कैदी बोले-रुपए न देने पर हमें बता देते हैं मनोरोगी:इलाज के नाम पर वसूली होती, 18 साल से आगरा सेंट्रल जेल में डॉक्टर तैनात है

कैदी बोले-रुपए न देने पर हमें बता देते हैं मनोरोगी:इलाज के नाम पर वसूली होती, 18 साल से आगरा सेंट्रल जेल में डॉक्टर तैनात है

आगरा की सेंट्रल जेल में कैदी ने डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक कैदी ने लिखित शिकायत की। कहा,यहां पर जो डॉक्टर तैनात हैं। वो हर बात में वसूली करते हैं। इलाज के नाम पर कई बंदियों से वसूली करते हैं। बदले में रुपए मांगते हैं। न देने पर वो बंदियों को मनोरोगी बता देते हैं। इस बात से हम लोग बहुत आहत हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव और अपर जिला सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने शिकायतों को गंभीरता से लिया है। इसको लेकर शासन को पत्र लिखा है।

शासन नीति के नियम टूटते दिखे

सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि पिछले दिनों उन्होंने सेंट्रल जेल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान कुछ बंदियों ने वहां तैनात डॉक्टर देवेंद्र सिंह पर आरोप लगाए थे। इस पर उन्होंने जांच की तो पता चला कि डॉक्टर 18 साल से सेंट्रल जेल में ही तैनात हैं।

इससे उन्हें मामला संदिग्ध लगा। शासन की नीति के अनुसार, एक जिले में तीन साल और एक मंडल में आठ साल से अधिक तैनाती नहीं हो सकती। ऐसे में डॉक्टर के आगरा सेंट्रल जेल में तैनात होना सवाल खडे़ करता है। इसके बाद जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी विक्रम ने लिखित में शिकायत दी।

विरोध करने वालों को बना देते है मनोरोगी

कैदी ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को लिखित में शिकायत दी है। सचिव का कहना है कि निरीक्षण के दौरान कई बंदियों से बात की। जिन्होंने डॉक्टर के बारे में कई बातें बताईं। कई ने बताया कि इलाज के नाम पर भी रुपए मांगे जाते हैं। इसकी पूरी जांच के लिए पत्र लिखा है। जल्द ही मामले की शासन स्तर से जांच की जाएगी।

शासन को लिखा पत्र

सचिव ज्ञानेंद्र त्रिपाठी पत्र लिखा, डॉ. देवेंद्र सिंह 18 साल से सेंट्रल जेल में कार्यरत हैं जो कि नियम विरुद्ध है। ऐसे में बंदी के आरोपों में गंभीरता है, इनका तत्काल ट्रांसफर अन्यत्र किए जाने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य और DG हेल्थ को पत्र लिखते हुए अन्यत्र तैनाती किए जाने का अनुरोध किया है।

वहीं दूसरी तरफ कई दफा पुलिस लाइन से गारद ना मिलने की वजह से कैदी जेल के अंदर ही दम तोड़ देता है, इसलिए पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर ये सुझाव भी रखा है कि 10 जवानों की टीम हमेशा जेल के बाहर रिजर्व में चौबीसों घंटे तैनात रहे। ताकि, इमरजेंसी में कैदी को तुरंत इलाज मिल सके। असमय मौत ना हो साथ ही जेल में ऑपरेशन थिएटर बनाए जाएं। ताकि, जेल के अंदर ही जटिल ऑपरेशन किए जा सकें।


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