UP: Most वॉन्टेड माफिया धर्मेंद्र किरठल की तलाश में ड्रोन क्यों न उड़ाएं? जब 49 में 15 मुकदमे कत्ल के हों

UP: Most वॉन्टेड माफिया धर्मेंद्र किरठल की तलाश में ड्रोन क्यों न उड़ाएं? जब 49 में 15 मुकदमे कत्ल के हों

Gangster Dharmendra Kirthal: तीन राज्य यूपी, हरियाणा, दिल्ली पुलिस को हमेशा तलाश रहती है. सिर पर करीब 49 मुकदमे अलग-अलग थानों में दर्ज हैं. इनमें से 15 मुकदमे तो सिर्फ और सिर्फ कत्ल के ही बताए जाते हैं. पुलिस के हाथ आसानी से लगता नहीं है. सो भनक लगते ही तलाशने के लिए पुलिस अक्सर आसमान में ‘ड्रोन’ उड़वाने लग जाती है. नाम है धर्मेंद्र किरठल (Gangster Dharmendra Kirthal).

इस बेकाबू मोस्ट वॉन्टेड माफिया को जहां कैद करके रखा गया, वो है उत्तर प्रदेश की अंबेडकर नगर जेल. अपराध जगत का ऐसा कोई काम नहीं बचा है जो, इस बदमाश ने अंजाम न दे लिया हो. अब तो संगठित गिरोह भी चलाने में माहिर हो चुका है. फिलहाल ऐसे खतरनाक बदमाश की जेल में बंद रहने के बाद भी, बीते कुछ दिनों से सांस फूली हुई है. जबसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने धर्मेद्र किरठल का नाम, यूपी के छंटे हुए बदमाशों यानी मोस्ट वॉन्टेड की ब्लैक-लिस्ट में दर्ज किया है.

जेल की सलाखों में कैद रहने के बाद भला किसी अपराधी को किसी बात का खौफ हो सकता है? इसके जवाब में पुलिस द्वारा हाल ही में तैयार ब्लैक लिस्ट में दर्ज 61 मोस्ट वाॉन्टेड माफिया एक ही तर्क देकर खामोशी अख्तियार कर लेते हैं. जेल तो चकिया का चौधरी अतीक अहमद और प्रयागराज का माफिया गुंडा उसका बाहुबली बदमाश भाई अशरफ भी बंद रहा.

उन दोनो को रात के अंधेरे में पुलिस के कड़े पहरे में नई उम्र के गजब के ट्रेंड लड़कों ने बीच गोल में गोलियों से भून डाला. तो फिर इन खतरनाक हालातों में भला जेल में बंद और इन 61 मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट में नामजद बदमाशों की जिंदगी की सलामती की ठेकेदारी भला कौन करेगा? किसकी मजाल है जो इन्हें सुरक्षित रख लेने की गांरटी ले दे सके. तो ऐसे में फिर चाहे धर्मेंद्र किरठल हो या फिर बदन सिंह बद्दो सा ढाई लाख का इनामी फरार माफिया डॉन. जिन्हें दूसरों की जान, भले ही जान नहीं लगती हो, मगर अपनी जान जब सांसत में फंसी हो, तब तो इन्हें इंसान की जिंदगी की कीमत का अहसास हो ही चुका होगा. विशेषकर तबसे जबसे और जैसे अतीक अहमद, अशरफ, असद, गुलाम को मिट्टी में मिलाया गया है.

धर्मेंद्र किरठल पर कई केस

कहते हैं कि 28 साल पहले बागपत के थाना रमाला में लूट की एक घटना से, पुलिस के हाथों अपनी क्राइम कुंडली का पहला किस्सा लिखवाने वाला धर्मेंद्र किरठल फिर कभी पाक-दामन नियत से अपनी ही देहरी पर वापिस नहीं लौट सका. कहीं न कहीं किसी न किसी कोर्ट, कचहरी, थाने चौकी या जेल में उसकी टांग फंसी ही रहती है. नतीजा आज जमाने के सामने है. यूपी पुलिस ने जब सूबे के छंटे हुए और बेकाबू बदमाशों की लिस्ट बनाई तो मोस्ट वान्टेड की ब्लैक लिस्ट में इस धर्मेंद्र किरठल को भी शामिल कर लिया. जब जेल के भीतर रहकर भी जान पर बन आई हो तो फिर चाहे धर्मेंद्र किरठल हो या, फिर कोई अन्य अपराधी. हलक का सूखना तो लाजिमी है ही.

30 साल पहले अपराध की दुनिया में आया

पुलिस, कोर्ट-कचहरी थाने चौकी की फाइलों की धूल हटाकर देखना शुरू करिए तो, धर्मेंद्र किरठल की क्राइम कुंडली में काफी कुछ लिखा हुआ पढ़ने को मिल जाएगा. क्राइम कुंडली के मुताबिक, 28-30 साल पहले धर्मेंद्र किरठल ने लूटपाट की शुरुआत से अपना क्राइम खाता खोला था. उसके बाद से लेकर अब तक इसके खिलाफ कई थानों में 49-50 के करीब मुकदमे दर्ज बताए जाते हैं. इनमें से कई मुकदमे पुराने हो जाने के कारण, कोर्ट कचहरी थाने-चौकी में फाइलों में पड़े धूल फांक रहे हैं.

