Rajasthan: जोधपुर में लगता है अनोखा मेला जहां शादी करने के लिए निभानी पड़ती है 564 साल पुरानी परंपरा, मार खाओ ब्याह रचाओ

Rajasthan: जोधपुर में लगता है अनोखा मेला जहां शादी करने के लिए निभानी पड़ती है 564 साल पुरानी परंपरा, मार खाओ ब्याह रचाओ

राजस्थान के जोधपुर में खास बेंतमार मेले का आयोजन किया गया जो दुनिया भर में लगने वाले मेलों में बेहद खास है। इस मेले की खासियत है कुंवारे लड़के जिनकी शादी मेले के दौरान पड़ने वाली मार के बाद हो जाती है। ये मेला सिर्फ एक रात के लिए आयोजित होता है जिसमें सिर्फ महिलाओं का राज होता है। महिलाएं इस दौरान हाथों में लाठियां लेकर युवाओं और मर्दों को मारती है और जमकर मस्ती करती है।

इस मेले के दौरान महिलाएं बेंत लेकर उन युवकों को मारती हैं जो कुवांरे होते है। माना जाता है कि महिलाओं द्वारा बेंत से मार खाने के बाद एक वर्ष के भीतर ही युवाओं की शादी हो जाती है। ये दुनिया का अनोखा मेला है जहां रात भर महिलाएं युवकों को बेंत से मार कर बरसों पुरानी परंपरा को निभाती है।

जानकारी के अनुसार महिलाएं रात भर स्वांग रचाती हैं और युवकों को ढूंढती है। इस दौरान महिलाओं के सामने अगर कोई युवक आता है तो उसे बेंत से मार पड़ती है। कहा जाता है कि बेंत से जिन युवकों को मार पड़ती है वो ये दर्शाता है कि युवकों की इच्छाएं पूरी होंगी। ऐसे में जोधपुर में एक रात के लिए सिर्फ महिलाओं का राज होता है। इस मेले में सैंकड़ों लोग हिस्सा लेते है।

गौरतलब है कि ये परंपरा सदियों से चलती आ रही है। इस मेले की रात शहर की सड़को पर सिर्फ महिलाएं दिखती है। हर महिला हाथ में छड़ी लेकर दिखती है। मगर इस मेले से पहले 16 दिन तक गवर माता का पूजन किया जाता है। इसके बाद 16वें दिन पूजन होने के बाद महिलाएं रात भर घर से बाहर रहकर विभिन्न समय पर गवर की आरती करती है। जानकारी के मुताबिक महिलाएं पूरे 12 दिनों तक उपवास भी करती है। सिर्फ एक समय ही महिलाओं को खाना होता है। पूजा में माता को मीठे का भोग लगाया जाता है। ये मेला इतना खास होता है कि इसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक जोधपुर पहुंचते है। 

बता दें कि इस पूजा की शुरुआत वर्ष 1459 में जोधपुर की स्थापना के साथ हुई थी। इसकी स्थापना राव जोधा ने की थी। स्थापना होने के बाद से ही लगातार इस पूजन को किया जाता रहा है। शुरुआत में ये पूजा राज परिवार में होती थी। मगर अब 564 वर्षों से ये पूजा होती आ रही है। कहा जाता है कि माता सती के दूसरे जन्म में वो धींगा गवर बनकर ही इस गांव में आई थी और तभी से उनका पूजन होता रहा है। इस पूजन का वरदान भी माता को भगवान शिव ने दिया था।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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