सूर्य नमस्कार आगरा के रोहित का किलिमंजारो चोटी पर:ये अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंचा पर्वत; 19000 फीट ऊंचाई, माइनस 15°C टैम्प्रेचर

सूर्य नमस्कार आगरा के रोहित का किलिमंजारो चोटी पर:ये अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंचा पर्वत; 19000 फीट ऊंचाई, माइनस 15°C टैम्प्रेचर

आगरा के पर्वतारोही रोहित तिवारी ने अपने हौसले और बुलंद इरादे के बूते अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह किया है। नए साल पर उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। 19 हजार फीट और माइनस 15 डिग्री तापमान पर उन्होंने किलिमंजारो पर 51 सूर्य नमस्कार किए। अब रोहित विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने की तैयारी कर रहे हैं।

रोहित तिवारी आगरा के भूड़ का बाग में रहते हैं। दिल्ली में ऑनलाइन एजुकेशन देने वाली कंपनी में जॉब करते हैं। रोहित ने बताया,  मैंने 1 जनवरी 2023 को माउंट किलिमंजारो पर तिरंगा लहराया। इसके लिए चढ़ाई 25 दिसंबर से शुरू की थी। रोहित ने दावा किया कि वह पहले भारतीय हैं, जिन्होंने माइनस 15 डिग्री पर 19 हजार फीट पर योग को प्रमोट किया।

कहा कि मुझे वहां पर योग करते देखे विश्व के सभी पर्वतारोही उनसे प्रभावित हुए। उन्होंने सबको योग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सब आश्चर्य चकित थे कि इतनी ऊंचाई पर जहां सांस लेना मुश्किल हो रहा है, वहां पर ये लड़का सूर्य नमस्कार कर रहा है। उस समय विश्व के विभिन्न देशों के करीब 50 पर्वतारोही वहां मौजूद थे।

समृद्ध यूपी का दिया संदेश

रोहित ने बताया कि उन्होंने माउंट किलिमंजारो की चोटी पर समृद्ध उत्तर प्रदेश का बैनर भी लहराया। इसके पीछे मकसद था कि सबको बताना कि उत्तर प्रदेश अब बदल चुका है। यहां महिलाएं सुरक्षित हैं। यूपी में मेट्रो, ट्रेन, एयरपोर्ट के साथ ग्लोबल लेवल की सुविधाएं बढ़ी हैं।

मैं अब माउंट एवरेस्ट फतेह करुंगा

रोहित ने बताया कि उन्होंने मिशन सेवन कॉन्टिनेंट का लक्ष्य बनाया है। इसमें विश्व के अलग-अलग सबसे 7 ऊंची चोटियों को फतेह करना है। माउंट किलिमंजारो के बाद अब उनका अगला लक्ष्य माउंट एवरेस्ट को फतेह करना है। इसके लिए वो अप्रैल में अपना मिशन शुरू करेंगे। माउंट एवरेस्ट के बाद वो यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलप्रॉस पर चढ़ाई करेंगे।

पर्वतारोही बनने का मेरा बचपन का ड्रीम था

रोहित ने बताया कि पर्वतारोही बनने का सफर 1994 में शुरू हुआ था। उस समय वो क्लास 7 में थे। उस समय माउंट एवरेस्ट पर एक डिजास्टर हुआ था। उसके बारे में अखबार में पढ़ा। उसके बाद से उनके मन में माउंट एवरेस्ट के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। उन्होंने उसके बारे में पढ़ाना शुरू किया। उन्हें पता चला कि विश्व की सबसे ऊंची चोटी है। बस वहीं से उन्होंने सोचा कि एक न एक दिन वो भी माउंट एवरेस्ट पर जाएंगे। इस सफर की शुरुआत हो चुकी है। अब अप्रैल में वो माउंट एवरेस्ट फतेह करने के लिए प्रयास करेंगे।

प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली

रोहित ने बताया कि उन्होंने पर्वतारोही बनने के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली है। उत्तर काशी में रक्षा मंत्रालय के इंस्टीट्यूट से उन्होंने पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स किया। इसके बाद उन्होंने दार्जिलिंग से एडवांस कोर्स किया। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्होंने इंडियन हिमालय पर चढ़ाई की। नेपाल में उन्होंने 7 दिन में अकेले 18 किलो वजन के साथ हिमालय चढ़ने की उपलब्धि हासिल की।

हर दिन ये करते हैं प्रैक्टिस

रोहित ने बताया कि प्रतिदिन लगभग 4 से 5 घंटे का ट्रेनिंग करते है। सुबह 4 बजे से उन के दिन की शुरुआत होती है, जिसमें 10 से 15 किमी की रनिंग 15 किलो वजन के साथ। करीब 40 किमी साइकिलिंग करते आफिस जाते हैं। सूर्य नमस्कार और योग करते हैं। उन्होंने बताया कि टाइम मैनेजमेंट से इस तरीके की ट्रेनिंग की जा सकती है।



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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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