गाज़ियाबाद. सर्दियों में अक्सर ट्रेन की पटरी चटकने क्रैक या टूटने के कारण बड़े हादसे की वजह बन जाती है. कई बार ट्रैक के टूटने या चटक जाने की जानकारी रेलवे अधिकारियों के कंट्रोल रूम के पास भी समय रहते नहीं पहुंच पाती है. इस कारण से जान-माल दोनों की हानि हो सकती है. लेकिन गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित सी.ई.एल के इंजीनियरों ने इसका तोड़ निकाला है. उन्होंने ऐसा डिवाइस बनाकर तैयार किया है, जो ट्रेन की पटरी टूटने या चटक जाने पर उसका संदेश तुरंत रेलवे अधिकारियों के मोबाइल फोन पर पहुंचाएगा. इस सिस्टम को नाम दिया गया है ब्रोकन रेल डिटेक्शन सिस्टम बीआरडीएस.
फिलहाल शुरुआती दिनों में यह सिस्टम पटरियों में 500-500 मीटर की दूरी पर लगाया जाएगा. पहले दिल्ली मेट्रो की ट्रैक पर इसका सफल ट्रायल हुआ था. अब देश में पहली बार मई 2023 में दिल्ली मेट्रो की पटरियों पर बोटनिकल गार्डन से कालकाजी मंदिर स्टेशन के रूट के बीच यह सिस्टम लगाया जाएगा. जिसके बाद इस डिवाइस को भारतीय रेलवे की पटरियों पर लगाने की तैयारी है.
500 मीटर की दूरी में आने-जाने वाली दोनों तरफ की ट्रेनों की पटरी पर एक ही स्थान पर चार ट्रांसमीटर और चार रिसीवर लगने हैं. ट्रेन की आने-जाने वाली पटरियों के बीच में लोकेशन बहुत लगाया जाएगा. यह लो वोल्टेज ऑडियो हाई फ्रीक्वेंसी के तहत काम करेगा जिसका पटरी टूटने पर सिग्नल बदल जाएगा. लोकेशन बॉक्स में तीन अलग-अलग रंगों की लाइट लगी हुई है. पटरी ठीक रहने पर लोकेशन बॉक्स में हरी लाइट जलती रहेगी. पटरी के चटकने पर पीली लाइट जलेगी और टूटने पर लाल लाइट जलेगी.
प्रबंध निदेशक सीईएल चेतन प्रकाश जैन ने बताया कि इस डिवाइस के माध्यम से अब टूटी रेल पटरी के स्थान को तलाश करना आसान हो जाएगा. दो बीआरडीएस के बीच 500 मीटर के बीच टूटने का मैसेज मिलेगा फिर इंजीनियर आसानी से उसी 500 मीटर के दायरे में जाकर आसानी से टूटी पटरी को खोज सकता है. इस प्रोजेक्ट में संदीप अग्रवाल ने प्रोडक्शन का काम संभाला था. दर्पण ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट का काम संभाला और पृथ्वी ने इंजीनियरिंग का.