प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सार्वजनिक स्वीकृति दिखाने के लिए नकली ईमेल का इस्तेमाल किया। दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी की ओर से पेश विशेष सरकारी वकील (एसपीपी) जोहेब हुसैन ने विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल की अदालत के समक्ष यह दलील दी।
एसपीपी ने कहा कि नीति को लागू करने में सिसोदिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह एक साधारण नीतिगत निर्णय नहीं है। कार्टेलाइजेशन किया गया था। कोर्ट ने अगली सुनवाई 18 अप्रैल को निर्धारित की है। ईडी ने प्रस्तुत किया कि उसके पास सबूत हैं कि सिसोदिया के पास प्लांटेड ईमेल थे। हुसैन ने अदालत से कहा कि ये न केवल आबकारी विभाग के आधिकारिक ईमेल खाते में, बल्कि उनके व्यक्तिगत ईमेल खाते में भी प्राप्त हुए हैं। ईमेल की सामग्री सिसोदिया द्वारा दी गई थी, जो उनके एजेंडे के अनुकूल थी। एजेंसी ने आगे कहा कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जाकिर खान को ये पूर्व-लिखित ईमेल भेजने के निर्देश दिए गए थे और उन्होंने अपने इंटर्न को ऐसा करने के लिए कहा था।
हुसैन ने कहा कि विभिन्न मनगढ़ंत ईमेल यह दिखाने के लिए भेजे गए थे कि नीति को सार्वजनिक स्वीकृति मिली है। यह एक दिखावटी मंजूरी है। जब ईडी ने अदालत को बताया कि एजेंसी सिसोदिया को केस डायरी दिखाना चाहती है, तो बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि यह गोपनीयता में नहीं किया जाना चाहिए। सिसोदिया की ओर से पेश बचाव पक्ष के वकील विवेक जैन ने कहा कि सीलबंद कवर को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मेरी आजादी से इनकार करने के लिए मेरे खिलाफ कुछ का इस्तेमाल किया जाता है, अगर वे मेरी पीठ पीछे किसी चीज पर भरोसा कर रहे हैं, तो इसे मेरे सामने रखा जाना चाहिए। ईडी ने कहा कि गिरफ्तार व्यक्ति की जांच के लिए दी गई 60 दिन की अवधि अभी समाप्त नहीं हुई है। निचली अदालत ने आबकारी नीति से संबंधित सीबीआई के मामले में 31 मार्च को सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी