जिस उम्र के बच्चे को भारत सरकार बाइक चलाने का लाइसेंस तक नहीं देती उसी छोटी उम्र में वैभव सूर्यवंशी दुनिया के तूफानी गेंदबाजों के होश उड़ा दिए हैं. डेढ़-दो साल पहले जब रणजी ट्रॉफी में डेब्यू पर वैभव खबरों में आए तो लगा कि उन्हें कुछ बढ़ाचढ़ाकर पेश किया जा रहा है. वैसे भी क्रिकेट के नक्शे पर बिहार को बहुत संजीगदी से कहां लिया जाता है. लेकिन वैभव सूर्यवंशी ने जिस अंदाज में अपने को पेश किया है, उससे अब उनकी तुलना सिर्फ सचिन तेंदुलकर से ही हो सकती है. और कोई भी क्रिकेटर उनकी राह में आता नहीं दिखता. लेकिन जब हम सचिन का करियर देखते हैं तो ऐसा लगता कि वैभव सूर्यवंशी उनका फास्ट फॉरवर्ड वर्जन है. सचिन जो काम 16-17 साल में कर रहे थे, वैभव वह 14-15 साल में ही कर लेना चाहते हैं. भारतीय क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. वैभव सूर्यवंशी से उनकी तुलना करना रोमांचक है. खासकर जब हम उनके रणजी ट्रॉफी डेब्यू, घरेलू क्रिकेट में शतक, और इंग्लैंड में प्रदर्शन पर नजर डालते हैं. सचिन तेंदुलकर ने 1988 में मात्र 15 साल की उम्र में मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया था. यह वो दौर था जब सचिन ने अपनी बैटिंग से सभी को चौंका दिया था. उन्होंने अपने पहले रणजी मैच में शतक बनाकर दुनिया को बता दिया था कि क्रिकेट का नया शहंशाह आ गया है. वैभव सूर्यवंशी ने 2024 में 13 साल और 269 दिन की उम्र में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया.इससे वे इस टूर्नामेंट में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने. हालांकि डेब्यू मैच में उनका बल्ला शांत रहा लेकिन उनके आत्मविश्वास ने दिग्गजों का ध्यान खींचा. रणजी ट्रॉफी और आईपीएल में शतक सचिन तेंदुलकर रणजी मैच में शतक जड़कर अपनी काबिलियत का लोहा मनवा ही चुके थे. 1988 में हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में विनोद कांबली के साथ उनकी 664 रन की ऐतिहासिक साझेदारी ने भी उनका नाम रातोंरात दुनिया में मशहूर कर दिया था. दूसरी ओर वैभव अपने रणजी डेब्यू में भले ही कमाल नहीं कर पाए लेकिन आईपीएल 2025 में सबका दिल जीत लिया. हम सबने इस 14 साल के बैटर के सामने अच्छे-अच्छे गेंदबाजों को पिटते देखा. उन्होंने गुजरात टाइटंस के खिलाफ 35 गेंदों में 100 रन बनाकर टी20 क्रिकेट में सबसे कम उम्र में शतक लगाने का रिकॉर्ड बनाया. वैभव ने जिस गेंदबाजी अटैक के सामने यह पारी खेली, उसमें मोहम्मद सिराज से लेकर राशिद खान जैसे इंटरनेशनल स्टार थे. इंग्लैंड में शतक बनाकर लोहा मनवाया सचिन तेंदुलकर 1988 तक भारत में अपना नाम बना चुके थे. साल 1989 में पाकिस्तान दौरे पर वसीम अकरम, वकार यूनुस, इमरान खान और अब्दुल कादिर का भी उन्होंने अच्छे से सामना किया. लेकिन दुनिया ने टेस्ट क्रिकेट में उनका लोहा तब माना जब उन्होंने 17 साल की उम्र में इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में 119 रन (नाबाद) बनाए. यह उनका पहला टेस्ट शतक था. इस पारी ने भारत को हार से बचाया और सचिन को विश्व क्रिकेट में एक उभरते सितारे के रूप में स्थापित किया. वैभव इसी महीने अंडर-19 टीम के साथ इंग्लैंड जाने वाले हैं. वे इस टूर के लिए एनसीए में तैयारी कर रहे हैं. इस तैयारी के दौरान उन्होंने गेंदबाजों को जैसी आसमानी सैर कराई है, उससे इंग्लिश गेंदबाजों के होश भी उड़ सकते हैं. वैभव ने अभी एक दिन पहले ही 90 गेंद में 190 रन ठोक दिए. सचिन का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं वैभव 14 साल के वैभव को लेकर कोई भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी. लेकिन यह तय है कि अगर वे इंग्लैंड की स्विंग और सीम गेंदबाजी का सामना कर बड़े स्कोर बनाते हैं तो उनके लिए भारतीय टीम के दरवाजे भी जल्दी ही खुल सकते हैं. भारत को अगले साल टी20 वर्ल्ड कप खेलना है. सीनियर्स को ‘धक्के मारकर’निकाल रहे चयनकर्ता अगर युवा टैलेंट को टीम में मौका दें तो हैरान नहीं होना चाहिए. इस बात में कोई शक नहीं कि वैभव जिस अंदाज में आगे बढ़ रहे हैं, उससे वे सचिन का सबसे कम उम्र में डेब्यू का भारतीय रिकॉर्ड भी तोड़ सकते हैं. वैभव को अगर ऐसा करना है तो सचिन के 1990 के इंग्लैंड दौरे के प्रदर्शन को उसी देश में दोहराना होगा. इसके बाद तो सारा आसमान इस बिहार के लाल का ही है.
New Delhi: सचिन तेंदुलकर की तरह छोटी सी उम्र में इंग्लैंड में जलवा दिखाने की राह पर वैभव सूर्यवंशी



