UP: 4 महीने, 4 दौरे और मोदी के 4 संदेश; बिखरी BJP को एक मंच पर लाए, गुर्जर-आदिवासी वोट बैंक सहित 100 सीटें साधी

UP: 4 महीने, 4 दौरे और मोदी के 4 संदेश; बिखरी BJP को एक मंच पर लाए, गुर्जर-आदिवासी वोट बैंक सहित 100 सीटें साधी

राजस्थान का अंतिम बजट जारी होने के बाद अब प्रदेश इलेक्शन मोड में आ गया है। हालांकि दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने पहले ही इलेक्शन मोड एक्टिवेट कर दिया है।

1 महीने के भीतर पीएम मोदी राजस्थान में 2 अहम दौरे कर चुके हैं। वहीं पिछले साढ़े चार महीने में पीएम चार बार राजस्थान आ चुके हैं।

सबसे पहले वे 30 सितम्बर को आबूरोड के मानपुर आए थे। यह वह दौर था जब राजस्थान में कांग्रेसी विधायकों ने बड़ी बगावत की थी।

इसके बाद पीएम मोदी 1 नवम्बर को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम पहुंचे। इसके कुछ समय बाद 28 जनवरी को भीलवाड़ा के मालासेरी में पीएम ने सभा की।

इसके ठीक 15 दिन बाद पीएम दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस वे के उद्धाटन कार्यक्रम और सभा के लिए दौसा पहुंचे।

माना जा रहा है कि राजस्थान में अब पीएम के दौरे लगातार होंगे। मोदी के पिछले दौरों का जब हमने एनालिसिस किया तो भाजपा और पीएम की राजस्थान को लेकर खास रणनीति समझ आई।

राजस्थान में पीएम के दौरों की कई वजह हैं। सियासी जानकार इसके पीछे बड़ी वजह लोकसभा चुनाव 2024 मानते हैं।

हालांकि, बीजेपी के कई नेता इसे राजस्थान में अलग रणनीति और खींचतान के बीच नए पैंतरे के रूप में देखते हैं।

हर दौरे से खास मैसेज

पहला दौरा : मानपुर-आबूरोड

बिखरी बीजेपी को एक मंच पर लाए

पिछले साल 30 सितंबर को गुजरात के अम्बाजी में दर्शन के बाद पीएम का गुजरात-राजस्थान बॉर्डर पर दौरा प्रस्तावित था, लेकिन पीएम लेट हो गए। रात 10 बजे के बाद जब मोदी पहुंचे तो लेट हो जाने के चलते नियमों का हवाला देते हुए उन्होंने सभा करने से इनकार किया।

लोग घंटों इंतजार में थे, ऐसे में जमीन पर बैठकर माफी मांगी। इस दौरे को राजस्थान में बीजेपी को एकजुट करने से जोड़कर देखा गया। क्योंकि यही वह दिन था जब लम्बे समय बाद राजस्थान में बीजेपी के तमाम प्रमुख नेता एक मंच पर एक साथ थे।

सीटों पर असर : सिरोही की 3, जालोर की 5 और पाली की 6 सीटों को साधने का प्रयास। इस क्षेत्र की दो लोकसभा सीटें सिरोही-जालोर और पाली सीट पर भी असर डालने की कोशिश।

चर्चित तस्वीर : 10 बजे बाद लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करने का नियम है। ऐसे में पीएम ने सभा नहीं की, झुककर लोगों से 3 बार माफी मांगी। यह तस्वीर काफी चर्चित रही।

दूसरा दौरा : मानगढ़-बांसवाड़ा

गोविंद गिरी से जुड़कर आदिवासियों को साधा

1 नवम्बर को पीएम आदिवासियों के धाम मानगढ़ पहुंचे। यहां उन्होंने आदिवासियों के अराध्य गोविंद गिरी को याद किया। मानगढ़ में जलियांवाला बाग की तरह हुए नरसंहार को भी याद किया। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत सहित तीन राज्यों के सीएम यहां मौजूद रहे।

