वाराणसी कोर्ट में आज मुस्लिम पक्ष दाखिल करेगा आपत्तियां

वाराणसी कोर्ट में आज मुस्लिम पक्ष दाखिल करेगा आपत्तियां

वाराणसी अदालत में आज पूरे ज्ञानवापी परिसर के साइंटिफिक सर्वे वाली याचिका पर मुस्लिम पक्ष की आपत्तियां ली जाएंगी। 16 मई को संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की एक फ्रेश याचिका जिला अदालत में दायर की गई थी। जिस पर 22 मई को जिला अदालत में ही सुनवाई होगी। मगर, जिला अदालत ने सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष की आपत्तियां मांगी थी। ऐसे में आज अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी अपनी आपत्तियां दाखिल करेगी।

मुस्लिम पक्ष बोला- वजूखाने वाली जगह सील तो सर्वे नहीं हो सकता

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, वजूखाने वाली जगह सील है। ऐसे में वहां पर किसी तरह का साइंटिफिक सर्वे नहीं हो सकता। जबकि, हिंदू पक्ष का कहना है कि सुरक्षा के मानकों का ध्यान रखते हुए कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) सर्वे किया जाएगा।

हिंदू पक्ष के सभी वादी फिर से एक हो गए

कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग और GPR सर्वे कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद हिंदू पक्ष के सभी वादी फिर से एक हो गए हैं। वादी जितेंद्र सिंह विसेन की ओर से आज उनके वकील शिवम गौर द्वारा वाराणसी कोर्ट में अपना समर्थन पत्र प्रस्तुत किया जाएगा। जितेंद्र विसेन ने कहा कि संपूर्ण परिसर के सर्वे वाली मांग के लिए वे बाकियों के साथ हैं। बता दें कि हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की तरफ से 6 वादियों ने वाराणसी जिला अदालत में वाद दाखिल किया था।

हिंदू पक्ष ने कहा- कार्बन डेटिंग और GPR टेस्ट कराया जाए

जितेंद्र सिंह विसेन ने कहा कि पूरे ज्ञानवापी परिसर की GPR पद्धति से ASI द्वारा जांच की जाए। संपूर्ण जांच में हमारी 150 मांगें हैं। हम इन सभी पर कोर्ट का आदेश चाहते हैं। प्रार्थना पत्र का हम पूरी तरह से समर्थन और सहयोग करते हैं।

उपरोक्त विषय से संबंधित समर्थन पत्र आज हमारी तरफ से जिला न्यायालय वाराणसी में दाखिल कर दिया जाएगा। 15 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और GPR टेस्ट कराई जाए, लेकिन यह कैसे होगा इसका फैसला जिला अदालत 22 मई को करे। इसमें ASI के वकील अपना पक्ष रखेंगे।

मछलियां जिंदा रहें, इसलिए वुजूखाने में फाउंटेन बनाया

मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजामिया और सुन्नी सेंट्रल बोर्ड समेत कुल 8 वादी हैं। 7वें वादी मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव मोहम्मद सैयद यासीन ने कहा, जिस कथित शिवलिंग की जांच कराने की बात की जा रही है, वह एक फाउंटेन है। दरअसल, जहां पर वुजूखाना होता है, उसके पानी में मछलियां होती हैं। पानी स्थिर रहने से मछलियों के जिंदा रहने की संभावना कम होती है और पानी भी गंदा हो जाता है। इसलिए, पानी में फ्लो के लिए एक फाउंटेन बनाया गया।

उन्होंने कहा, चूना-सूर्खी से एक गोल आकृति बनाकर उसके बीचो-बीच ड्रिल किया गया। जिससे पानी का फ्लो ऊपर की ओर आए। फाउंटेन के सबसे ऊपर बोतल के आकार की एक आकृति थी, जिसे दो साल पहले निकालकर अलग कर दिया गया था। जिससे वहां पर पांच खाने वाले निशान दिखते हैं।

