सचिन पायलट की हिमाचल में 7 दिन में 22 सभाएं

सचिन पायलट की हिमाचल में 7 दिन में 22 सभाएं

हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को अंतिम दिन प्रचार चल रहा है। चुनाव बेशक हिमाचल प्रदेश में हो, मगर वहां पर अपनी कैम्पेनिंग से राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सुर्खियों में हैं। हिमाचल में उनकी सभाओं में भारी संख्या में भीड़ पहुंच रही है। पायलट राजस्थान से उन चुनिंदा तीन नेताओं में हैं। जिन्हें हिमाचल प्रदेश में स्टार प्रचारक के लिए चुना गया है।

राजस्थान से पायलट के अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा को स्टार प्रचारक चुना गया है। पायलट ने हिमाचल में 6 दिन में 18 सभाएं की है। वहीं, गुरुवार को भी उनकी 4 सभाएं हैं। राजस्थान में सियासी संकट के बीच पायलट की रैलियों की अन्य राज्यों में लोकप्रियता ने हाईकमान के लिए भी दुविधा बढ़ा दी है। पायलट को मिल रहे जन समर्थन को देखते हुए गुजरात और हिमाचल चुनाव के बाद राजस्थान में एक बार फिर सियासी उबाल होता देखा जा रहा है।

2 साल में देशभर में 100 से ज्यादा रैलियां

राजस्थान में सियासी संकट और हिमाचल में पायलट की सभाओं में उनकी लोकप्रियता को लेकर पायलट समर्थक इसे पायलट की जनता में लोकप्रियता और स्वीकार्यता के तौर पर पेश कर रहे हैं। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान में परिस्थितियां जो भी हों। मगर कांग्रेस के लिए पायलट बेहद जरूरी हैं। यह कांग्रेस पार्टी अच्छे से समझती है। मानेसर एपिसोड से लेकर अब तक पायलट मुख्य चुनाव और विभिन्न राज्यों में उपचुनाव समेत 2 साल में 100 से ज्यादा रैलियां और सभाएं कर चुके हैं।

सचिन पायलट कांग्रेस के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि 2020 में मानेसर एपिसोड के बाद से अब तक 11 राज्यों में चुनाव हुए हैं। जबकि हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार खत्म होने को है। ऐसे में इन 12 राज्यों में से 10 प्रमुख राज्यों के चुनाव के लिए सचिन पायलट को स्टार प्रचारक बनाया गया। सिर्फ मणिपुर और पुडुचेरी को छोड़ दिया जाए तो हर राज्य में सचिन पायलट को स्टार प्रचारक बनाया गया।

सचिन पायलट का इतने चुनावों में स्टार प्रचारक बनना इसलिए भी खास हाे जाता है कि वे एकमात्र ऐसे नेता हैं जो सरकार या संगठन में किसी पद पर न रहते हुए भी देशभर में स्टार प्रचारक बनाए जाते हैं। राजस्थान से आमतौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट ही ज्यादातर स्टार प्रचारक रहे हैं। मगर गहलोत को ज्यादातर मुख्यमंत्री होने के चलते स्टार प्रचारकों की लिस्ट में जगह दी जाती है। वहीं, दूसरी ओर पायलट बिना किसी पद के भी लगातार कांग्रेस के स्टार प्रचारक रहे हैं।

जून-जुलाई 2020 में सरकार से नाराजगी के चलते सचिन पायलट और उनके साथी विधायक मानेसर चले गए थे। इस एपिसोड के बाद से पायलट को प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम की पोस्ट से हटा दिया गया था। उसके बाद से 12 राज्यों में चुनाव हो गए। वहीं, हिमाचल प्रदेश में 12 नवम्बर को और फिर गुजरात में चुनाव होने हैं। गुजरात के स्टार प्रचारक अब तक तय नहीं किए गए हैं। इसमें भी सचिन पायलट का होना तय है।

