डीएम की पड़ताल , अपना जिला अस्पताल - वैसा सुना , ऐसा समझा नई उम्र , ओपन कैजुअल शर्ट , सामान्य सा हाव भाव , थोड़ा आम थोड़ा खास सा अंदाज़ , मरीज के बेड पर टेक लगाए , एक मरीज बच्चे के पास आधा बैठा आधा खड़ा ये व्यक्ति आम व्यक्ति ही है ऐसा हरदोई के मेडिकल कॉलेज में मौजूद आम और खास सभी लोगों ने पहले पहले सोचा पर उस व्यक्ति के साथ मौजूद फोर्स फाटा देख ये समझने में ज्यादा देर नही लगी कि ये व्यक्ति आम नही खासों में भी खास है । डीएम हरदोई की कुर्सी पर हाल ही में सुशोभित हुए अनुनय झा उम्मीद के मुताबिक ही अपने पहले निरीक्षण को अंजाम देने पहुंच गए बीती शाम मेडिकल कॉलेज । मरीजों से बात की , डॉक्टर्स जो मौजूद मिले उनसे बात की , जो डीएम की मौजूदगी सुनकर मौजूद हुए उनसे भी बात की । क्या क्या मेडिकल सुविधाएं मिल सकती हैं किसी आम व्यक्ति को उनके बारे में जानकारी ली और कमियों के विषय मे समझने की कोशिश की । खुद का ब्लड टेस्ट भी कराया , एक्सरे होने में जो दिक्कत थी उसे समझा । रेडियोलॉजिस्ट जैसे जरूरी पद पर कोई तैनात क्यों नही है इसको भी समझा । संविदा ( कांट्रेक्ट बेस ) पर किसी को रखने की प्रक्रिया जानी और कितनी तनख्वाह मिलेगी उसे ये भी जाना , ज़ाहिर है कोई भी यही पूछेगा "कितना मिलेगा" । जो डॉक्टर सबसे ज्यादा ड्यूटी करते हैं उनको ही सबसे ज्यादा सुनना भी पड़ गया , अब जो दिखेगा ज्यादा वो सुनेगा भी ज्यादा । गिले शिकवे भी उसी से जो सुने सबकी कायदे से । मीडिया वालों से दो तीन बार कहा कि प्लीज वीडियो न बनाइये पर क्यों न बनाएं , डीएम साहब अपना काम कर रहे थे और मीडिया के लोग अपना । बंद कमरे में घुसकर बनाते वीडियो तो भई मना कर सकते थे । सो वीडियो बनाये गए थोड़ी सी मुरव्वत के साथ । डीएम साहब बोले कि हमे सिंघम नही बनना तो मीडिया के साथी एक बोले हमे बनाना भी नही । कुल मिलाकर कोल्ड कॉफी सा निरीक्षण रहा , मीठा भी , इंस्टेंट एनर्जी वाला भी और ठंडा भी । ताकि सनद रहे हरदोई के प्रभारी मंत्री जो कि खुद में बड़ा मुकाम रखते हैं , जो नेता कम ब्यूरोक्रेट ज्यादा अब भी हैं , उन्होंने अपने जनपद के प्रथम आगमन पर पहला पहला निरीक्षण बड़े जोश में मेडिकल कॉलेज का ही किया था , काफी कुछ अंट बंट भी मिला था उनको । आज आलम ये है कि उनसे अगर उस निरीक्षण का नाम भी ले दे कोई तो शरमा से जाते हैं । अपने कई समकक्षों , करीबियों से कह चुके हैं कि उस निरीक्षण के बारे में कोई पूछता है तो इम्बैरेस सा फील करते हैं । एक वार्ड ब्याय तक इधर से उधर नही हुआ उनकी शिकायतों पर । अब मंत्री जी नही करा पाए तो डीएम साहब कितना कुछ कमी बेसी पूरी करा पाएंगे इसके लिए समझदार को इशारा काफी है । पर कार्यवाई या परिणाम आना न आना इम्पार्टेंट नही है । इम्पार्टेंट है अपनी आहट देते रहना , जताए रहना कि कोई निगेहबान , सरकार का प्रतिनिधि , पब्लिक का खैरख्वाह है कोई मौजूद जिले में , और आपका संस्थान उसी जिले की सीमाओं के अंदर अपना वजूद रखता है । आग के लिए पानी का भय बना रहना जरूरी है । इति ।। अभिनव खंज़र सूत्र
DM की पड़ताल - जिला अस्पताल - आग के लिए पानी का भय बना रहना चाहिए



