नई दिल्ली:पूर्व CJI शरद बोबडे बोले- संस्कृत क्यों नहीं आधिकारिक भाषा,नई दिल्लीअंबेडकर भी यही चाहते थे, 95% संस्कृत का धर्म से कोई संबंध नहीं

नई दिल्ली:पूर्व CJI शरद बोबडे बोले- संस्कृत क्यों नहीं आधिकारिक भाषा,नई दिल्लीअंबेडकर भी यही चाहते थे, 95% संस्कृत का धर्म से कोई संबंध नहीं

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने पूछा है कि संस्कृत देश की आधिकारिक भाषा क्यों नहीं हो सकती है। उन्होंने अखिल भारतीय छात्र सम्मेलन में कहा- मैं खुद से सवाल पूछता हूं कि संस्कृत देश की आधिकारिक भाषा क्यों नहीं हो सकती है, जैसा डॉ. भीमराव अंबेडकर भी चाहते थे। उन्होंने 11 सितंबर 1949 के अखबारों के हवाले से बताया कि डॉ. अंबेडकर ने संस्कृत को देश की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए पहल की थी।

95 फीसदी संस्कृत का धर्म से कोई लेना-देना नहीं

पूर्व CJI शरद बोबडे ने कहा- संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने का मतलब किसी धर्म को बढ़ावा देना नहीं होगा। 95 फीसदी संस्कृत का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि इसका संबंध तो फिलॉसफी, कानून, विज्ञान, साहित्य, फोनेटिक्स, आर्किटेक्चर और एस्ट्रोनॉमी से है।

धर्मनिरपेक्ष इस्तेमाल में सक्षम है संस्कृत

पूर्व CJI शरद बोबडे ने संस्कृत को धर्मनिरपेक्ष इस्तेमाल के लिए सक्षम बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत को किसी धर्म से जोड़े बिना एक भाषा के तौर पर पढ़ाया जाना चाहिए, जैसे- प्रोफेशनल कोर्स में अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। इसके लिए एक शब्दकोश तैयार करना होगा और भाषा को ऑफिशियल्स लैंग्वेज एक्ट में शामिल करना होगा।

उर्दू में भी हैं संस्कृत मूल के शब्द

उन्होंने कहा- संस्कृत नॉर्थ या साउथ की भाषा नहीं है। ये ऐसी अकेली भाषा है जो क्षेत्रीय भाषाओं के साथ बनी रह सकती है। मैं ऐसा भाषा विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद कह रहा हूं, जो मानते हैं कि भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में बातचीत करते समय भी कई संस्कृत शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। हिंदी, तेलुगु और बंगाली और कन्नड़ में 60 से 70 फीसदी शब्द संस्कृत के हैं। यहां तक कि उर्दू में भी संस्कृत मूल के शब्द हैं।

अनसुलझा नहीं रहना चाहिए आधिकारिक भाषा का मुद्दा

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व CJI ने कहा- मुझे लगता है कि आधिकारिक भाषा का यह मुद्दा अनसुलझा नहीं रहना चाहिए। शासन और न्याय प्रशासन में मिसकम्युनिकेशन के गंभीर खतरे हैं।



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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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