राज्यों के चुनावों में लगाए गए स्टार प्रचारकों पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए अशोक गहलोत, सचिन पायलट और उत्तर प्रदेश के प्रभारी सचिव धीरज गुर्जर को स्टार प्रचारक बनाया गया। इसी तरह उत्तराखंड में अशोक गहलोत, सचिन पायलट और सीडब्लयूसी सदस्य भंवर जितेंद्र सिंह को प्रचारक बनाया गया। इसी तरह पंजाब, गोवा, केरल और बिहार में भी अशोक गहलोत और पायलट ही स्टार प्रचारक रहे।

वहीं, इसके अलावा असम में अशोक गहलोत और पायलट के अलावा भंवर जितेंद्र सिंह भी स्टार प्रचारक रहे। वहीं, पश्चिमी बंगाल में गहलोत और पायलट के अतिरिक्त राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा स्टार प्रचारक रहे थे। इन सभी राज्यों में पायलट ने अच्छी संख्या में सभाएं की। हर स्टेट के स्टार प्रचारकों में पायलट एकमात्र ऐसे नेता रहे जिनके पास कोई पद नहीं था।

राष्ट्रीय अध्यक्ष जिन्हें फॉलो करते हैं उनमें भी पायलट

कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खड़गे महज 83 लोगों को ट्विटर पर फॉलो करते हैं। राजस्थान से वे सीएम अशोक गहलोत, भंवर जितेंद्र सिंह, रघु शर्मा, हरीश चौधरी और सचिन पायलट को फॉलो करते हैं। खड़गे जिन्हें फॉलो करते हैं उनमें कांग्रेस के नेताओं में पायलट ही एकमात्र ऐसे नेता हैं जो सत्ता या संगठन में किसी पद पर नहीं हैं।


इसलिए कांग्रेस के लिए जरूरी हैं पायलट

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पायलट कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी हैं। सत्ता में पद से लेकर संगठन में किसी पद तक पायलट कई कारणों से कांग्रेस के बेहद महत्वपूर्ण असेट हैं। जानते हैं किन कारणों से पायलट हैं कांग्रेस के लिए जरूरी

युवाओं में चर्चित

पायलट उन चुनिंदा नेताओं में हैं जिन्हें देशभर के युवाओं में काफी पॉपुलैरिटी हासिल है। राजस्थान सहित बाहरी राज्यों में भी युवाओं में पायलट को काफी पसंद किया जाता है।

दोनों भाषाओं पर पकड़

पायलट की हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर पकड़ है। यही वजह है कि उन्हें केरल में भी प्रचार के लिए भेजा गया। इससे वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषी जनता को साधने की क्षमता रखते हैं।

बेहतरीन वक्ता

पायलट को एक बेहतरीन वक्ता के तौर पर भी देखा जाता है। पायलट कांग्रेस में अच्छे भाषण देने वाले नेताओं में गिने जाते हैं। साथ ही पायलट को उन नेताओं में भी गिना जाता है जो संयमित बयान देते हैं।

पार्टी का भविष्य

कांग्रेस के लिए पायलट इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पायलट की उम्र कम है। राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाले ज्यादातर युवा नेता पिछले कुछ समय में पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस पायलट को भविष्य के प्रमुख नेताओं में देखती है।

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राजस्थान में जहां कुछ नेता आईएएस-आरएएस अफसरों की शिकायतें कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ सरकार अफसरों पर एक्शन भी ले रही है। ताजा मामला महिला आरएएस अफसर कनक जैन से जुड़ा है। कनक जैन नगर निगम जयपुर के सिविल लाइंस जोन में उप-आयुक्त पद पर कार्यरत थीं। जिन्हें बुधवार को निलंबित कर दिया गया है। कार्मिक विभाग द्वारा बुधवार को जारी आदेशों में कहा गया है कि आरएएस जैन के विरुद्ध विभागीय जांच चल रही है, जिसके चलते निलंबित किया गया है


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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