मोदी ने यहां साफ मैसेज दिया कि जिन महापुरुषों को भुला दिया गया है, बीजेपी उन्हें फिर से जीवंत करेगी। माना जा रहा था कि पीएम इस दौरे में मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा करेंगे, मगर नहीं हुआ।

सीटों पर असर : उदयपुर की 8, बांसवाड़ा की 5, डूंगरपुर की 4, सिरोही की 3 और प्रतापगढ़ की 2 सीटों पर असर डाला। इसके अलावा उदयपुर और बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर भी असर।

चर्चित तस्वीर: अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने अशोक गहलोत को सीनियर मुख्यमंत्री कहा। दोनों के बीच की कैमेस्ट्री की चर्चा हुई। ऐनवक्त पर मानगढ़ को पीएम मोदी ने राष्ट्रीय स्मारक के रूप में घोषित नहीं करते हुए सियासी स्ट्रोक भी खेला।

तीसरा दौरा : भीलवाड़ा-मालासेरी

कमल के फूल से गुर्जरों को जोड़ने की कोशिश

28 जनवरी को गुर्जरों के अराध्य स्थल मालासेरी डूंगरी में पीएम की यह सभा हुई। भगवान देवनारायण के 1111वें प्रकट उत्सव के मौके पर यह सभा हुई। पीएम ने यहां गुर्जर समुदाय को साधने की कोशिश की। अपने भाषण में उन्होंने गुर्जरों को कमल के फूल से जोड़ा। गुर्जरों के साथ पुराने रिश्ते की बात कही। माना जा रहा था कि पीएम यहां देवनारायण कोरिडोर की घोषणा करेंगे। मगर यहां भी पीएम ने कोई घोषणा नहीं की।

सीटों पर असर : अजमेर की 8 और भीलवाड़ा जिले की 7 सीटों पर असर डालने की कोशिश। इसके अलावा गुर्जर बाहुल्य 15 सीटों पर सीधा फोकस। उन सीटों पर भी जहां गुर्जर प्रभावित करते हैं। इसके अलावा अजमेर और भीलवाड़ा की लोकसभा सीटों को भी साधने का प्रयास किया।

चर्चित तस्वीर : देवनारायण समिति की ओर से एक भी कांग्रेसी गुर्जर विधायक को नहीं बुलाया गया। यहां तक कि सीएम और सचिन पायलट तक को आमंत्रित नहीं किया गया। वहीं मंच पर चुनिंदा नेताओं को ही जगह दी गई। बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता भी मंच से बाहर बैठे। गुर्जर समाज और मंदिर से जुड़े प्रमुख लोगों को मंच पर जगह दी गई।

चौथा दौरा : दिल्ली-दौसा एक्सप्रेस वे

एक्सप्रेस वे के बहाने बीजेपी का विकास का मॉडल दिखाया

12 फरवरी को पीएम दौसा पहुंचे। उनके साथ सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी थे। दिल्ली से दौसा तक के एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया गया। इस दौरान नितिन गडकरी ने देशभर में चल रहे सड़क के प्रोजेक्टस का जिक्र किया। पीएम ने इस सभा में राजनीति के बजाय विकास के मॉडल पर जोर दिया। पीएम ने देश में नई सड़कों और ट्रेनों का जिक्र करते हुए यह बताने की कोशिश की है कि बीजेपी का फोकस राजस्थान के विकास पर है।

किन सीटों पर असर

पीएम ने जयपुर की 19, अलवर की 11, दौसा की 5 और टोंक की 4 सीटों को साधने की कोशिश की। इसके अलावा दौसा, टोंक-सवाईमाधोपुर, जयपुर ग्रामीण सीटों पर भी बीजेपी की नजर रही।

