किसानों की जमीन नीलाम होने से बचाएगा नया एक्ट: एक्सपर्ट बोले- बिजली-बीज फ्री, कर्ज नहीं लेना पड़ेगा, होम लोन पर सिर्फ 3% ब्याज

किसानों की जमीन नीलाम होने से बचाएगा नया एक्ट: एक्सपर्ट बोले- बिजली-बीज फ्री, कर्ज नहीं लेना पड़ेगा, होम लोन पर सिर्फ 3% ब्याज

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार को राजस्थान का दूसरा कृषि बजट पेश किया। सबसे बड़ी घोषणा 11 लाख किसानों को 2000 हजार यूनिट/महीने तक बिजली फ्री करने की हुई। यानी इसकी कोई कीमत नहीं चुकानी होगी।

कर्ज में डूबे किसानों की जमीनों को नीलामी से बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने राजस्थान फार्मर डेब्ट रिलीफ एक्ट लाने की भी घोषणा की है। एक्सपर्ट की मानें तो किसानों के लिए यह बजट कई मायनों से रिलीफ देने वाला है, लेकिन कई ऐसी घोषणाओं की दरकार थी, इस बजट में दिखाई नहीं दीं।

सबसे पहले यह जान लेते हैं किसानों के लिए इस बार बजट में कौनसी बड़ी घोषणाएं हुई हैं। इसके बाद एक्सपर्ट इस बजट का एनालिसिस कर बताएंगे कि ये किसानों के लिए कितना फायदेमंद होने वाला है।

1 : 2000 यूनिट बिजली फ्री

किसानों के लिए सबसे बड़ी घोषणा किसानों को फ्री बिजली उपलब्ध कराने की है। सीएम ने किसानों को बिजली में 2 हजार यूनिट तक की हर माह छूट दी। ये छूट राजस्थान के 11 लाख किसानों को मिलेगी। इससे पहले तक किसानों को 1 हजार यूनिट तक की छूट थी, इसे अब बढ़ाकर 2 हजार यूनिट तक कर दिया गया है।

2 : लंपी से मरे दुधारू पशुओं पर मिलेंगे 40 हजार रुपए

राजस्थान में पिछले साल पशुओं में फैली लंपी महामारी ने काफी तबाही मचाई थी। ऐसे में लंपी महामारी से अपने पशुओं को गंवाने वाले किसानों को बजट से राहत मिली। सीएम ने घोषणा करते हुए महामारी में मरने वाले दुधारू पशुओं पर प्रति गाय 40 हजार रुपए दिए जाने की घोषणा की है। हालांकि यह साफ नहीं है कि लंपी से कितनी गायों की मौत हुई थी।

3. घर बनाने के लिए किसानों को ब्याज सब्सिडी : किसानों को खेत में घर बनाने के लिए सरकार ने ब्याज में सब्सिडी देने की घोषणा की है। किसानों को 5 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। इसका मतलब है कि यदि होम लोन की ब्याज दरें 8 प्रतिशत है, तो किसानों को 3 प्रतिशत ब्याज ही देना पड़ेगा, बाकि सरकार भरेगी। हालांकि यह तय नहीं है कि ये फायदा किन किसानों को मिलेगा और कितने सालों तक मिलेगा।

4 : कामधेनु बीमा योजना की घोषणा

वहीं पशुपालकों के पशुओं के लिए कामधेनु बीमा योजना की घोषणा की है। इसके तहत एक पशुपालक की 40 हजार रुपए प्रति पशु का नि:शुल्क बीमा किया जाएगा। इसमें अधिकतम 2 पशु कवर होंगे। इससे 750 करोड़ रुपए अधिक भार पड़ेगा, लेकिन 20 लाख से ज्यादा पशुपालक लाभान्वित होंगे।

इसके अलावा पशुधन नि:शुल्क आरोग्य योजना के तहत 138 प्रकार की दवाइयां निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। अब इस योजना में पशुओं से संबंधित सभी टेस्ट, टीकाकरण भी फ्री होंगे। इसके अलावा पशु चिकित्सा केन्द्र पर किसी भी तरह का रजिस्ट्रेशन चार्ज अब नहीं लगेगा।

