एक बड़ी मीडिया कंपनी के नियंत्रण को लेकर है। दयानिधि मारन ने आरोप लगाया है कि उनके बड़े भाई कलानिधि मारन ने तमिलनाडु की राजनीति की लाखों शेयरों को अवैध रूप से अपने नाम पर स्थानांतरित कर लिया। उन्होंने कहा कि यह सब 2003 में उनके पिता मुरासोली मारन की बीमारी और मृत्यु के समय हुआ, जब परिवार भावनात्मक रूप से कमजोर था।
द्रमुक सांसद दयानिधि मारन ने अपने बड़े भाई कलानिधि मारन को कानूनी नोटिस भेज कर आरोप लगाया है कि कलानिधि ने नियमों की अवहेलना कर चेन्नई स्थित सन टीवी समूह के लाखों शेयरों को अपने नाम पर स्थानांतरित कर लिया, जिनकी कीमत हजारों करोड़ रुपये है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि दयानिधि ने कहा है कि कलानिधि मारन को 2023 तक डिविडेंड के रूप में ₹5,926 करोड़ और 2024 में ₹455 करोड़ प्राप्त हुए। उन्होंने कहा, "आपके द्वारा किए गए अपराध अब भी चल रहे हैं।" हम आपको बता दें कि सन टीवी नेटवर्क लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2024-25 में ₹4,544 करोड़ का कारोबार और ₹1,654.45 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया था।
दयानिधि मारन ने चेतावनी दी है कि अगर कलानिधि और उनके सहयोगी, जिनमें उनकी पत्नी कावेरी कलानिधि भी शामिल हैं, एक सप्ताह के भीतर कंपनी को 15 सितंबर 2003 की स्थिति में वापस नहीं लाते, तो वे SFIO, SEBI, ED और अन्य वैधानिक एजेंसियों से कार्रवाई करने का आग्रह करेंगे। दयानिधि मारन ने साथ ही एमके दयालु अम्मल (दिवंगत सीएम करुणानिधि की पत्नी) और मुरासोली मारन (दयानिधि के पिता) के कानूनी उत्तराधिकारियों को उनके शेयर वापस लौटाने की भी मांग की है। दयानिधि ने यह भी कहा कि वह सन ग्रुप के दो दर्जन सैटेलाइट चैनलों, रेडियो चैनलों, अखबारों और अन्य व्यवसायों को बंद कराने की मांग करेंगे। साथ ही, वे बीसीसीआई से सनराइजर्स हैदराबाद का फ्रेंचाइज़ी लाइसेंस रद्द कराने और DGCA से स्पाइसजेट का परिचालन लाइसेंस रद्द कराने की भी मांग करेंगे।
दयानिधि ने बताया कि मूल कंपनी सुमंगली पब्लिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर केवल दयालु अम्मल और मल्लिका मारन (मुरासोली मारन की पत्नी) थे और 12 दिसंबर 1985 को दोनों के पास 50-50% शेयर थे। दयानिधि के मुताबिक सितंबर 2003 में जब मुरासोली मारन गंभीर रूप से बीमार थे और उनकी मृत्यु की संभावना थी, उसी समय कलानिधि मारन ने M/s SUN TV प्राइवेट लिमिटेड के 12 लाख शेयर अपने नाम पर करवा लिए, बिना किसी उचित मूल्यांकन, मुआवज़ा और अन्य हिस्सेदारों की सहमति के, जबकि 15 सितंबर 2003 तक उनके पास एक भी शेयर नहीं था।
