नए साल में गिफ्ट गहलोत एक लाख कर्मचारियों को देंगे:क्लर्क ग्रेड को सचिवालय सर्विसेज के बराबर सैलरी-प्रमोशन, जल्द ऐलान संभव

 नए साल में गिफ्ट गहलोत एक लाख कर्मचारियों को देंगे:क्लर्क ग्रेड को सचिवालय सर्विसेज के बराबर सैलरी-प्रमोशन, जल्द ऐलान संभव

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत इस बार नए साल में कर्मचारियों के लिए एक बहुत बड़ा गिफ्ट देने वाले हैं। क्लर्क ग्रेड वाले कर्मचारियों की पिछले 20 सालों से चली आ रही सबसे बड़ी मांग जल्द पूरी हो सकती है। मुख्यमंत्री प्रदेश के एक लाख से ज्यादा क्लर्क ग्रेड वाले कर्मचारियों को सचिवालय सर्विसेज के बराबर वेतन और प्रमोशन देने की तैयारी में है।

इसके लिए सीएम ने 28 दिसंबर को कुछ कर्मचारी नेताओं को मिलने के लिए अपने घर (सीएमआर) पर बुलाया था। नेताओं ने भास्कर को बताया कि पहली बार किसी सीएम ने औपचारिक टेबल-कुर्सी की बातचीत के बजाय सभी को अपने पास सोफे पर बैठाकर बात की।

इस मौके पर राजस्थान टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ और गहलोत के प्रमुख शासन सचिव (सीएमओ) कुलदीप रांका भी मौजूद थे। स्टेट फाइनेंस डिपार्टमेंट ने इस डिमांड को लेकर स्टडी भी शुरू कर दी है।

इसी बीच, प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारियों और तीन लाख पेंशनर्स के विभिन्न मुद्दों पर विचार करने वाली पूर्व कार्मिक सचिव खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने भी सीएम गहलोत को शनिवार शाम को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सूत्रों का कहना है कि सीएम गहलोत इसे बजट से पहले भी घोषित कर सकते हैं।

गहलोत का यह गिफ्ट प्रदेश के करीब एक लाख मंत्रालयिक (लिपिक वर्ग) कर्मचारियों को खुश कर सकता है, जिसके बाद कर्मचारियों की शायद ही कोई महत्वपूर्ण मांग बाकी रह जाए। देश में केवल प्रधानमंत्री कार्यालय में ही राजस्थान के सचिवालय से बेहतर वेतन और पदोन्नति मिलती है, अन्यथा देश में और कहीं नहीं।

सीएम गहलोत से मुलाकात करने वाले कर्मचारी नेता सूरज प्रकाश टांक और महेंद्र धायल ने भास्कर को बताया कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि सीएम गहलोत नए साल में लिपिक वर्ग के कर्मचारियों को अब तक का सबसे बड़ा तोहफा देंगे।

सचिवालय सेवा में सबसे बड़ा पद है सीनियर डिप्टी सेक्रेटरी

सचिवालय सेवा में जब कोई कर्मचारी लिपिक के कनिष्ठ सहायक जैसे सबसे पहले पद पर भर्ती होता है, तो वो छह पदोन्नतियां पाते हुए क्रमश: वरिष्ठ सहायक, सहायक अनुभाग अधिकारी, अनुभाग अधिकारी, सहायक सचिव, अतिरिक्त सचिव, उप सचिव (डिप्टी सेक्रेटरी) और सीनियर डिप्टी सेक्रेटरी (वरिष्ठ उप सचिव) के पद तक पहुंच सकता है।

यह पद आरएएस की वरिष्ठ श्रृंखला के बराबर का पद होता है। इस पर कार्यरत कर्मचारी को लगभग एक लाख 25 हजार से एक लाख 40 हजार तक का वेतन मिलता है। इसी तरह के वेतन और पदोन्नतियां सचिवालय के अलावा राज्य विधानसभा और राजस्थान लोक सेवा आयोग (अजमेर) में हैं। अब समस्त कर्मचारी वर्ग को इन टाॅप सेवाओं के बराबर वेतन और पदोन्नतियों के मौके मिल सकेंगे।

सामान्य विभागीय सेवाओं में सबसे बड़ा पद है संस्थापन अधिकारी, सचिवालय सेवा से बहुत पीछे। मांग है कि सचिवालय सेवा के सीनियर डीएस के बराबर डिप्टी डायरेक्टर का पद दिया जाए।

सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत लिपिकों को कनिष्ठ सहायक के शुरुआती पद पर नियुक्ति मिलने के बाद क्रमश: वरिष्ठ सहायक, सहायक प्रशासनिक अधिकारी, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और संस्थापन अधिकारी के पद तक प्रमोशन मिलता है।

इस वर्ग के लगभग 1 लाख कर्मचारियों की मांग है कि संस्थापन अधिकारी को सचिवालय सेवा के डिप्टी सेक्रेटरी के बराबर किया जाए। उनकी सैलरी और प्रमोशन के अवसर भी बराबर किए जाएं। इसके ऊपर फिर एक पद और गठित कर डिप्टी डायरेक्टर का पद विभागों में बनाया किया जाए, जिसे सचिवालय सेवा के सीनियर डिप्टी सेक्रेटरी के बराबर वेतन मिले।

संस्थापन अधिकारी बनने पर करीब एक लाख रुपए मासिक का वेतन मिलता है, जो सचिवालय सेवा के टॉप पद से 25 से 40 हजार रुपए मासिक कम है। वेतन का फर्क जीवन भर पेंशन में भी बना रहता है, जो अब हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।

सचिवालय सेवा की टाॅप पोस्ट(सीनियर डिप्टी सेक्रेटरी) और सामान्य विभागों की टॉप पोस्ट(संस्थापन अधिकारी-एस्टेब्लिशमेंट ऑफिसर) के वेतन क्रमश: एक लाख 40 हजार और एक लाख रुपए मासिक तक है। जब तक कार्मिक नौकरी में रहते हैं, तब तक यह फर्क वेतन में बना रहता है। उसके बाद यही फर्क रिटायरमेंट के बाद पेंशन में बना रहता है। दोनों पदों पर क्रमश: 70 हजार रुपए और 55 हजार रुपए मासिक की पेंशन मिलती है। अब यह फर्क हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।

अगर मुख्यमंत्री यह घोषणा करते हैं तो करीब 1100 करोड़ रुपए वार्षिक का अतिरिक्त भार सरकार पर पड़ सकता है।

अगर मुख्यमंत्री यह घोषणा करते हैं तो करीब 1100 करोड़ रुपए वार्षिक का अतिरिक्त भार सरकार पर पड़ सकता है।

किसानों के बाद सबसे बड़ा वोट बैंक है कर्मचारी वर्ग

किसानों के बाद कर्मचारी वर्ग राजस्थान ही नहीं देश भर में सबसे बड़ा वोट बैंक है। सरकार की योजनाओं को फेल और पास करने की ताकत उनके पास होती है। सरकार की योजनाओं के प्रति माहौल बनाने का काम भी कर्मचारी करते हैं। प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों में वे, उनके परिजन और उनसे प्रभावित लोग रहते हैं। ऐसे में सीएम गहलोत चाहते हैं कि यह वर्ग उनकी सरकार के प्रति सकारात्मक बना रहे।

सीएम गहलोत ने हाल ही कहा था कि जब वे पहली बार सीएम बने (1998-2003) तो कर्मचारी उनसे नाराज हो गए थे, क्योंकि वे अपना संदेश उन तक नहीं पहुंचा सके। इसके चलते उनकी सरकार चली गई। लेकिन जब वे दूसरी बार सीएम बने (2008-2013) तो कर्मचारी उनके प्रति खुशी रहे। वर्ष 2013 में उन्होंने करीब 10 साल पहले सामान्य विभागों के लिपिकों को सचिवालय सेवा के बराबर वेतन व पदोन्नति देने का निर्णय लगभग कर ही लिया था, लेकिन उसे लागू नहीं कर पाए थे। अब इस बार वे चाहते हैं कि पिछली बार जो चूक रह गई, उसे दूर किया जाए।

राजस्थान के खान विभाग के तहत एक निगम ऐसा भी है जहां पिछले 4 साल में 7 IAS बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) लगे और हटे। महज 4 साल में 7 IAS का किसी पोस्टिंग से बार-बार बदलना प्रदेश में पहली बार है। ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है कि यह भी ठीक वैसा ही मामला है जैसा प्रदेश में पिछले दिनों विभिन्न मंत्रियों के साथ IAS अफसरों की खट-पट की बातें सामने आई थीं। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार मंत्री केवल एक हैं खान मंत्री प्रमोद जैन भाया और उनके साथ पटरी नहीं बैठने वाले IAS अफसरों की संख्या है सात



 658e1a
yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

Leave a Reply

Required fields are marked *