5 : पशु मित्र स्कीम, 500 पशुधन सहायकों की होगी भर्ती

पशुपालकों को डोर स्टेप पर टैगिंग, टीकाकरण, बीमा, कृत्रिम गर्भाधान उपलब्ध कराए जाने के लिए पशु मित्र योजना की घोषणा की है। इसके तहत 500 पशुधन सहायकों को मानदेय पर रखा जाएगा। इस पर सालाना 20 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

6 : सरस प्रोडक्ट की होम डिलीवरी, 1000 सरस मित्र होंगे भर्ती

डेयरी से जुड़े रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार ने बजट में अगले वित्त वर्ष में 5000 सरस बूथ और 200 नए सरस पार्लर खोलने की घोषणा की है। इन पार्लर पर सरस के प्रोडक्ट बेचे जाएंगे। डोर स्टेप डिलीवरी के लिए सरकार 1000 सरस मित्रों की भर्ती कर उन्हें रोजगार देगी।

पटवारी-जिला प्रमुखों को मिलेंगे टेबलेट

राजस्व और पंचायती राज के काम काज भी ऑनलाइन होंगे। इसके लिए जिला प्रमुख, प्रधान, सरपंच, उपखंड अधिकारी, नायब तसहीसलदार, गिरदावर, ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी को टेबलेट दिए जाएंगे। नामांतरण के आवेदन, निस्तारण, राजस्व न्यायालयों में ई-फाइलिंग, ई-समन और वीसी के माध्यम से मामलों की हियरिंग की व्यवस्था भी लागू होगी।

1000 कृषक मित्रों की होगी संविदा पर भर्ती

अगले एक वर्ष में एग्रीकल्चर में ग्रेजुएट 1000 युवाओं को सरकार कृषक मित्र के पद पर भर्ती करेगी। यह भर्ती संविदा के नए नियमों के तहत होगी। इनका काम होगा किसानों की समस्या या शिकायत का मौके पर ही समाधान करना। कृषक मित्रों को ड्यूटी लगाने के लिए मोबाइल एग्री क्लिनिक की स्थापना की जाएगी। इन स्कीम पर सरकार 75 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

राजस्थान फार्मर डेब्ट रिलीफ एक्ट

परिस्थितिवश कर्ज में डूबे किसानों की जमीनों की निलामी या कुर्की बचाने के लिए राज्य सरकार ने राजस्थान फार्मर डेब्ट रिलीफ एक्ट लाने की घोषणा की है। इसके लिए कमीशन का गठन कर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा।

खाजूवाला में कपास और झुंझुनूं में फल-सब्जी मंडी

खाजूवाला (बीकानेर) में कपास मंडी, अरांई (अजमेर), चौरासी (डूंगरपुर), धोद-सीकर, बाटोदा (बामणबास)- सवाईमाधोपुर में कृषि उपज मंडी के अलावा झुंझुनूं में फल-सब्जी गौण मंडी खोलने की घोषणा की है। इसके अलावा खिवाड़ा (मारावाड़ जंक्शन) पाली में गौण मंडी को कृषि मंडी में क्रमोन्नत किया जाएगा।

एग्रीकल्चर रिसर्च और एजुकेशन के बढ़ावे पर फोकस

सीएम गहलोत के कृषि बजट में इस बार एग्रीकल्चर एजुकेशन को बढ़ावा देने पर फोकस किया गया। इसके लिए सीएम ने नए कॉलेज, यूनिवर्सिटी खोलने के साथ-साथ एक्सीलेंस सेंटर पर भी सीएम गहलोत का फोकस रहा। सीएम ने अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए सवाई माधोपुर और अंजीर की खेती के लिए सिरोही में एक्सीलेंस सेंटर खोलने की घोषणा की। इसी तरह जोबनेर में वेटरनरी यूनिवर्सिटी और दुर्गापुरा में हॉर्टिकल्चर कॉलेज खोलने का ऐलान किया। साथ ही 5 हजार युवा किसानों को देश के विभिन्न हिस्सों में खेती के प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।

