नई दिल्ली: देश का शीत प्रदेश हिमाचल चुनाव की सरगर्मियों से तप रहा है. एक तरफ बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा जोर लगा रहे हैं, तो कांग्रेस एंटी-इनकमबेंसी की आस लगाए बैठी है. दूसरी ओर, बीच-बीच में आम आदमी पार्टी की हलचल भी दिखाई दे रही है. इन सबके बीच हिमाचल प्रदेश के करीब 56 लाख वोटर शनिवार को नई सरकार के लिए मतदान करेंगे. अब गेंद इनके पाले में है कि वह किसे चुनते हैं. क्या वे इसी सरकार में भरोसा जताएंगे या अपनी पुरानी परंपरा का पालन करेंगे.
चुनाव आयोग के मुताबिक, 55.92 लाख वोटर प्रदेश के 412 उम्मीदवारों का भाग्य तय करेंगे. 68 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे इन चुनावों में 38 महिलाएं उम्मीदवार भी हैं. मतों की गणना 8 दिसंबर को होगी. इस चुनाव में कद्दावर नेताओं का राजनीतिक भाग्य दांव पर. इनमें खुद मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, उनके दस कैबिनेट मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार, सीएलपी नेता मुकेश अग्निहोत्री और कांग्रेस की प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुखू शामिल हैं. वहीं, शानदार चुनावी आगाज करने वाली आम आदमी पार्टी ने बाद में अपनी धार खो दी और यहां मुकाबला दो पार्टियों के बीच का हो गया.
पीएम मोदी ही रहे प्रचार का चेहरा
बीजेपी के वरिष्ठ नेता के मुताबिक, पार्टी के कैंपेन की शानदार शुरुआत हुई. इसमें पीएम मोदी ने कई तरह की पहल की. उन्होंने लोगों को अपने हाथों से पत्र लिखे, अपने हस्ताक्षर किए पत्र लिखे. उन्होंने जनता से राय मांगी, बागियों को चुनाव लड़ने से रोका. कुल मिलाकर कैंपेन का चेहरा वही थे. और उनका डबल-इंजन की सरकार का नारा तो हर तरफ छाया हुआ है.
बीजेपी को थी बागियों की चिंता
हालांकि, यहां बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी आक्रामक प्रचार किया. लेकिन, रैलियों के बीच यह तय हो गया कि आखिर पार्टी के लिए वोटर को आकर्षित करने वाला नेता कौन था. चुनाव प्रचार के बीच बीजेपी बागियों को लेकर भी चिंतित दिखाई दी. खासकर, कुल्लु और मंडी में. मंडी तो खुद मुख्यमंत्री का गृह जिला है.
कांग्रेस के लिए भी मुसीबत हैं बागी
बता दें, यहां कांग्रेस को भी बागियों से बड़ी चुनौती मिल सकती है. कांग्रेस के सबसे बड़े बागी पाछाड़ के पूर्व मंत्री गंगू राम मुसाफिर, चोपाल से पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट, सुला से पूर्व विधायक जगजीवन पाल हैं. यहां कांग्रेस के प्रचार का जिम्मा स्थानीय नेताओं के जिम्मे था. पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी और प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी प्रचार करने मैदान में उतर गईं. यहां प्रियंका गांधी वाड्रा के आने से प्रचार ने जरूर कुछ गति पकड़ी, लेकिन राहुल गांधी इस दौरान यहां से दूरी बनाए रहे. वह अपनी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त थे.