भारत का वो धार्मिक संप्रदाय जिसके साधु महिलाओं को देख भी नहीं सकते, बात करना तो दूर

भारत का वो धार्मिक संप्रदाय जिसके साधु महिलाओं को देख भी नहीं सकते, बात करना तो दूर

स्वामीनारायण संप्रदाय देश के सबसे बड़े धार्मिक संप्रदायों में है. इसके मंदिर देश के साथ विदेशों में भी फैले हैं. गुजरात में ये बहुत मजबूत है. हाल ही जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक दिल्ली G20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आए तो अपनी पत्नी के साथ स्वामीनारायण संप्रदाय के विशाल अक्षरधाम मंदिर भी गए. ये संप्रदाय अपने साधुओं को स्त्रियों से दूर रहने के लिए खास 08 हिदायतें देता है.

देश में स्वामीनारायण संप्रदाय ना केवल सबसे पुराने संप्रदायों में है बल्कि ये ऐसा हिंदू संप्रदाय भी है, स्वामीनारायण संप्रदाय के साधु महिलाओं को देख भी नहीं सकते. यह नियम आज भी उतना ही सख्त है. आज भी जब बोचासनवासी अक्षय पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संप्रदाय के साधुओं को एकसाथ दीक्षा दी जाती है, तब उन्हें इससे संबंधित नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा जाता है. वैसे महिलाओं से संबंधित ये नियम क्या हैं, ये हम आपको आगे बताएंगे.

स्वामीनारायण की ये संस्था बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था भी कहलाती है. दरअसल इस संप्रदाय की शुरुआत अयोध्या से द्वारका गए घनश्याम पांडे ने किया था. द्वारका आने के बाद वह सहजानंद स्वामी बने. फिर आगे चलकर स्वामीनारायण बन गए. लेकिन ये संस्था तब बंट गई जब स्वामीनारायण ने इस संस्था का दारोमदार अपने दो भतीजों को देने की कोशिश की. इस संस्था को बने हुए 200 सालों से ज्यादा हो चुके हैं

जब स्वामीनारायण ने अपनी संस्था को भतीजों को देने की कोशिश की तो संस्था के ही कुछ साधुओं ने विरोध किया. जिस वजह दूसरे खेमे ने साधु परंपरा को अपनाया. साधु परंपरा वाली संस्था ही अब बीएपीएस कहलाती है और अब ये सबसे ज्यादा लोकप्रिय और ताकतवर है. यही संस्था अपने साधुओं को महिलाओं से दूर रहने को कहती है.

जब इस संस्था में साधुओं को दीक्षा देते हैं तो उन्हें महिलाओं से संबंधित 08 सूत्रीय बातों पर सख्ती से अमल करने को कहा जाता है. इसे निष्कामी वर्तमान कहा जाता है. इसके तहत नियम सूत्र कहता है - महिलाओं द्वारा कही जा रही किसी बात को मत सुनो. दूसरा नियम - स्त्रियों के बारे में किसी हालत में बात नहीं की जाए.

नियम साफ कहता है कि महिलाओं से बात कदापि नहीं करें. चौथे नियम में कहा गया है कि महिलाओं के साथ किसी भी तरह के आमोद - प्रमोद में नहीं रहें. मतलब साफ है साधु महिलाओं से किसी तरह की बात नहीं करेंगे. उनके पास भी नहीं फटकेंगे और उनके साथ हंसी मजाक या मनोरंजन के बारे में तो सोचा ही नहीं जा सकता. साधुओं को सख्ती से इसका पालन करना होता है. अब आइए अगले 04 निषेधात्मक नियमों के बारे में बताते हैं

पांचवां नियम भी इसी बात को आगे बढ़ाकर कहता है कि जानबूझकर स्त्री की ओर बिल्कुल नहीं देखना है. छठा नियम कहता है कि उनके बारे में सोचना भी नहीं है. सातवां नियम कहता है कि महिलाओं की संगत की कोशिश भी नहीं करनी. आखिरी नियम भी इसी से जुड़ी बात कहता है.

आठवां और आखिरी निष्कामी नियम ये प्रावधान करता है कि किसी भी तरह से स्त्रियों से सेक्स संबंध नहीं स्थापित करें. कुल मिलाकर ये संप्रदाय अपने साधुओं को किसी भी तरह से स्त्रियों से दूर रहने और बात नहीं करने के अलावा उनकी सोच में भी इन्हें नहीं आने की हिदायत देता है

साधुओं को कुछ और बातों का पालन करने को कहा जाता है, जिसमें संपत्ति से दूर रहने, पास नहीं रखने, छूने से भी दूर रहने की बात को कहा गया है. उनसे अपेक्षा की जाती है कि वो लकड़ी की कटोरी खाएंगे और उसी में पानी पियेंगे. भगवान के अलावा किसी अन्य से कोई अनुराग नहीं रखेंगे

Leave a Reply

Required fields are marked *