UP: 100 घंटे में 100 लेन KM रोड तैयार; 200 रोडरोलर और 2000 मजदूरों ने दिन-रात किया काम, गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर बनाया नया रिकॉर्ड

UP: 100 घंटे में 100 लेन KM रोड तैयार; 200 रोडरोलर और 2000 मजदूरों ने दिन-रात किया काम, गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर बनाया नया रिकॉर्ड

गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे (NH-91) पर 100 घंटे में 100 लेन किलोमीटर बिटुमिनस कंक्रीट बिछाकर (डाबर रोड बनाकर) नया रिकॉर्ड दर्ज किया गया है। इस काम में 200 रोडरोलर और करीब दो हजार से ज्यादा मजदूर लगे। सिक्स लेन हाईवे की इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सेलिब्रेट किया। इससे पहले 100 घंटे में 75 लेन किलोमीटर रोड बनाने का रिकॉर्ड था। इस सिक्स लेन हाईवे को बनाने में खूबसूरती का बेहद ख्याल रखा गया है। हाईवे के बीचोंबीच डिवाइडर पर पूरी तरह हरियाली है। कुछ जगह डिवाइडर तो कुछ जगह साइड वॉल पर प्रॉपर लाइटिंग है। आपको बता दें कि साल-2011 में NHAI ने इस हाईवे को फोर लेन बनाया था। अब सिंगापुर की क्यूब हाईवे कंपनी के सहयोग से इसे सिक्स लेन बनाया जा रहा है।

PM बोले- उल्लेखनीय उपलब्धि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके लिखा- एक बहुत ही महत्वपूर्ण राजमार्ग पर उल्लेखनीय उपलब्धि। यह बेहतर बुनियादी ढांचे के लिए गति और आधुनिक तरीकों को अपनाने दोनों को दिए गए महत्व को प्रकट करता है।

नितिन गडकरी ने इसे बताया भारत का समर्पण

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट करके कहा- ये उपलब्धि भारत के सड़क, बुनियादी, ढांचा उद्योग के समर्पण को बयां करती है। मैं क्यूब हाईवे, L&T और गाजियाबाद-अलीगढ़ एक्सप्रेसवे प्राइवेट लिमिटेड की असाधारण टीमों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं। गाजियाबाद-अलीगढ़ खंड 118 किलोमीटर लंबा है। ये परियोजना गाजियाबाद से शुरू होकर दादरी, गौतमबुद्धनगर, सिकंदराबाद, बुलंदशहर, खुर्जा होकर गुजरती है। ये एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग के रूप में काम करता है। माल की आवाजाही को सुविधाजनक बनाता है। औद्योगिक क्षेत्रों, 

ईंधन की खपत और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन किया कम

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, हमने इस परियोजना में कोल्ड सेंट्रल प्लांट री-साइकिलिंग (CCPR) को लागू किया है। हरित प्रोद्यौगिकी में 90 फीसदी मिल सामग्री का उपयोग हुआ है, जो सड़क की सतह के लगभग 20 लाख वर्गमीटर है। इससे वर्जिन मैटेरियल की खपत 10 फीसदी तक कम हो गई है। इस दृष्टिकोण को अपनाकर हमने ईंधन की खपत और ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को काफी कम कर दिया है।

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