केरल: HC ने प्रावधान को माना असंवैधानिक, सहमति से तलाक के लिए पति-पत्नी का 1 साल अलग रहना जरूरी नहीं

केरल: HC ने प्रावधान को माना असंवैधानिक, सहमति से तलाक के लिए पति-पत्नी का 1 साल अलग रहना जरूरी नहीं

नई दिल्ली: तलाक के लिए एक साल तक अलग-अलग रहने के प्रावधान को लेकर केरल हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए एक साल तक का इंतजार करना असंवैधानिक है. केरल हाईकोर्ट की एक बेंच ने आपसी सहमति से पति-पत्नी के बीच 1 साल की अलगाव अवधि के प्रावधान को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना और तलाक अधिनियम की धारा 10ए को रद्द किया, जिसमें एक साल अलग रहे बिना तलाक के लिए आवेदन करना अवैध है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10 ए के तहत आपसी सहमति से तलाक याचिका दायर करने के लिए एक साल या उससे अधिक समय तक अलगाव की न्यूनतम अवधि का निर्धारण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और यह पूरी तरह से असंवैधानिक है.

हाईकोर्ट के जस्टिस ए. मोहम्मद मुस्ताक और शोभा अन्नम्मा एपेन की पीठ ने केंद्र सरकार को वैवाहिक विवादों में पति-पत्नी के सामान्य कल्याण को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक समान विवाह संहिता पर गंभीरता से विचार करने का निर्देश दिया. दरअसल, अदालत ने अधिनियम की धारा 10ए(1) के तहत निर्धारित एक साल की अवधि को चुनौती देने के खिलाफ दो पक्षों (पति-पत्नी) द्वारा दायर रिट याचिका को असंवैधानिक मानते हुए यह फैसला सुनाया.

बता दें कि हाईकोर्ट का फैसला एर्नाकुलम फैमिली कोर्ट के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें फैमिली कोर्ट ने कपल द्वारा दायर संयुक्त याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि इस एक्ट की धारा 10ए के तहत तलाक की याचिका दायर करने के लिए शादी के बाद एक साल तक अलग-अलग रहना अनिवार्य है. फैमिली कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ इस कपल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अधिनियम की धारा 10ए(1) को असंवैधानिक घोषित करने के लिए एक रिट याचिका दायर की थी.

जस्टिस ए. मुहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति शोबा अन्नम्मा एपेन की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि विधायिका ने अपने विवेक के मुताबिक इस तरह की अवधि लगाई थी ताकि पति-पत्नी द्वारा गुस्से में आकर लिए गए फैसलों के खिलाफ यह सेफगार्ड का काम करे और फैसले पर दोबारा से गौर करने के लिए वक्त मिल जाए और उनकी शादी टूटने से बच जाए. कोर्ट ने कहा, हालांकि, भारतीय सामाजिक संदर्भ में विवाह दो व्यक्तियों द्वारा संपन्न होते हैं, इसे एक मजबूत परिवार और समाज की नींव रखने के लिए एक संघ के रूप में अधिक देखा जाता है. पारिवारिक संबंधों के आधार पर कई कानून बनाए गए हैं और कई अधिकार बनाए गए हैं.


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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