कानपुर:जमानत के 10 दिन बाद भी खुशी दुबे जेल में,पुलिस-बैंक और रजिस्ट्रार के पास फंसे रिहाई के कागज, वकील फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे

कानपुर:जमानत के 10 दिन बाद भी खुशी दुबे जेल में,पुलिस-बैंक और रजिस्ट्रार के पास फंसे रिहाई के कागज, वकील फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे

सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के 10 दिन बाद भी बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे जेल से बाहर नहीं आ सकी है। दरअसल, अभी तक जमानत के लिए दाखिल किए गए दस्तावेजों का वेरिफिकेशन नहीं हो सका है। दस्तावेजों के वेरिफिकेशन में देरी को लेकर खुशी के वकील फिर कोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज कराएंगे। जिससे जल्द खुशी की जेल से रिहाई हो सके।

पुलिस, बैंक और रजिस्ट्रार ऑफिस में फंसा है वेरिफिकेशन

चौबेपुर थाने की पुलिस ने खुशी के खिलाफ बिकरू कांड के साथ ही दूसरी एफआईआर फर्जी सिम के मामले में दर्ज कराई थी। फर्जी सिम वाले मुकदमे की जमानत में 35-35 हजार की दो एफडी लगाई गई हैं। जबकि बिकरू कांड वाले मुकदमे में जमानत मिलने के बाद डेढ़-डेढ़ लाख की दो एफडी, एक मकान के पेपर और चार लोगों की जमानत लगी हुई है।

एफडी का सत्यापन करने के लिए सभी पेपर बैंक भेजे गए हैं। मकान के सत्यापन के लिए पेपर रजिस्ट्री ऑफिस भेजे गए हैं। इसके साथ ही जिन चार लोगों ने खुशी की जमानत ली है। उन सभी के पते समेत अन्य सत्यापन पुलिस की जिम्मेदारी है। बैंक, पुलिस और रजिस्ट्री ऑफिस से अभी तक वेरिफिकेशन पूरा नहीं हुआ है। इसके चलते खुशी जेल से बाहर नहीं आ पा रही है।

कोर्ट से पता चलेगा कहां फंसा है सत्यापन

खुशी दुबे के वकील शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि सत्यापन के लिए सभी जगह रिपोर्ट भेज दी गई है। मौजूदा समय में दस्तावेजों का सत्यापन किन-किन स्तरों पर फंसा है अभी बताना मुश्किल है। 16 जनवरी को वह कोर्ट में सत्यापन नहीं होने की शिकायत दर्ज कराएंगे। कोर्ट इससे संबंधित रिपोर्ट मांगेगा तब पता चल सकेगा कि कहां पर दस्तावेज फंसे हुए हैं।

खुशी की मां समेत पूरा परिवार परेशान

बिकरू कांड में जेल भेजी गई खुशी दुबे को 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। खुशी के वकील शिवाकांत दीक्षित और उनकी मां गायत्री तिवारी लगातार केस की मजबूती से पैरवी कर रही हैं। इसके बाद भी दस्तावेजों का सत्यापन नहीं होने से खुशी की मां समेत पूरा परिवार परेशान है।

खुशी के वकील शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि 9 जनवरी को जमानत से संबंधित सभी दस्तावेज कोर्ट में दाखिल कर दिए गए थे। इसके बाद भी दस्तावेजों का सत्यापन नहीं होना और खुशी का जेल से बाहर नहीं आना कई सवाल खड़े करता है। अब वह जेल से रिहाई नहीं होने पर 16 जनवरी को कोर्ट में इसकी शिकायत दर्ज कराएंगे। इससे कि नियमों का समय से पालन करते हुए खुशी की जेल से रिहाई हो सके।

जमानत के बाद कब क्या हुआ

4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली।

5 जनवरी को ऑर्डर की कॉपी कोर्ट में दाखिल की।

6 जनवरी को सेशन कोर्ट से जमानत की शर्तें तय हुईं।

9 जनवरी को जमानत के पेपर कोर्ट में दाखिल किए गए।

16 जनवरी को खुशी के वकील कोर्ट में दर्ज कराएंगे मामले की शिकायत।

अब फिर आपको बिकरु कांड में आरोपी बनने वाली खुशी दुबे के बारे में बताते हैं...

पुलिस का आरोप- अमर गोली चला रहा था, खुशी कारतूस दे रही थी

कानपुर में 2 जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस पर गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने गैंग के साथ हमला कर दिया था। हमले में डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। मामले में विकास दुबे का भतीजा अमर दुबे भी आरोपी था। अमर की 29 जून को पनकी निवासी खुशी दुबे से शादी हुई थी। बिकरू कांड में गैंगस्टर विकास और उसके भतीजे अमर को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था।

लेकिन पुलिस ने बिकरू कांड में अमर की पत्नी खुशी दुबे को भी आरोपी बनाया था। जो महज 3 दिन पहले ही ब्याह कर अमर के घर आई थी। पुलिस का आरोप था कि जब अमर दुबे अपनी छत पर पुलिस पर ताबड़तोड़ गोलियां दाग रहा था तब खुशी उसे कारतूस उठाकर दे रही थी। पुलिस पर हमले का खुशी को बराबर का आरोपी बनाकर 8 जुलाई 2020 को जेल भेजा था, लेकिन परिजनों का दावा था कि पुलिस ने 4 जुलाई को ही हिरासत में लिया था। 4 दिन पूछताछ के बाद जेल भेजा था।

करीब 95 सुनवाई के बाद मिली जमानत

कानपुर की चौबेपुर पुलिस ने बिकरू कांड की मुख्य एफआईआर में खुशी दुबे को भी गैंगस्टर विकास दुबे के साथ बराबर का आरोपी बनाया था। हत्या, डकैती, पुलिस पर हमला समेत 16 गंभीर धाराओं में पुलिस ने खुशी को अरेस्ट करके जेल भेजा था। खुशी के वकील शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक करीब 95 तरीखों पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने खुशी दुबे को जमानत दी है।

खुशी जेल जाने के बाद नाबालिग साबित हुईं

खुशी दुबे का केस लड़ रहे वकील शिवाकांत दीक्षित ने पुलिस की कार्रवाई को चैलेंज करते हुए खुशी को नाबालिग बताया था। कोर्ट के सामने नाबालिग होने संबंधित साक्ष्य रखे थे। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर खुशी का मेडिकल हुआ और अक्टूबर 2020 में नाबालिग कोर्ट ने 16 साल 10 महीने की खुशी को नाबालिग मान लिया था। इसके बाद से उसे सीतापुर बालिका गृह भेजा गया था। मौजूदा समय में बालिग होने के बाद कानपुर देहात की जेल में बंद है। अब सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर जेल पहुंचने के बाद खुशी की रिहाई होगी।



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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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