चर्चित तस्वीर : राजस्थान के बजट में सीएम के पुराने बजट भाषण पढ़ने का मामला चर्चित रहा। दो दिन बाद अपने दौरे में नाम लिए बगैर पीएम मोदी ने उस वाकये को लेकर चुटकी ली। आरएसएस से जुड़े पुराने वाकये का संदर्भ दिया, यह चर्चित रहा।

जहां बीजेपी कमजोर, वहां मोदी का चेहरा प्रोजेक्ट करेगी

बीजेपी से जुड़े वरिष्ठ नेता और जानकार बताते हैं कि 2023 चुनाव को लेकर पीएम मोदी बीजेपी की रणनीति का अहम हिस्सा हैं। यह तय है कि बीजेपी इस चुनाव में बगैर चेहरे के मैदान में उतरेगी। ऐसे में जिन हिस्सों में बीजेपी कमजोर है, वहां बीजेपी पीएम मोदी को चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करेगी। ऐसा ही आगे भी होगा। खासतौर से पूर्वी राजस्थान, उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान, दक्षिणी राजस्थान की आदिवासी सीटों पर यह देखने को मिलेगा।

जहां मजबूत वहां बीजेपी काे एकजुट दिखाएंगे

इसी तरह जिन क्षेत्रों में बीजेपी मजबूत है, वहां बीजेपी खुद को एकजुट दिखाने की कोशिश करेगी। राजस्थान बीजेपी में प्रमुख नेताओं में अंदरखाने खींचतान है। ऐसे में जिन क्षेत्रों में बीजेपी मजबूत है, वहां किसी भी सूरत में आपसी खींचतान को बीजेपी दूर रखना चाहती है। ताकि अपने मजबूत गढ़ में बीजेपी को आपसी खींचतान के चलते नुकसान ना हो।

100 विधानसभा सीटों, 10 लोकसभा सीटों को छुआ

पीएम अबतक अपने पिछले दौरों से राजस्थान की 100 विधानसभा सीटें और 10 लोकसभा सीटों को छू चुके हैं। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव तक उनकी राजस्थान में 20 से ज्यादा सभाएं होंगी। ऐसे में विधानसभा चुनाव तक पीएम का फोकस प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों के साथ-साथ लोकसभा सीटों को साधने पर भी फोकस होगा। वहीं विधानसभा की बात करें तो 15 जिलों की लगभग 100 सीटों पर अबतक पीएम मोदी असर डाल चुके हैं।

बीजेपी का फोकस लोकसभा की 25 सीटें

पीएम मोदी के राजस्थान में हो रहे ताबड़तोड़ दौरों के पीछे राजनीतिक जानकार और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लोकसभा चुनाव को बताते हैं। जानकारों का मानना है कि राजस्थान उन चुनिंदा राज्यों में है जहां अच्छी संख्या में लोकसभा सीटें हैं। वहीं फिलहाल इन 25 में से 24 सीटें बीजेपी के पास है। एक सीट आरएलपी के पास है जिनके साथ बीजेपी ने राजस्थान में गठबंधन किया था। ऐसे में अब बीजेपी 2024 में एक बार फिर राजस्थान की इन सभी सीटों पर कब्जा करना चाहती है।

बीजेपी ने राजस्थान से दौसा और नागौर दो सीटों को अपने लिए कठिन माना है। इसकी बड़ी वजह सचिन पायलट और हनुमान बेनीवाल हैं।

दौसा में जहां गुर्जर बाहुल्य वोटर हैं वहीं नागौर में बेनीवाल समर्थित जाट वोटर बड़ी संख्या में हैं। यही वजह है कि पीएम मोदी लगातार ऐसी सीटों पर फोकस्ड हैं।

पीएम का आना बड़ा मैसेज देता है : राजेंद्र राठौड़

बीजेपी के उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद राठौड़ कहते हैं कि ये हम सब जानते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी एक लोकप्रिय नेता हैं। उनका आना यहां की जनता और कार्यकर्ता में बड़ा संदेश देता है।