12 दिसंबर 2020 को रमाला गांव में हुए इरशाद हत्याकांड को भी इसी धर्मेंद्र किरठल ने अंजाम दिया था. ऐसा बताने वाली पुलिस का दावा है कि, इरशाद हत्याकांड चुनावी रंजिश की परिणति था. उस मामले में धर्मेंद्र किरठल, सतेंद्र मुखिया, सुभाष उर्फ छोटू के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था. गिरफ्तार न होने पर इन तीनों की गिरफ्तारी पर, पुलिस ने क्रमश: 50-25 और 50 हजार रुपए इनामी राशी रख दी. बाद में सतेंद्र मुखिया को उत्तराखंड एसटीएफ ने 8 मार्च 2020 को हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया.

धर्मेंद्र किरठल को 8 जून 2020 को किया अरेस्ट

नोएडा एसटीएफ ने धर्मेंद्र किरठल और सुभाष उर्फ छोटू 8 जून 2020 को गिरफ्तार कर लिए. जिस इरशाद को इन तीनों ने गोली से रमाला गांव में उड़ा दिया था. वो धर्मेंद्र के ही गांव किरठल का रहने वाला था. पुलिस की मानें तो बागपत जेल में भी जब धर्मेंद्र किरठल बदमाशी करता रहा तो उसे वहां से निकालकर अंबेडकर नगर जेल में शिफ्ट कर दिया गया.

मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं की सूची तैयार

अब जब योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने सूबे में खा-कमा रहे ऐसे बदमाशों-मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं की सूची तैयार की, तब उसमें इसका नाम भी शामिल कर लिया गया. जेल में बंद धर्मेंद्र किरठल को जैसे ही मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट में अपना नाम दर्ज कर दिए जाने की खबर मिली, उसका हलक सूख गया. यह देखकर कि, जब चकिया के चौधरी अतीक अहमद और उसके बदमाश बेटा असद भाई अशरफ, चैलेंज के साथ मिट्टी में मिलाए जा चुके हैं. तो फिर ऐसे में भला उसकी (धर्मेद्र किरठल) की क्या औकात या बिसात है? कहा तो यह जाता है कि साल 2020 में धर्मेंद्र किरठल की करीब 60 लाख कीमत की प्रॉपर्टी भी जब्त कर ली गई. 28-30 साल के आपराधिक रिकॉर्ड को उठाकर पढ़ा जाए तो, पुलिस के मुताबिक इसके खिलाफ अब तक 50 के करीब मुकदमे दर्ज हो चुके होंगे.

हत्या, रंगदारी और अपहरण के कई मामले

इनमें हत्या, रंगदारी, अपहरण, वसूली सहित तकरीबन हर संगीन धारा में दर्ज मुकदमे शामिल हैं. ऐसे धर्मंद्र किरठल को लेकर अक्सर जब वो जेल से बाहर होता है तो पुलिस परेशानी में रहती है. क्योंकि इस मास्टरमाइंड मोस्ट वॉन्टेड माफिया तक पहुंच पाना पुलिस के लिए बेहद टेढ़ी खीर साबित होता है. कभी कभी तो इसे तलाशने के लिए पुलिस को संभावित स्थानों के ऊपर ड्रोन तक उड़ाने पडे हैं. बागपत जिला पुलिस मुख्यालय की मानें तो, धर्मेंद्र किरठल भी खुद को अतीक अहमद और अशरफ की तरह दो-दो चोंगों में छिपाकर रखना चाहता है. एक तो बदमाश और दूसरे सफेदपोश. इसके लिए इसने मां सुरेश देवी को जिला पंचायत सदस्य और बीवी सुदेश देवी को गांव का प्रधान तक बनवा डाला. ताकि स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर इसका दबदबा बना रह सके.

बीते साल नवंबर महीने में जब 30-31 साल पुराने मामले में धर्मेंद्र किरठल की कोर्ट में पेशी हुई तो. कचहरी को छावनी में तब्दील कर दिया गया था. तब इसे अंबेडकर नगर जेल से कड़ी सुरक्षा में निकाल कर कैराना कोर्ट में पेश किया गया था. वो मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है. उस दिन इसकी पेशी अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रेशमा चौधरी की कोर्ट में हुई थी. साल 1991 के जिस मुकदमे में उस दिन इस माफिया की पेशी हुई वो हत्या का मुकदमा था. वो हत्याकांड शामली कोतवाली इलाके में अंजाम दिया गया था. पुलिस की माने तो धर्मेद्र किरठल की तमन्ना गैंगस्टर सुनील राठी बनने की है. वही सुनील राठी जिसके ऊपर पूर्वांचल के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी को जेल के अंदर ठिकाने लगा देने का मुकदमा चल रहा है. कहा तो यह भी जा रहा है कि सुनील राठी गैंग की मुखबिरी पर ही पुलिस ने धर्मेंद्र किरठल को दबोचा था.


 ms8hmi
yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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