Jyoti Malhotra प्रकरण ने दिलाई Madhuri Gupta Spy Case की याद, Pakistan ने दोनों भारतीय महिलाओं को अपने जाल में इस तरह फँसाया

Jyoti Malhotra प्रकरण ने दिलाई Madhuri Gupta Spy Case की याद, Pakistan ने दोनों भारतीय महिलाओं को अपने जाल में इस तरह फँसाया

पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाली यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने माधुरी गुप्ता प्रकरण की यादें ताजा करा दी हैं। हम आपको याद दिला दें कि माधुरी गुप्ता भी पाकिस्तान के लिए काम करने के आरोप में पकड़ी गई थीं। इन दोनों महिलाओं के बीच बड़ा अंतर यह है कि माधुरी गुप्ता कोई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर नहीं, बल्कि एक राजनयिक थीं। वह इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में प्रेस व सूचना विभाग की द्वितीय सचिव के पद पर कार्यरत थीं। माधुरी गुप्ता एक हनीट्रैप का शिकार हुई थीं, जब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के अधिकारी जमशेद ने उन्हें "अमर प्रेम" का झांसा देकर भावनात्मक रूप से फंसा लिया और उन्हें अपने मकसद के लिए इस्तेमाल किया। हम आपको याद दिला दें कि साल 2010 की वसंत ऋतु में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने माधुरी गुप्ता को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act) के तहत गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला था कि पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी मुदस्सर रज़ा राणा और जमशेद ने एक महिला पत्रकार के जरिए माधुरी गुप्ता से संपर्क साधा था और उन्हें जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अज़हर की किताब दिलाकर भरोसा जीता था। यहीं से एक खतरनाक रिश्ते की शुरुआत हुई थी। जांच में यह भी सामने आया था कि उस समय 52 वर्ष की माधुरी गुप्ता, इस्लामाबाद में अपने आवास पर लगे कंप्यूटर और एक ब्लैकबेरी फोन के ज़रिए "जिम" नाम से कोडित जमशेद और राणा से लगातार संपर्क में थीं। माधुरी गुप्ता, जमशेद से इतनी प्रभावित थीं कि उन्होंने इस्लाम धर्म अपना कर उससे शादी करने और इस्तांबुल घूमने की इच्छा तक जताई थी। उनके संवादों में सूफीवाद, रूमी और उर्दू भाषा जैसे विषयों पर चर्चा होती थी, जिसमें वह पारंगत थीं। अंग्रेजी समाचारपत्र टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब छह दर्जन ईमेल lastrao@gmail.com और arao@gmail.com जैसे आईडी से बरामद किए गए थे जो पाकिस्तानी एजेंटों ने ही उनके लिए बनाए थे। ट्रांसक्रिप्ट से पता चला था कि जमशेद और उसका वरिष्ठ अधिकारी मुदस्सर रज़ा राणा, उस समय के पाक गृहमंत्री रहमान मलिक का बैचमेट था। उन्होंने माधुरी गुप्ता की पेशेवर नाखुशी का फायदा उठाकर उसे अपने देश के प्रति गद्दारी करने के लिए उकसाया था। पूछताछ में माधुरी गुप्ता ने बताया था कि उन्हें भारत सरकार से नाराज़गी थी क्योंकि उनकी दो साल की छुट्टी को मंज़ूरी नहीं दी गई थी और वेतन भी रोका गया था। पुलिस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि मार्च 2010 में माधुरी गुप्ता मुदस्सर रज़ा राणा के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर गई थीं, जहां उन्होंने राज्य की वार्षिक योजना रिपोर्ट हासिल करने की कोशिश की थी। दरअसल मुदस्सर रज़ा राणा की रुचि 2020 तक प्रस्तावित 310 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना से संबंधित जानकारी को हासिल करने में थी। इस्लामाबाद में माधुरी गुप्ता के वरिष्ठ अधिकारियों को तब संदेह हुआ था जब उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र से बाहर के विषयों में रुचि दिखाना शुरू कर दिया था। इसके साथ ही उच्चायोग में भारत की एक खुफिया इकाई द्वारा की जा रही एक आंतरिक जांच से मिले इनपुट ने अलर्ट बढ़ा दिया था। उन्हें तत्काल दिल्ली बुला लिया गया, यह कहकर कि SAARC सम्मेलन की तैयारियों में उनकी ज़रूरत है। