Flash Radiotherapy treat cancer: कैंसर दुनिया की सबसे गंभीर बीमारियों में से एक है. अत्याधुनिक वैज्ञानिक प्रगित के बावजूद आज भी कैंसर का फुलप्रूव इलाज नहीं है. रेडियोथेरेपी से कैंसर को रोका जा सकता है. अन्य कई पद्धतियों में रेडियोथेरी की पद्धित कैंसर के इलाज में अब तक सबसे कारगर मानी जाती है लेकिन रेडियोथेरेपी की प्रक्रिया में मरीज को जब रेडिएशन दिया जाता है तो यह काफी कष्टदायक होता है क्योंकि जब रेडियो तरंगें कैंसर प्रभावित जगह के पास पहुंचती हैं तो यह कैंसर कोशिकाओं के साथ-साथ स्वस्थ कोशिकाओं को भी मार देती है. इस प्रक्रिया के दौरान काफी दर्द होता है और 15 से 20 मिनट तक मरीजों को इस कष्ट से गुजरना पड़ता है. लेकिन अब इन सारे दर्द से निजात मिल जाएगी. अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी के शोधकर्ताओं ने फ्लैश रेडियोथेरेपी FLASH Radiotherapy तकनीकी से बिना दर्द कैंसर कोशिकाओं को मारने की तकनीकी निकालने का दावा किया है. इसमें न तो दर्द होता है और न ही स्वस्थ्य कोशिकाएं मरती हैं.
10 मरीजों पर ट्रायल
वैज्ञानिकों ने जानवरों पर इसका सफल प्रयोग करने के बाद अब अस्पताल में कुछ कैंसर मरीजों पर इसका ट्रायल शुरू किया है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि 10 मरीजों पर इसका ट्रायल शुरू किया गया है. इन्हें हड्डियों में कैंसर था जो हाथ और पैर में हुआ है. सभी मरीजों को फ्लैश रेडियोथेरेपी की एक खुराक दी जा चुकी है. यह खुराक सिर्फ 0.3सेकेंड के अंदर एक मरीज को दी गई है. अस्पताल में सभी प्रक्रिया अपनाने में 15 से 20 मिनट का समय लगा. प्रमुख शोधकर्ता जॉन ब्रेनेमान ने बताया कि फ्लैश रेडियोथेरेपी में रेडिएशन का बड़ा डोज दिया जाता है जिसमें कैंसर ठीक होने का रिजल्ट बहुत ज्यादा आता है. इसमें किसी तरह से आसपास की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचता है और न ही कैंसर मरीजों को दर्द से गुजरना पड़ता है.
0.3 सेकेंड का होगा इलाज
फ्री थिंकनाम की वेबसाइट के मुताबिक वर्तमान में जो रेडियोथेरी दी जाती है उसमें रेडियोथेरेपी डोज को मरीज के कैंसर प्रभावित जगहों तक पहुंचाने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है लेकिन वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि फ्लैश रेडियोथेरेपी के डोज को सिर्फ 0.3 सेकेंड के अंदर कैंसर प्रभावित जगहों तक पहुंचाया जा सकता है.
300 गुना ज्यादा डोज
फ्लैश रेडियोथेरेपी परंपरागत रेडियोथेरेपी का बेहतर विकल्प साबित हो सकती है. इसमें परंपरागत रेडियोथेरेपी के मुकाबले 300 गुना ज्यादा डोज दिया जाता है. इसका प्रभाव कुछ ही सेकेंड के अंदर दिखाई देने लगता है. खास बात यह है कि इससे कैंसर कोशिकाओं के आसपास की कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचता है. यह परंपरागत रेडियोथेरेपी से ज्यादा सुरक्षित और कम दर्द वाला है. इस ट्रायल में अब कैंसर मरीजों को कुछ दिनों तक निगरानी में रखा गया है और देखा जाएगा कि कैंसर कोशिकाएं किस हद तक मरी है और मरीज को दर्द की दवा लेने की कितनी आवश्यकता है.