New Delhi: मिसज चैटर्जी वर्सेस नॉर्वे पर भड़के नॉर्वे एम्बेसडर; कहा- फिल्म में दिखाए फैक्ट्स गलत, नॉर्वे के बारे में गलत नैरेटिव बनाया जा रहा

New Delhi: मिसज चैटर्जी वर्सेस नॉर्वे पर भड़के नॉर्वे एम्बेसडर; कहा- फिल्म में दिखाए फैक्ट्स गलत, नॉर्वे के बारे में गलत नैरेटिव बनाया जा रहा

रानी मुखर्जी, अनिर्बन भट्टाचार्य, नीना गुप्ता स्टारर फिल्म ‘मिसज चैटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ 17 मार्च को बिग स्क्रीन पर रिलीज हुई है। आशिमा छिब्बर फिल्म की डायरेक्टर हैं। इस फिल्म की कहानी पर नॉर्वे के एम्बेसडर ने नाराजगी जाहिर की है। नॉर्वे के एम्बेसडर हंस जैकब फ्रेडनलिंड ने कहा है कि ये सिर्फ एक फिक्शनल स्टोरी है। इस फिल्म में असल केस और नॉर्वे के प्रशासन से जुड़े मामले को गलत तरीके से दिखाया गया है।

असल घटना पर बेस्ड है फिल्म

दरअसल, ‘मिसज चैटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ की कहानी एक सच्ची घटना पर बेस्ड है। फिल्म में एक भारतीय मां अपने बच्चों को कानूनी दांव-पेंच से बाहर निकाल कर वापस पाने के लिए की पूरी कोशिश कर रही है। कैसे एक मां अपने बच्चों को वापस पाने के लिए एक देश के लीगल सिस्टम और एडमिनिस्ट्रेशन को हिलाकर रख देती है, यही फिल्म का क्लाइमैक्स है।

फिल्म में दिखाए फैक्ट्स गलत हैं : भारत में नॉर्वे के एम्बेसडर

भारत में नॉर्वे के एम्बेसडर हंस जैकब फ्रेडनलिंड ने फिल्म की कहानी पर नाराजगी जताते हुए कहा - फिल्म नॉर्वे को गलत तरीके से दिखा रही है। इस कहानी में नॉर्वे के बारे में पूरी तरह से गलत नैरेटिव बनाया गया है। साथ ही, फिल्म में कई फैक्ट्स भी गलत बताए गए हैं।

मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में एम्बेसडर हंस जैकब फ्रेडनलिंड बोले- आधिकारिक तौर पर मेरे लिए नॉर्वे के पक्ष रखना और फैक्ट्स को सही करना जरूरी है। फिल्म में ड्रामा के तौर पर कहानी को पेश करने के लिए ‘जरुरत से ज्यादा’ क्रिएटिव लिबर्टी का सहारा लिया गया है। फिल्म देखने से ऐसा लग रहा है कि इस केस में दोनों देशों के बीच का कल्चरल डिफरेंस सबसे बड़ी समस्या थी। लेकिन, ऐसा नहीं है।

कल्चरल डिफरेंस की वजह से बच्चों को नहीं किया मां से दूर

एम्बेसडर जैकब फ्रेडनलिंड ने कहा- केस की डिटेल्स शेयर किए बिना मैं ये कह सकता हूं कि इन बच्चों के साथ एक ही बिस्तर पर सोने और उन्हें हाथ से खाना खिलाने की वजह से इन्हें अल्टरनेटिव केयर में नहीं भेजा गया था। न इस केस में ऐसा हुआ था, न ही किसी और केस में। जैसा फिल्म में दिखाया गया है वैसा नॉर्वे का कल्चर नहीं है। हम भी अपने बच्चों को हाथ से खाना खिलाते हैं।

एम्बेसडर जैकब फ्रेडनलिंड ने अपनी बेटी के बारे में बात करते हुए बताया की वो खुद भी अपने बच्चों को सोने से पहले कहानी सुनाते हैं। फ्रेडनलिंड बोले - जब हमारे भारतीय दोस्त ये फिल्म देखेंगे तो वो हमारे कल्चर और हमारे बारे में क्या सोचेंगे ? क्या उन्हें ये नहीं लगेगा कि हम पत्थर दिल तानाशाह हैं, जो हम हरगिज नहीं हैं।

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