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई। हम आपको याद दिला दें कि 2018 में दिल्ली की एक अदालत ने माधुरी गुप्ता को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 और 5 के तहत दोषी करार दिया था। अदालत ने कहा कि “आरोपित द्वारा भेजी गई ईमेल्स स्पष्ट रूप से संवेदनशील सूचनाएं थीं, जो शत्रु देश के लिए उपयोगी हो सकती थीं और भारत की विदेश नीति के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण थीं।” दोषसिद्धि के बाद माधुरी गुप्ता ने एकांत जीवन व्यतीत किया। ज़मानत पर बाहर आने के बाद वे राजस्थान के भिवाड़ी में अकेली रहती थीं। अक्टूबर 2021 में 64 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। उन्होंने अपने दोषसिद्धि के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी, जो उनकी मृत्यु के समय तक लंबित थी। जहां तक ज्योति मल्होत्रा की बात है तो आपको बता दें कि उसको पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से जुड़े व्यक्ति ‘अपने सम्पर्क’ के तौर पर तैयार कर रहे थे। यह दावा हिसार के पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार सावन ने किया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह भी (एक तरह का) युद्ध है, जिसमें वे इन्फ्लूएंसर को अपने साथ जोड़कर अपने आख्यान को आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं।’’ बताया जा रहा है कि ट्रैवल ब्लॉगिंग करने के दौरान ज्योति दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के एक कर्मचारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में आई और जासूसी के जाल में फंस गई। उसने दानिश का मोबाइल नंबर ले लिया। दोनों की बातें होने लगीं। उसके बाद उसने दो बार पाकिस्तान की यात्रा की थी। रिपोर्टों के मुताबिक ज्योति दुबई, थाईलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल, भूटान, चीन और बांग्लादेश की भी यात्रा कर चुकी है। हिसार के एसपी शशांक कुमार ने बताया है कि उसके बैंक खातों और विदेश यात्राओं, खासतौर पर पाकिस्तान, चीन और कश्मीर यात्रा की गहराई से जांच हो रही है। उन्होंने यह भी बताया है कि पूछताछ के दौरान यह सामने आया है कि ज्योति पाकिस्तान के कुछ हाई प्रोफाइल लोगों के संपर्क में रही है। ज्योति मल्होत्रा पाकिस्तान हाई कमीशन के अधिकारियों के संपर्क में भी थी और उनके कार्यक्रमों में जाया करती थी। उसका पाकिस्तान दौरा भी प्रायोजित था। पुलिस सूत्रों का यह भी कहना है कि ज्योति मल्होत्रा पूछताछ में कई सवालों का सीधा-सीधा जवाब नहीं दे रही है। बताया जा रहा है कि उसके सोशल मीडिया वीडियो सिर्फ उसका एक पक्ष दिखाने के लिए थे। जबकि वह नियमित रूप से एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल पाकिस्तानी एजेंटों के साथ संपर्क में रहने के लिए करती थी। जांच एजेंसियों को यह भी शक है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, पाकिस्तान ने भारत की सेना और हवाई गतिविधियों के साथ-साथ तैनाती के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए अपने कई सोर्स को एक्टिव किया था। यह भी बताया जा रहा है कि अटारी-वाघा बॉर्डर और करतारपुर कॉरिडोर में वीआईपी मूवमेंट की जानकारी जुटाने के लिए पाकिस्तान के खुफिया अधिकारी ज्योति मल्होत्रा और अन्य एजेंटों का इस्तेमाल कर रहे थे। यह भी बताया जा रहा है कि ज्योति मल्होत्रा को अपने किये पर कोई पछतावा नहीं है और उसने दोनों देशों के बीच दुश्मनी के दौरान पाकिस्तान के पक्ष में जारी किए गए एक वीडियो का बचाव किया है। सूत्रों के मुताबिक वह कह रही है कि उसने अपने अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का इस्तेमाल किया है। बहरहाल, देखना होगा कि इस मामले में जांच में और क्या क्या सामने आता है। लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि माधुरी गुप्ता हो या ज्योति मल्होत्रा...पाकिस्तान के जाल में फंसने का मतलब अपना और अपनों का जीवन बर्बाद करना होता है।

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