जयपुर; राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों का भारत बनाने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी अब चुनावों में जीत के लिए गांधी के अनुयायियों की मदद लेगी. सरकार ने शांति एवं अहिंसा निदेशालय बनाया है. राजधानी जयपुर में दो दिन तक गांधी दर्शन सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन में 50 हजार गांधी के अनुयायी बनाने का संकल्प लिया गया और गांधी के विचारों को आम जन तक पहुंचाने की कसमें खाई गईं. इस दौरान केंद्र सरकार पर भी हमला बोला गया. साथ ही साल के अंत में होने वलो विधानसभा चुनाव में किसी भी हाल में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया गया.
प्रदेश के कांग्रेसी नेता गांधी के नाम पर बुलाए गये सम्मेलन में चुनाव को युद्ध करार देते नजर आये तो गांधीवाद चिंतक भाजपा पर हमलावर रहे. खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता विभाग के राज्य के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि राजस्थान में चुनाव नहीं युद्ध होगा, इसलिए कमर कस कर मैदान में मुकाबला करना पड़ेगा. गांधी के अनुयायी सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाकर जनता को कांग्रेस को वोट देने की अपील करें. जानेमाने गांधीवादी चिंतक कुमार प्रशांत ने इस मौके पर कहा कि लोकतंत्र खतरे में हैं और राजस्थान में बीजेपी की सरकार को आने से रोकना होगा. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करना होगा, तभी देश में लोकतंत्र बच सकता है. ये काम गांधी के अनुयायियों को करना होगा.
कुमार प्रशांत ने आगे कहा कि महात्मा गांधी को भारत ने ही नहीं पूरी दुनिया ने अपना माना है और कई पार्टियां आज भी उनके बताए मार्ग पर चलने का दावा करती हैं. असल में अब गांधी उनके लिए हित साधने का जरिया भर बन गए हैं. कांग्रेस पार्टी गांधी के शिष्यों का कुनबा बढाना चाहती है, ताकि गांधी के जीवन मूल्यों और आदर्शों का प्रचार-प्रसार कर नई पीढ़ी को पार्टी के करीब लाया जा सके. इसलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव से पहले गांधीजी से अपने जुड़ाव को अब और व्यापक बनाना चाहते हैं.
‘गहलोत को कहा जाता मारवाड़ का गांधी’
राजनीति के जानकार अशोक गहलोत को महात्मा गांधी की विचारधारा के नजदीक मानते हैं. उन्हें मारवाड़ का गांधी तक कहा जाता है. शांति एवं अहिंसा निदेशालय की स्थापना को इसी कड़ी में जोड़कर देखा जा रहा है. 20 करोड़ की लागत से सरकार निदेशालय बना रही है तो गांधी के नाम पर अनूठा म्यूजियम भी बनाया जा रहा है, जो पूरे देश का ध्यान खींचता है. कांग्रेस पार्टी खुद को गांधी का सच्चा अनुयायी बताती है. साथ ही हर मंच से बीजेपी को कोसते और लोकतंत्र पर घेरने में कोई कसर भी नहीं छोड़ती हैं. सीएम गहलोत ने केंद्र सरकार को आज यहां तक कह दिया कि अगर केंद्र सरकार का लोकतंत्र में यकीन है तो उन्हें भी शांति एवं अहिंसा का निदेशालय बनाना चाहिए. मुखौटा लगाकर खुद को लोकतांत्रिक दिखाने भर से काम नहीं चलता है.
नफरत के बाजार में खोली मोहब्बत की दुकान
महात्मा गांधी को दुनिया को अलविदा कहे 7 दशक से ज्यादा का वक्त गुजर गए है, लेकिन आज भी वह राजनीतिक दलों की मझधार में फंसी नाव की पतवार बने हुए हैं. कुछ उन्हें मन से मानते हैं, तो कुछ उनका नाम लेकर अपने सियासी हित साधकर भूल जाते हैं. अब गहलोत सरकार ने भी गांधी को याद धर्म-जाति के नाम पर खींची विभाजन की रेखाओं को मिटाने की बात कर रही हैं. गहलोत सरकार का कहना है कि उसने नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने के लिए गांधी को आम जनता तक पहुंचाया है. साथ ही आने वाले दिनों में गांधी के अनुयायी घर-घर जाकर कांग्रेस के लिए वोट मांगते नजर आएंगे.