1883 के मैप में नहीं था वुजूखाने का वजूद

मोहम्मद सैयद यासीन ने कहा, 1883-84 में जिला कलेक्ट्री अभिलेखागार से एक मैप भी निकाला गया है, जिसमें स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि उस समय ज्ञानवापी के अंदर वुजूखाना ही नहीं था। पहले लोग कुएं से पानी निकालकर वुजू करते थे। जब वुजूखाना ही नहीं था तो फिर फाउंटेन कहां से होता, जिसे कि आज शिवलिंग कहा जा रहा है। वुजूखाना बना और उसके बाद फव्वारा बना। जो लोग पूरे परिसर के साइंटिफिक सर्वे की बात कर रहे हैं, उनका कोई आधार नहीं है।

उन्होंने कहा, ज्ञानवापी के गोल गुंबद के नीचे मंदिर के शिखर होने की बात कही जा रही है। जबकि, तीनों गोल गुंबद डबल लेयर की दीवार के सहारे खड़े हैं। उन्हें मालूम नहीं है कि मस्जिदों में जो मीनार या गुंबद होता है वो सिंगल लेयर होगा तो गिर जाएगा। बौद्ध लोगों का कहना है कि यहां पर बौद्ध विहार था, लेकिन किसी के पास ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है।

मुस्लिम पक्ष का तंज- पूरे बनारस की खोदाई करा लें फिर

मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जब वुजूखाने की मांग की थी, तो उसी समय ही कह देते कि पूरे परिसर या पूरे बनारस का सर्वे चाहिए। इन सबका कोई अंत नहीं है। पूरे बनारस की खोदाई करा लें। अदालत में हम अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। जहां जाना होगा वहां जाएंगे। हिंदू पक्ष के लोग कहते हैं कि सर्वे में कुछ सामने आए तो मस्जिद के अंदर खोदाई कराएंगे, जबकि पिछले साल हाईकोर्ट का ही आदेश है कि इस परिसर में किसी तरह की खोदाई नहीं हो सकती।

1937 में जज ने दो बार मुआयना किया, उन्हें नहीं दिखा कुछ: सैयद यासीन

सैयद यासीन के अनुसार, 1937 में सिविल जज ने परिसर का दो बार मुआयना किया, उन्हें ऐसी कोई चीज नहीं दिखी। उन्होंने अपने ऑर्डर में लिखा कि यह मस्जिद ऊपर से लेकर नीचे तक मुस्लिम वक्फ की प्रॉपर्टी है। इसलिए, उन्हें नमाज पढ़ने और उर्स मनाने का हक है। क्या वे जज ने किसी दबाव में आदेश दिया था। जिला जज किसकी-किसकी आपत्तियां स्वीकार करते हैं। उन्हें समय मिलेगा या नहीं हम नहीं कह सकते। हमें पूरा अधिकार नहीं है।

विष्णु शंकर जैन बोले- शिवलिंग पर बने 5 खांचे की जांच होगी

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि पूरे परिसर की ASI जांच हो। गुंबद के नीचे मंदिर के शिखर हैं, उनकी जांच हो। GPR सर्वे के बाद यदि नीचे चीजें मिलती हैं तो खोदाई का आदेश हो। यहां पर बाबा आदि विश्वेश्वर का भव्य मंदिर बने। हम यही चाहते हैं। ASI की सर्वे नॉन डिस्ट्रक्टिव मेथड से डेटिंग करेंगे। इसमें शिवलिंग के पार्टिकल नहीं लिए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि शिवलिंग के ऊपर जो 5 खांचे बने हैं, जिससे पता चलेगा कि छेड़छाड़ कैसी हुई। शिवलिंग के नीचे क्या है, उसकी जांच-पड़ताल होगी। हम 38 साल से ज्ञानवापी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हम अब नजदीक आ गए हैं। अब बाबा का उद्धार होगा। शिवलिंग से लेकर पूरे परिसर की जांच हो, तभी सच्चाई बाहर आएगी।

रेखा पाठक ने कहा कि बाबा से हमने कामना की है कि वो जल्दी मुक्त हो। पिछले सर्वे में जो अधूरा रह गया, वो इस बार पूरा हो जाए। हमारी यही मनोकामना है।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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