मुरासोली मारन की मृत्यु 23 नवंबर 2003 को हुई और मृत्यु प्रमाण पत्र 20 फरवरी 2004 को जारी हुआ, परंतु कलानिधि ने 26 नवंबर 2003 को ही शेयर अपने नाम ट्रांसफर करवा लिए, जो कि कानूनी रूप से संभव नहीं था, क्योंकि उस समय कोई उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र या मृत्यु प्रमाण पत्र मौजूद नहीं था। नोटिस में कहा गया है कि उस समय न तो कोई प्रशासक था, न कोई उत्तराधिकारी नियुक्त था और न ही उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी हुआ था। इसलिए यह अत्यंत चौंकाने वाली बात है कि आपने 0% से 60% हिस्सेदारी एक ही रात में हासिल कर ली। जबकि असली प्रमोटर्स की हिस्सेदारी को जानबूझकर 50% से घटाकर 20% कर दिया गया।
दयानिधि ने कहा कि 12 लाख शेयर ₹10 प्रति शेयर की दर से खरीदे गए, यानि कुल ₹1.2 करोड़ का भुगतान किया गया, जबकि उस समय इन शेयरों का बाजार मूल्य ₹3,500 करोड़ था— इस प्रकार, ₹3,498.8 करोड़ "अपराध की आय" है। दयानिधि ने कहा है कि 16 दिसंबर 2005 को मल्लिका मारन के 1,14,999 शेयर भी बिना कानूनी उत्तराधिकारियों की जानकारी के कलानिधि को स्थानांतरित कर दिए गए, जबकि कुछ हफ्ते पहले ही उन्होंने दयालु से शेयर ₹3,173.04 प्रति शेयर की दर से खरीदे थे। उन्होंने कहा कि दयालु अम्मल से शेयरों को ₹100 करोड़ में धोखे से खरीदा गया, जबकि यदि वे अपने शेयर अपने पास रखतीं, तो डिविडेंड से उन्हें ₹100 करोड़ मिल सकते थे। दयानिधि ने आरोप लगाया कि यह सारा लेनदेन कंपनी के धन से किया गया और इस प्रक्रिया में दयालु को धोखा दिया गया।
हम आपको यह भी बता दें कि यह कलानिधि को भेजा गया पहला कानूनी नोटिस नहीं है। 7 अक्टूबर 2024 को भी एक नोटिस भेजा गया था, जिसके जवाब में कलानिधि ने "बिना किसी ठोस जानकारी के एक अस्पष्ट उत्तर" दिया था। इसके बाद कलानिधि ने अपनी बहन अन्बुकरासी को ₹500 करोड़ का भुगतान किया, जो मुरासोली मारन की कानूनी उत्तराधिकारी हैं। दयानिधि के नोटिस में यह भी कहा गया है कि "पिता की मृत्यु के 21 वर्षों बाद बहन को भुगतान करना केवल सच्चाई को दबाने और उन्हें चुप कराने का प्रयास है।" दयानिधि ने आरोप लगाया कि कावेरी कलानिधि को ₹87.5 करोड़ सालाना वेतन दिया गया, जिससे उन्होंने अनुचित रूप से लाभ कमाया। नोटिस में कहा गया है कि "आपने और आपकी पत्नी ने 2003 से अब तक जो भी आर्थिक लाभ, संपत्ति और आय गैरकानूनी रूप से अर्जित की है, उसे तुरंत दयालु और मुरासोली मारन के उत्तराधिकारियों को वापस लौटाया जाए।" यह नोटिस कलानिधि मारन, कावेरी कलानिधि, रवि राममूर्ति, नटराजन शिवसुब्रमणियन (सीए), श्रीधर स्वामीनाथन (वित्तीय सलाहकार), स्वामीनाथन और शरद कुमार को भी भेजा गया है।
बहरहाल, मारन परिवार का यह विवाद केवल संपत्ति का झगड़ा नहीं, बल्कि राजनीति, मीडिया, कॉर्पोरेट और पारिवारिक मूल्यों का टकराव बन गया है। जब एक परिवार के भीतर इतना बड़ा आरोप-प्रत्यारोप हो रहा हो, तो सवाल यह उठता है कि क्या इसमें सच्चाई है, या यह महज़ नियंत्रण पाने की लड़ाई है? देखना होगा कि जब आरोपों की पड़ताल जांच एजेंसियां और न्यायपालिका करेगी तब और क्या-क्या नई चीजें सामने आती हैं।