यही वजह है कि राजस्थान में पीएम लगातार आ रहे हैं। जहां भी हम कमजोर हैं वहां हमें पीएम मजबूती प्रदान करते हैं।

पीएम का हर दौरा महत्वपूर्ण, उसकी खास सियासी वजह

25 एसटी सीटों पर फाेकस, इनमें से सिर्फ 8 पर बीजेपी

राजस्थान में 25 सीटें आदिवासी बाहुल्य हैं। ये रिजर्व एसटी सीटें हैं। इन 25 में से सिर्फ 8 सीटों पर ही वर्तमान में बीजेपी के विधायक हैं। इनमें भी ये सभी दक्षिणी राजस्थान की सीटें हैं।

इनके अलावा पूर्वी और मध्य राजस्थान की किसी भी सीट पर बीजेपी नहीं जीत सकी है। यही वजह है कि बीजेपी और पीएम दोनों का फोकस आदिवासी सीटों पर है। इसी वजह से पीएम का मानगढ़ दौरा राजस्थान में महत्वपूर्ण माना गया है।

8 गुर्जर विधायक, एक भी बीजेपी से नहीं

इसी तरह गुर्जर सीटों की बात करें तो ज्यादातर गुर्जर बाहुल्य सीटों पर बीजेपी काबिज नहीं हैं। राजस्थान में 8 गुर्जर विधायक हैं, मगर इनमें से एक भी बीजेपी का नहीं है।

7 कांग्रेस तो 1 निर्दलीय विधायक हैं। इसके अलावा जहां गुर्जर प्रभावित करते हैं वहां भी बीजेपी कमजोर है। यही वजह है कि मालसेरी के कार्यक्रम को गुर्जर समुदाय को साधने के नजरिए से देखा गया है।

राजस्थान में सचिन पायलट और सीएम गहलोत के बीच तनातनी है। ऐसे में बीजेपी इस बार गुर्जर समाज को अपने साथ रख विधानसभा और लोकसभा में बढ़त लेना चाहती है।

पूर्वी राजस्थान की 46 में से सिर्फ 7 सीटें बीजेपी के पास

इसी तरह पूर्वी राजस्थान पर भी बीजेपी का फोकस है। यहां अलवर, भरतपुर, धौलपुर, दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर, टोंक, बारां, बूंदी जिलों की 46 सीटों में से सिर्फ 7 सीटें बीजेपी के पास हैं।

इनमें भी भरतपुर, दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर वो जिले हैं जहां एक भी सीट बीजेपी के पास नहीं है। वहीं बारां, धौलपुर और टोंक में महज 1-1 सीट है।

इनमें भी धौलपुर से शोभारानी कुशवाहा का साथ बीजेपी ने छोड़ दिया है। यही वजह है कि पूर्वी राजस्थान के दौसा में पीएम ने दौरा किया। आगे भी पीएम के दौरे पूर्वी राजस्थान में देखने को मिलेंगे।

जहां मजबूत वहां एकजुटता दिखाने की कोशिश

दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान वो जगह है जहां बीजेपी काफी मजबूत है। इस क्षेत्र के चार जिले सिरोही, जालोर, पाली और उदयपुर में बीजेपी मजबूत है।

इन जिलों की 22 सीटों में से 17 सीटों पर बीजेपी काबित है। यही वजह है कि जब पीएम आबूरोड पहुंचे तो वहां सिर्फ बीजेपी की एकजुटता दिखाने की कोशिश की। इस दौरे पर बीजेपी के तमाम प्रमुख नेता शामिल हुए।

आखिरी व्यक्ति से पीएम का संवाद कराने की कोशिश : डॉ. चतुर्वेदी

बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य डॉ. अरुण चतुर्वेदी कहते हैं कि बीजेपी का फोकस इसपर है कि आखिरी लाइन में जो व्यक्ति खड़ा है उससे पीएम का संवाद हो जाए। उसका संवाद पीएम से कराकर बीजेपी डवलपमेंट पॉलिटिक्स की ओर चल रही है।



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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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