प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कथित 2,000 करोड़ रुपये के कक्षा निर्माण अनियमितताओं के मामले में दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में निजी ठेकेदारों के लगभग 37 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जांच के दायरे में हैं। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने इस बात की जानकारी दी। ईडी की जांच दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी (एफआईआर) से शुरू हुई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मार्च में एसीबी को स्कूल के कमरों और इमारतों के निर्माण में कथित अनियमितताओं को लेकर सिसोदिया और जैन के खिलाफ औपचारिक रूप से जांच करने की मंजूरी दी थी। एसीबी ने 30 अप्रैल को इस मामले में सिसोदिया (जो पिछली आप सरकार में उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री थे) और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री जैन के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था। यह मंजूरी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत मांगी गई थी, जिसके तहत सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने राष्ट्रपति के फैसले से 11 मार्च को एसीबी को अवगत करा दिया। जब कथित अनियमितताएं हुईं, तब सिसोदिया शिक्षा मंत्री थे, जबकि जैन दिल्ली सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। जुलाई 2018 में केंद्र द्वारा एक संशोधन के माध्यम से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में धारा 17ए डाली गई, जिसके तहत पुलिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या भ्रष्टाचार अपराधों से निपटने वाली किसी भी जांच एजेंसी के लिए सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित किसी भी अपराध में कोई भी “जांच” या “जांच” या “जांच” करने से पहले पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है।
Delhi Classroom Scam में 37 ठिकानों पर ED की छापेमारी, जांच के दायरे में सिसोदिया और सत्येंद्र जैन



