अमेरिका की बादशाहत खत्म? सऊदी-ईरान की दोस्ती करा अब चौधरी बनने चला चीन

अमेरिका की बादशाहत खत्म? सऊदी-ईरान की दोस्ती करा अब चौधरी बनने चला चीन

China News: ईरान और सऊदी अरब लंबे समय के बाद अपने कूटनीतिक संबंधों को बहाल कर रहे हैं, इसके पीछे चीन की बड़ी भूमिका है. दरअसल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दुनियाभर में अमेरिका की तरह अपना रोल निभाना चाह रहे हैं. ईरान और सऊदी अरब के बीच लंबे समय से दुश्मनी चल रही थी. चीन दोनों देशों के संबंधों को एक समझौते के जरिए सही करने का प्रयास कर रहा है. चीन के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की सफलता के रूप में देखा जा रहा है. दोनों देशों के बीच इस तरह का समझौता चीन के लिए बड़ी उपलब्धि है. शी चाहते हैं कि अमेरिका का प्रभाव यहां कम हो ताकि चीन के संबंध और मजबूत हो सके. अमेरिका और चीन के रिश्तों में ताइवान को लेकर 2022 में दरार आ गई थी, तब से चीन किसी न किसी प्लान के जरिए अमेरिका का महत्व कम करने में लगा है.

सऊदी अरब-ईरान सौदे के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दुनिया में बड़ी वैश्विक भूमिका निभाना चाहते हैं. दरअसल, ईरान और सऊदी अरब की लंबे समय से दुश्मनी चल रही थी. सऊदी अरब के अमेरिका से सामान्य लेकिन चीन से बहुत अच्छे संबंध हैं. चीन ने दोनों देशों के संबंधों को एक समझौते के जरिए सही करने का प्रयास किया.

शी जिनपिंग वैश्विक राजनेता के रूप में अपनी छवि चमकाने की कोशिश कर रहे हैं. शी के नेतृत्व में सऊदी-ईरान के राजनयिक संबंधों को पुनर्जीवित करने में चार दिनों की गुप्त वार्ता हुई, जिसे उन्होंने सफल बताया.

सऊदी और ईरान को एक ही मंच पर बातचीत के लिए ला पाना चीन की यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. इस दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग ने दोनों देशों के समझदारी भरे कदम के लिए तहे दिल से बधाई दी. वांग ने कहा कि दोनों देशों ने गंभीरता और समझदारी दिखाई है जिसका चीन पूरी तरह से समर्थन करता है.

खाड़ी देशों के बीच के संबधों को पुनर्जीवित करने में चीन की मंशा साफ झलक रही है. शी चाहते हैं कि अमेरिका का प्रभाव यहां कम हो ताकि चीन के संबंध और मजबूत हो सकें. अमेरिका और चीन के रिश्तों में ताइवान को लेकर 2022 में दरार आ गई थी.

दुनिया में हर विवाद में अमेरिका की कोई ना कोई भूमिका होती है क्योंकि वह दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति है. ईरान और सऊदी अरब के बीच समझौता करवाकर चीन अपनी बड़ी भूमिका निभा रहा है, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन का कद अमेरिका जैसा बढ़ सके.


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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