50 हजार किसानों को सब्सिडी

ऑर्गेनिक खेती को बढ़ाने के 50 हजार किसानों को 5 हजार रुपए की इनपुट सब्सिडी देने की घोषणा भी हुई। इसी तरह बीज उत्पादन बढ़ाने के लिए 23 लाख किसानों को मुफ्त बीज उपलब्ध कराने की घोषणा भी की गई। इसके अलावा सवाईमाधोपुर में अमरूद एक्सीलेंस सेंटर तो सिरोही में अंजीर की खेती के लिए एक्सीलेंस सेंटर बनाने की घोषणा हुई।

जोबनेर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में ही वेटरनरी यूनिवर्सिटी और दुर्गापुरा में हॉर्टिकल्चर कॉलेज खोलने का ऐलान भी किया गया। इसके अलावा सीकर और जयपुर (बस्सी) में वेटरनरी कॉलेज खोलने की घोषणा की है। वहीं कई एग्रीकल्चर कॉलेज खोले जाने और एक्सीलेंस सेंटर खोलने की भी घोषणाएं की गई।

कृषि बजट की प्रमुख घोषणाएं

1000 ग्रेजुएट किसानों को सरकार ड्रोन उपलब्ध करवाएगी, ताकि वे इसके जरिए खेतों में यूरिया का छिड़काव कर सके।

बीज उत्पादन बढ़ाने के लिए 23 लाख कृषकों को निशुल्क बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।

8 लाख कृषकों को हाइब्रिड मक्का के बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।

60 हजार किसानों को ग्रीन हाउस के लिए 1 हजार करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाएगा।

अगले 2 वर्षों में 1 लाख कृषकों को तारबंदी पर अनुदान दिया जाएगा। तारबंदी की न्यूनतम लैंड सीमा .5 हैक्टेयर कर दी गई है।

5 लाख भूमिहीन काश्तकारों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए 5 हजार रुपए देने की घोषणा।

इंदिरा गांधी नहर परियोजना में लगभग 1 हजार 450 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार और सिंचाई संबंधी कार्य होंगे।

किसानों को लोन नहीं लेना पड़ेगा

एग्रीकल्चर एक्स्पर्ट का कहना है कि किसानों को यह समस्या रहती है कि अपने खाद-बीज या बाकी संसाधन खरीदने के लिए लोन लेते हैं। अगर वो फ्री मिल जाएगा तो उनको बड़ा फायदा होगा। इनपुट में खाद्य, बीज, पेस्टीसाइड, इंसेक्टीसाइड और हर्बीसाइड जैसी चीजें होती हैं। अगर उन्हें फ्री इनपुट मिलेंगे तो वो खेती के अपने प्रोडक्शन को स्टोर करके लेंगे और बाद में उसे जब अपनी फसल की अच्छी कीमत मिलेगी, तब वह उसे बेचेगा। अभी पैसे की कमी होने के कारण किसान अपनी फसल को औने-पौने दाम पर बेचते हैं या फिर लोन लेते हैं। फिर लोन चुकाने में दिक्कत होती है।

90 प्रतिशत किसान के पास 1 हैक्टेयर से कम जमीन

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में किसानों के पास जमीन कम है। राजस्थान में 90 प्रतिशत से ज्यादा किसानों के पास 1 हैक्टेयर से कम जमीन है। ऐसे में मुफ्त बिजली, बीज मिलने से किसानों का काफी फायदा होगा, क्योंकि राजस्थान के किसान के पास ज्यादा उपजाऊ जमीन नहीं होती, उसे खेती से ज्यादा फायदा नहीं होता।

वेटरनरी डॉक्टर्स की कमी, यूनिवर्सिटी से फायदा होगा

राजस्थान में वेटरनरी डॉक्टर्स की कमी है। ऐसे में राजस्थान में एक और नई वेटरनरी यूनिवर्सिटी और दो नए कॉलेज खोलने की घोषणा फायदेमंद रहेगी। बजट में जोबनेर में यूनिवर्सिटी और सीकर और बस्सी में पशु कॉलेज खोलने की घोषणा की गई है। एक्सपर्टस का मानना है कि राजस्थान में वेटरनरी डॉक्टर्स नहीं हैं, यूनिवर्सिटी कॉलेज खुलने से फायदा होगा। फिलहाल बीकानेर में प्रदेश की एकमात्र वेटरनरी यूनिवर्सिटी है।

