नई दिल्ली: टेक्निकल एजुकेशन में उच्च शिक्षा लेने के इच्छुक हर छात्र का सपना होता है कि उसका दाखिला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी IIT में हो जाए. हर साल हजारों की संख्या में छात्र प्रवेश परीक्षा देते हैं. इनमें से कुछ भाग्यशाली युवाओं को IIT में पढ़ने का मौका हासिल होता है. ऐसे में IIT छात्रों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं काफी दुखद हैं. IIT कैंपस में छात्र द्वारा सुसाइड करने की कई वजहें सामने आई हैं, जिनका निदान जरूरी हो गया है. खासकर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के छात्रों द्वारा इस तरह का खौफनाक कदम उठाने की घटनाएं बढ़ी हैं. पिछले 8 वर्षों में इन दोनों प्रदेशों के 15 IIT छात्र सुसाइड कर चुके हैं.
बड़ा सवाल यह है कि आखिर वे कौन सी वजहें हैं, जिनके चलते आंध्र प्रदेश और तलंगाना से संबंध रखने वाले IIT छात्रों को ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ता है? साल 2014 से अक्टूबर 2022 के बीच इन दोनों प्रदेशों के 15 छात्र सुसाइड कर चुके हैं. IIT खड़गपुर, IIT गुवाहाटी, IIT हैदराबाद आदि में ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं. हाल में ही खराब प्रदर्शन के कारण IIT गुवाहाटी के छात्र जी. महेश साई राज को टर्मिनेट कर दिया गया था. महेश इसे सहन नहीं कर सके और आत्महत्या कर ली. आठ वर्षों में सुसाइड करने वाले 15 में से 9 बीटेक के छात्र थे. बाकी एमटेक और पीएचडी की पढ़ाई कर रहे थे.
IIT के छात्र, पूर्व छात्र, टीचर के साथ शिक्षा मामलों के विशेषज्ञ इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पीछे तीन वजहों को जिम्मेदार मानते हैं. पहला, भाषाई समस्या. तेलुगु भाषी छात्रों को अंग्रेजी मोड में शिफ्ट होने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. IIT में अंग्रेजी माध्यम में ही पढ़ाई होती है. दूसरा, कुछ IIT कैंपस में नॉर्थ-साउथ पक्षपात की घटनाएं भी सामने आती हैं. इसके अलावा कोचिंग सेंटर का भी दबाव होता है. कैंपस में पढ़ाई करने वाले छात्र अक्सर सर्टेन कोचिंग संस्थान से होने का दावा करते हैं. इसका असर भी छात्रों पर पड़ता है.