ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की रक्षा क्षमताओं का लोहा तो दुनिया ने माना ही साथ ही भारतीय सैन्य बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका और अग्रिम मोर्चे पर डट कर मुकाबला करने की उनकी क्षमता से भी पूरा विश्व रूबरू हुआ है। खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नारी शक्ति की सराहना करते हुए कहा है कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई में महिला पायलटों ने पाकिस्तान में ठिकानों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि ऑपरेशन सिंदूर में सशस्त्र बलों की हर शाखा में महिलाओं की सक्रिय और प्रभावी भागीदारी रही। गोवा में आईएनएसवी तारिणी के फ्लैग-इन समारोह को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जब से सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, उन्होंने हर भूमिका में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है और हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। उन्होंने कहा कि आज सैनिक स्कूलों के दरवाजे लड़कियों के लिए खुले हैं और नेशनल डिफेंस एकेडमी से 17 महिलाएं पास आउट हुई हैं। जब से सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, उन्होंने हर भूमिका में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है और हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। रक्षा मंत्री ने गोवा में दो महिला नौसेना अधिकारियों लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए की भी सराहना की, जो नाविका सागर परिक्रमा ।। के सफल समापन के बाद घर लौट आई हैं। उन्होंने इस ऐतिहासिक अभियान को पूरा करने में उनके साहस, प्रतिबद्धता और धीरज की प्रशंसा की और इसे नारी शक्ति, या महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बताया। हम आपको बता दें कि इन दोनों महिला अधिकारियों ने आठ महीनों में 25,600 समुद्री मील की दूरी तय की, जिसमें फ्रेमेंटल (ऑस्ट्रेलिया), लिटलेटन (न्यूजीलैंड), पोर्ट स्टेनली (फॉकलैंड द्वीप समूह) और केप टाउन (दक्षिण अफ्रीका) में पोर्ट कॉल किए गए। रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों अधिकारियों को उनके पोर्ट कॉल के दौरान मिले गर्मजोशी भरे स्वागत ने दुनिया भर में तिरंगा लहराकर देश को गौरवान्वित किया है। बीएसएफ में भी महिलाओं की भूमिका बढ़ी वहीं बीएसएफ में महिला शक्ति की बात करें तो आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर एक पाकिस्तानी चौकी के बिल्कुल नजदीक स्थित सीमा चौकी की कमान संभालने वाली सहायक कमांडेंट नेहा भंडारी ने जवानों का नेतृत्व करते हुए ‘जीरो लाइन’ के पार शत्रु की तीन अग्रिम चौकियों को मुंहतोड़ जवाब देकर खामोश कर दिया था। नेहा के अलावा छह महिला कांस्टेबल अग्रिम सीमा चौकी पर बंदूक थामे थीं और सांबा-आर एस पुरा-अखनूर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार दुश्मन के ठिकानों पर दागी गई हर गोली के साथ उनका जोश बढ़ता जा रहा था। उन्होंने कहा कि महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं और उन्होंने तीन दिनों तक चले टकारव के दौरान पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पुरुष समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे साथ 18 से 19 महिला सीमा रक्षक थीं। छह महिलाएं निगरानी चौकियों पर पर गोलीबारी का जवाब दे रही थीं। हमें उन पर गर्व है।’’ अग्रिम चौकियों पर महिलाओं की भूमिका और पाकिस्तानी चौकियों पर गोलीबारी में उनकी भागीदारी की प्रशंसा करते हुए बीएसएफ के महानिरीक्षक शशांक आनंद ने कहा, ‘‘बीएसएफ की महिलाकर्मियों ने इस ऑपरेशन में शानदार भूमिका निभाई। हालांकि उनके पास बटालियन मुख्यालय में जाने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने अपने पुरुष समकक्षों के साथ अग्रिम चौकियों पर ही रहने का फैसला किया और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। शशांक आनंद ने कहा कि सहायक कमांडेंट नेहा भंडारी समेत बीएसएफ की महिला कर्मियों ने अग्रिम चौकियों पर तैनात रहकर और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास दुश्मन के ठिकानों पर हमला करके अनुकरणीय साहस दिखाया। उन्होंने कहा, बीएसएफ की महिला सैनिकों ने इस ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश की संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा के लिए अग्रिम पंक्ति पर डटी रहीं। एक अग्रिम चौकी पर बंदूक ताने तैनात रहीं कांस्टेबल शंकरी दास ने कहा, ‘‘हमारी अपनी ड्यूटी थी। हम सीमा पर तैनात हैं, अपने कार्यों को हमेशा की तरह पूरा करते हैं। हमारे वरिष्ठ कमांडरों ने हमें स्थिति के बारे में जानकारी दी और चेतावनी दी कि गोलीबारी हो सकती है। हमें गोली का जवाब गोली से देने का निर्देश दिया गया था। इसलिए, जैसे ही गोलीबारी शुरू हुई, हमने गोली से जवाब दिया।" इसी तरह, कांस्टेबल स्वप्ना रथ, अनीता, सुमी, मिल्कीत कौर और मंजीत कौर अपने पुरुष समकक्षों की तरह विभिन्न चौकियों पर बंदूक तानें 173रखी थीं और पाकिस्तानी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दे रही थीं। मंजीत कौर ने कहा, "हमें बंदूक ताने रहने और जवाबी कार्रवाई करने पर गर्व है। यह हमारे लिए सम्मान की बात थी।" एनडीए का नया रिकॉर्ड दूसरी ओर, पुणे स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से स्नातक 17 महिला कैडेट के पहले बैच ने शुक्रवार को 300 से अधिक पुरुष कैडेट के साथ ‘पासिंग आउट परेड’ में हिस्सा लेकर इतिहास रच दिया। एनडीए में पुरुष और महिला कैडेट का यह पहला सह-शिक्षा बैच है। कैडेट खड़कवासला में त्रि-सेवा प्रशिक्षण अकादमी के खेत्रपाल परेड ग्राउंड में ‘अंतिम पग’ से गुजरे, जिसे व्यापक रूप से ‘‘नेतृत्व का उद्गम स्थल’’ के रूप में जाना जाता है। बहरहाल, सियाचिन की ऊंचाइयों से लेकर महासागर की गहराइयों तक, भारतीय महिलाएं कई जिम्मेदारियां निभा रही हैं, जिससे देश की सुरक्षा और भी मजबूत हुई है। इसके साथ ही भारत-पाक सैन्य संघर्ष के दौरान भारत सरकार की आधिकारिक प्रेस वार्ताओं को कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने संबोधित कर पूरी दुनिया को संदेश दिया कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में हमारा देश कितना आगे बढ़ चुका है।
समय बदला, अब महिलाएं भी संभाल रहीं हैं युद्ध का मोर्चा, सियाचिन की ऊंचाइयों से लेकर महासागर की गहराइयों तक, सुरक्षा मजबूत करने में जुटी है नारी शक्ति