सेंटर फॉर एक्सीलेंस अच्छे मगर रिसर्च की जरुरत

बजट में सवाईमाधोपुर में अमरूद की खेती को बढ़ाने के लिए और सिरोही में अंजीर की खेती को बढ़ाने के लिए सेंटर फॉर एक्सीलेंस खोलने की घोषणा की गई। एक्सपर्टस का कहना है कि सेंटर फॉर एक्सीलेंस की जरुरत तब है जब हमारे पास बहुत सारा मेटेरियल हो और रिसर्च हो। जब तक इन चीजों पर रिसर्च नहीं होगा, सेंटर फॉर एक्सीलेंस इतने प्रभावी नहीं होंगे। हम नई तकनीकें विकसित करेंगे तभी ये उपयोगी साबित होंगे।

एक्सपर्टस का मानना है कि बजट में एग्रीकल्चर एजुकेशन को बढ़ावा दिया गया है। नए कॉलेज भी खोले गए हैं। इससे राजस्थान का फायदा मिलेगा। एग्रीकल्चर एजुकेशन में तेजी आएगी। मगर इसमें एग्रीकल्चर ट्रेनिंग को भी बढ़ावा दिए जाने की जरुरत है। एग्रीकल्चर ट्रेनिंग पर फोकस की जरुरत।

एमएसपी पर कोई बात नहीं हुई

राजस्थान क़ृषि बजट में फसलों के मिनिमम सपोर्ट प्राइज पर बात नहीं हुई। एक्सपर्टस का कहना है कि राजस्थान में बाजरा और लहसुन जैसी फसलों को खरीदने के लिए एमएसपी होनी चाहिए। ताकि अच्छे दामों पर लहसुन और बाजरा जैसी फसलें किसान से सरकार खरीदे और उसे अच्छे दाम मिल सकें।

सबसे बड़ा सवाल : राजस्थान की जलवायु के अनुसार बजट का होना जरूरी

एक्सपर्टस का कहना है कि राजस्थान की जलवायु खेती के लिए बिलकुल अलग है। यहां मिट्‌टी, पानी, बीज और जलवायु काफी अलग हैं। ऐसे में बजट उसी अनुसार डिजाइन होना चाहिए। राजस्थान में 61 प्रतिशत क्षेत्र शुष्क है और 17 प्रतिशत अर्द्धशुष्क है। ऐसे में राजस्थान जैसे जलवायु के लिए ग्रीन हाउस कारगर साबित नहीं होगा। एग्रो इकॉलॉजिकल जोन वाइज समस्या और उनका फोकस करते हुए बजट एलोकेशन नहीं किया गया है।

राजस्थान में वर्टिकल फार्मिंग के लिए पैसा दिया जाना चाहिए। कंर्जवेशन एग्रीकल्चर पर फोकस नहीं किया गया। इससे मिट्‌टी की क्वालिटी सुधरती है। इससे मिट्‌टी की उर्वरकत बढ़ाई जा सके। राजस्थान में मिट्‌टी की क्वालिटी बेहद खराब है। इसके अलावा प्रिसिजन एग्रीकल्चर पर भी फोकस होना चाहिए। जैसे राजस्थान में 77 प्रतिशत क्षेत्र ऐसा है जहां गेहूं नहीं उगाया जा सकता। ऐसे में उसके लिए अलग से योजनाएं होनी चाहिए।

राजस्थान डार्क जोन में, पानी बढ़ाने पर फोकस नहीं

एक्स्पर्टस का यह भी कहना है कि राजस्थान डार्क जोन में है। ऐसे में पानी को लेकर जिस तरह से सोचा जाना चाहिए था। उस तरह से नहीं सोचा गया। क्रॉप वाटर रिक्वायरमेंट पर काम होना चाहिए। क्रॉप वाटर रिक्यावरमेंट और रिसर्च पर कोई पैसा नहीं दिया गया है।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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