Up: नागालैंड में तैनात सेना का सिपाही ठगी में गिरफ्तार; 10 लाख में भर्ती का झांसा देते थे, खुद को बताते थे मेजर-लेफ्टिनेंट कर्नल

Up: नागालैंड में तैनात सेना का सिपाही ठगी में गिरफ्तार; 10 लाख में भर्ती का झांसा देते थे, खुद को बताते थे मेजर-लेफ्टिनेंट कर्नल

भारतीय सेना का सिपाही ठगी में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी की तैनाती नागालैंड बॉर्डर पर है। वह पूर्व सैनिक और दो अन्य लोगों के साथ ठगी का गिरोह चला रहा था। इतना ही नहीं, आरोपी सिपाही खुद को मेजर बताकर लोगों को झांसे में लेता था।

10 लाख में नौकरी लगवाने का दावा करता था। यहां तक फर्जी भर्ती प्रक्रिया भी करवाता था। इसके बाद रुपए लेकर फरार हो जाता था। मिलिट्री इंटेलीजेंस और यूपी एसटीएफ ने जॉइंट ऑपरेशन में पीजीआई थाना क्षेत्र से चारों को पकड़ लिया।

मिलेट्री इंटेलीजेंस और एसटीएफ ने पकड़ा

दरअसल, मिलेट्री इंटेलीजेंस को सेना में तैनात सिपाही राम बरन सिंह के ठगी का गिरोह चलाने का इनपुट में मिला था। आरोपी को रंगे हाथ पकड़ने के लिए मिलेट्री इंटेलीजेंस ने यूपी एसटीएफ की मदद ली। जांच के दौरान पता चला कि रामबरन गाजीपुर के रहने वाले अमित कुमार सिंह, उन्नाव के शुभम और इटावा के दिनेश कुमार यादव के साथ ठगी का गिरोह चला रहा है।

गैंग में शामिल पूर्व सिपाही अमित खुद को लेफ्टिनेंट कर्नल बताता था। जबकि शुभम पटेल उर्फ कुणाल खुद को भारतीय सेना का कमांडो बताता था। ये सभी लेफ्टिनेंट कर्नल और मेजर की वर्दी पहन कर बेरोजगार युवकों से लाखों की रकम वसूलते थे।

खुद को मेजर और कमांडो बताते थे ठग

एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया है कि शुभम पेटल बेरोजगार युवकों को सेना में भर्ती कराने के नाम पर 8 से 10 लाख रुपए लेता था। दिनेश फर्जी भर्ती प्रक्रिया के लिए भेजता था। भरोसे के लिए शुभम खुद को आर्मी का कमांडो बताता था। वहीं, अमित को लेफ्टीनेंट कर्नल और रामबरन यादव को मेजर बताकर मिलाता था। इसके बाद फर्जी भर्ती प्रक्रिया की जाती थी।

शिकायत न करे इसलिए जमा कराते थे डॉक्यूमेंट

बेरोजगार युवकों को आर्मी में भर्ती के फर्जी पत्र देता था। आर्मी के फर्जी दस्तावेज दिनेश और राम बरन सिंह उपलब्ध कराते थे। आरोपी बेरोजगार युवकों के शैक्षिक, जाति, निवास प्रमाण-पत्रों आदि की मूल कॉपी रख लेते थे। जिससे वह कहीं पर शिकायत न कर सकें। इसके बाद चारों ठगी कर फरार हो जाते थे।

ऐसे शुरू हुआ ठगी का खेल

पूर्व सैनिक अमित कुमार सिंह ने पूछताछ में बताया कि सेना में 16 साल नौकरी करने के बाद नवम्बर 2021 में रिटायर हुआ। इस दौरान रामप्रकाश नाम के युवक से मुलाकात हुई। उसने सेना में युवकों की भर्ती कराने के बदले मोटी रकम देने की बात कही।

इसके बाद रामप्रकाश को भर्ती करवाने के लिए कुछ लड़कों से पैसे लेकर दिए, लेकिन उनकी भर्ती नहीं हुई। पैसा मांगने पर रामप्रकाश ने लखनऊ में शुभम पटेल, दिलीप व रामबरन सिंह से कराई। इसके बाद मिलकर नौकरी के नाम पर ठगी करने लगा।

वर्दी की वजह से झांसे में आ जाते थे बेरोजगार

रामबरन सिंह सेना में 2015 से भर्ती हुआ था। 45 दिन के छुट्टी पर लखनऊ आया था। वह एसएससी-जीडी, पुलिस, रेलवे और सेना में बेरोजगार युवकों को भर्ती का सपना दिखाता था। सेना की वर्दी में होने की वजह से बेरोजगार युवक आसानी से इनके झांसे में आ जाते थे।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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